UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 गृहस्थ परिवार का आय-व्यय लेखा

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 गृहस्थ परिवार का आय-व्यय लेखा (Budget of Family)

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 गृहस्थ परिवार का आय-व्यय लेखा

UP Board Class 11 Home Science Chapter 21 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पारिवारिक आय-व्यय से क्या तात्पर्य है?
उत्तरः
पारिवारिक आवश्यकताओं की सुचारु पूर्ति ही गृह-अर्थव्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मुख्य रूप से दो कारक आवश्यक हैं जिन्हें क्रमश: “पारिवारिक आय’ तथा ‘पारिवारिक व्यय’ कहा जाता है। पारिवारिक आय-व्यय का सन्तुलन ही उत्तम गृह-अर्थव्यवस्था की मुख्य शर्त है। ‘पारिवारिक आय’ तथा ‘पारिवारिक व्यय’ का अर्थ एवं सामान्य परिचय निम्नवर्णित है –

पारिवारिक आय का अर्थ (Meaning of Family Income) –
गृह – अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक महत्त्व पारिवारिक आय का होता है। पारिवारिक आय से आशय उस धनराशि से है, जो किसी परिवार द्वारा एक निश्चित अवधि में अर्जित की जाती है। आय अर्जित करने के लिए कुछ-न-कुछ प्रयास करने पड़ते हैं। व्यापक अर्थ में पारिवारिक आय में आर्थिक प्रयासों के बदले में मिलने वाली धनराशि के अतिरिक्त उन सुविधाओं को भी सम्मिलित किया जाता है, जो इन प्रयासों के बदले में उपलब्ध होती हैं। उदाहरण के लिए किसी सरकारी कार्यालय में नौकरी करने वाले व्यक्ति को प्रतिमाह एक निश्चित वेतन मिलता है तथा इसके साथ-साथ नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा, आवास सुविधा तथा बच्चों की निःशुल्क शिक्षा की सुविधा भी उपलब्ध होती है। इस स्थिति में सम्बन्धित व्यक्ति को मिलने वाला वेतन तथा अन्य समस्त सुविधाएँ सम्मिलित रूप से व्यक्ति की आय मानी जाती हैं।

प्रो० ग्रास एवं केण्डाल ने पारिवारिक आय की परिभाषा इन शब्दों में प्रतिपादित की है – “पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है, जो परिवार के अधिकार में उसकी आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूर्ण करने तथा उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु आता है।”

उपर्युक्त कथन के आधार पर कहा जा सकता है कि परिवार के मुखिया एवं अन्य सदस्यों द्वारा अर्जित की जाने वाली धनराशि पारिवारिक आय का मुख्य रूप है। यह धनराशि भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रयासों द्वारा अर्जित की जा सकती है; जैसे—नौकरी, व्यवसाय, उद्योग-धन्धे, कृषि, पशुपालन आदि। धनराशि के अतिरिक्त परिवार को उपलब्ध होने वाली विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ भी पारिवारिक आय का ही भाग मानी जाती हैं। इस प्रकार की सुविधाएँ अनेक हो सकती हैं; जैसे – फर्नीचरयुक्त निःशुल्क आवास सुविधा, वाहन सम्बन्धी सुविधा, नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा तथा बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा सुविधा।

पारिवारिक व्यय का अर्थ (Meaning of Family Expenses) –
अर्थव्यवस्था के दो मुख्य तत्त्व माने गए हैं-आय तथा व्यय। परिवार के सन्दर्भ में भी आय तथा व्यय का समान रूप से महत्त्व है। आय के रूप में धन अर्जित करने का मुख्य उद्देश्य भी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय का अधिकार प्राप्त करना ही है। पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जिस धन को व्यय किया जाता है, उसे ही ‘पारिवारिक व्यय’ कहा जाता है।

आय के ही समान व्यय का भी निश्चित लेखा-जोखा रखने के लिए इसे एक निश्चित अवधि के सन्दर्भ में आँका जाता है। सामान्य रूप से, परिवार के लिए मासिक अथवा वार्षिक अवधि में होने वाले व्यय को ही पारिवारिक व्यय के रूप में स्वीकार किया जाता है। व्यय वास्तव में आवश्यकताओं की पूर्ति का एक साधन है। आवश्यकताएँ असंख्य हो सकती हैं, किन्तु सभी आवश्यकताओं की पूर्ति सम्भव नहीं है क्योंकि प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए कम या अधिक मात्रा में धन की आवश्यकता होती है, परन्तु धन एक सीमित साधन है। धन की उपलब्धता आय पर निर्भर करती है; अत: व्यय का निर्धारण आय के सन्दर्भ में ही होता है।

पारिवारिक व्यय को हम इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं – “किसी निश्चित अवधि में सम्बन्धित परिवार द्वारा अर्जित आय के उस अंश को पारिवारिक व्यय माना जा सकता है, जो परिवार के सदस्यों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय हुआ है।”

पारिवारिक आवश्यकताएँ अनेक प्रकार की होती हैं; अत: उनकी पूर्ति के लिए किए जाने वाले व्यय को भी भिन्न-भिन्न वर्गों अथवा प्रकारों में बाँटा जा सकता है। पारिवारिक व्यय के मुख्य वर्ग या प्रकार हैं – निश्चित व्यय, अर्द्ध-निश्चित व्यय, अन्य व्यय तथा आकस्मिक व्यय। निश्चित व्यय प्रतिमाह समान रहते हैं; जैसे कि मकान का किराया। अर्द्ध-निश्चित व्यय ऐसे व्ययों को कहा जाता है, जिनमें प्रतिमाह एक निश्चित सीमा तक ही परिवर्तन होता है। जैसे कि परिवार के सदस्यों के वस्त्रों पर होने वाला व्यय। अन्य व्यय की श्रेणी में उन खर्चों को सम्मिलित किया जाता है जो व्यक्ति की आय एवं सुविधा पर निर्भर करते हैं। ये खर्चे अनिवार्य एवं निश्चित नहीं होते।

सुविधा न होने पर इस वर्ग के खर्चों को बिल्कुल घटाया जा सकता है तथा आय के बढ़ जाने तथा सुविधाओं के उपलब्ध हो जाने की स्थिति में जितना चाहे बढ़ाया जा सकता है। मनोरंजन तथा विलासिता सम्बन्धी आवश्यकताओं पर किए जाने वाले व्यय इसी श्रेणी के हैं। आकस्मिक व्यय में उन पारिवारिक खर्चों को सम्मिलित किया जाता है, जिनका कोई पूर्व-ज्ञान नहीं होता। ये खर्चे योजनाबद्ध नहीं हुआ करते। आकस्मिक व्यय साधारण भी हो सकते हैं तथा बहुत अधिक भी, जिससे सम्पूर्ण गृह-अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। उदाहरण के लिए किसी निकट सम्बन्धी के विवाह के अवसर पर होने वाला आकस्मिक व्यय, साधारण व्यय कहला सकता है, परन्तु परिवार के किसी सदस्य के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर होने वाला आकस्मिक व्यय बहुत अधिक भी हो सकता है।

उपर्युक्त विवरण द्वारा पारिवारिक व्यय के अर्थ एवं विभिन्न प्रकारों का सामान्य परिचय प्राप्त हो जाता है। परिवार के प्रत्येक सदस्य, विशेष रूप से परिवार के मुखिया तथा गृहिणी को इन समस्त पारिवारिक खर्चों के प्रति सचेत रहना चाहिए तथा पर्याप्त सूझ-बूझपूर्वक सभी खर्चों का नियोजन करना चाहिए।

प्रश्न 2.
पारिवारिक बजट का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए। पारिवारिक बजट के लाभ एवं उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पारिवारिक बजट से क्या तात्पर्य है?
अथवा
परिवार के सफलतापूर्वक संचालन के लिए बजट की क्या उपयोगिता है?
अथवा
पारिवारिक बजट को परिभाषित कीजिए। पारिवारिक बजट के लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
परिवार एक ऐसा केन्द्र है, जहाँ जीवनयापन के समस्त उपाय किए जाते हैं। घर पर ही आहार, वस्त्र, मनोरंजन तथा आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सा आदि की व्यवस्था की जाती है। इन समस्त पारिवारिक गतिविधियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है। धन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आय की व्यवस्था की जाती है। सामान्य रूप से आय सीमित होती है। इस स्थिति में आय तथा व्यय में सन्तुलन बनाए रखना आवश्यक होता है। आय तथा व्यय को नियोजित करने के उपाय को ही ‘बजट’ कहा जाता है। गृह-व्यवस्था के लिए ‘पारिवारिक बजट’ का विशेष महत्त्व होता है।

पारिवारिक बजट का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Family Budget) –
पारिवारिक अर्थव्यवस्था के दो मुख्य तत्त्व होते हैं – पारिवारिक आय तथा पारिवारिक व्यय। पारिवारिक अर्थव्यवस्था को सफल बनाने के लिए पारिवारिक आय तथा पारिवारिक व्यय को नियोजित करना आवश्यक होता है। इस नियोजन के लिए पारिवारिक आय तथा व्यय के विवरण को लिखित रूप दिया जाता है। आय-व्यय का यह लिखित रूप ही ‘पारिवारिक बजट’ कहलाता है। पारिवारिक बजट में परिवार की आय को ध्यान में रखते हुए समस्त सम्भावित खर्चों को नियोजित रूप से लिख लिया जाता है। पारिवारिक आय-व्यय का यह विवरण-प्रपत्र एक निश्चित अवधि के लिए होता है। यह अवधि सामान्य रूप से एक माह या एक वर्ष हुआ करती है।

पारिवारिक बजट को इन शब्दों में परिभाषित कर सकते हैं – “पारिवारिक बजट किसी परिवार का निश्चित अवधि में होने वाले आय-व्यय का प्रपत्र होता है।”
पारिवारिक बजट में आगामी माह या आगामी वर्ष में होने वाले आय-व्यय का अनुमानित प्रारूप भी होता है।

पारिवारिक बजट की उपयोगिता (Utility of Family Budget) –
पारिवारिक बजट से परिवार, अर्थशास्त्रियों, राजनीतिज्ञों तथा समाज-सुधारकों सभी को लाभ पहुँचता है। पारिवारिक बजट के लाभों का संक्षिप्त विवरण निम्नवर्णित है –

1. परिवार के लिए बजट का महत्त्व एवं लाभ-परिवार की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रत्येक परिवार द्वारा बजट अवश्य बनाना चाहिए। बजट बनाकर व्यय करने से आय तथा व्यय में सन्तुलन बना रहता है। बजट बनाकर विभिन्न आवश्यक वस्तुओं पर होने वाले व्यय को निर्धारित कर सकते हैं। इससे ज्ञात होता रहता है कि किस वस्तु पर होने वाले व्यय को आवश्यकता पड़ने पर घटाया जा सकता है तथा किस प्रकार से सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। यदि बिना बजट के ही व्यय करते रहते हैं तो कुछ अनावश्यक वस्तुओं पर अपेक्षाकृत अधिक व्यय हो सकता है। इससे कुछ अपेक्षाकृत आवश्यक कार्य करने के लिए धन नहीं बच पाता तथा समय आने पर कठिनाई उठानी पड़ती है; अत: बजट बनाकर ही व्यय करना चाहिए। पारिवारिक बजट बनाने तथा उसके अनुसार व्यय करने से परिवार को निम्नलिखित लाभ होते हैं –

  • बजट बनाने से विभिन्न मदों पर किया जाने वाला व्यय इन मदों की आवश्यकता तथा महत्त्व को ध्यान में रखकर हो सकता है।
  • बजट बनाने से योजनाबद्ध कार्य करने की क्षमता का विकास होता है। सामान्य से अलग, विशेष अवसरों पर इस क्षमता से सहायता मिलती है और अपव्यय से बचा जा सकता है।
  • बजट बनाने से गृहिणी भविष्य के लिए कुछ-न-कुछ बचत करने का तरीका निकाल लेती है। वैसे भी योजनाबद्ध कार्य करने से कुछ-न-कुछ बचाया जा सकता है।
  • अपनी आय के अनुसार परिवार की समस्त आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करते हुए बजट के अनुसार व्यय करने से उचित और अनुकूल जीवनयापन का अभ्यास हो जाता है। इस तरह अपव्यय नहीं होता और ऋण लेने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।।
  • पारिवारिक व्यय का उचित लेखा रखने में भी बजट से सहायता मिलती है तथा हिसाब-किताब की आदत पड़ जाती है।
  • बजट बनाने से फिजूलखर्ची पर आवश्यक तथा निश्चित नियन्त्रण हो जाता है।
  • पारिवारिक बजट बनाकर व्यय करने से परिवार में सुख-शान्ति एवं व्यवस्था बनी रहती है। इससे पारिवारिक समृद्धि में भी वृद्धि होती है।

2. अर्थशास्त्रियों को लाभ – अर्थशास्त्री पारिवारिक बजटों के अध्ययन से किसी समाज या राष्ट्र के जीवन-स्तर के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यदि उनका आर्थिक एवं सामाजिक स्तर गिरता दिखाई देता है तो वे उसे सुधारने के लिए प्रयत्नशील हो सकते हैं। पारिवारिक बजट जनता की आय, मनुष्यों की कर देने की क्षमता तथा सरकार को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कर लगाने के सम्बन्ध में भी ज्ञान देता है। पारिवारिक बजट का अध्ययन महत्त्वपूर्ण आर्थिक नियमों के अनुसन्धान में भी सहायक होता है।

3. राजनीतिज्ञों को लाभ – पारिवारिक बजट समाज का आर्थिक नक्शा प्रदान करता है और इस आर्थिक नक्शे में देश का या समाज का राजनीतिक नक्शा खिंचा मिलता है। जिस प्रकार की लोगों की आर्थिक दशा होगी, उसी के आधार पर वे अपनी राजनीतिक विचारधारा का निर्माण करेंगे। राजनीतिज्ञ इस प्रकार से देश की राजनीतिक स्थिति का अध्ययन कर उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में प्रयत्नशील हो सकते हैं। राजनीतिज्ञ जन सामान्य की करदान क्षमता देखकर अपनी नीति निर्धारित करते हैं।

4. समाज-सुधारकों को लाभ – समाज-सुधारक इसके अध्ययन से यह जान सकते हैं कि जनता अपनी आय का सदुपयोग करती है अथवा दुरुपयोग। यदि जनता का धन बुरी आदतों की सन्तुष्टि में अधिक व्यय होता है तो समाज-सुधारक इसके विरुद्ध प्रचार करके जनता की बुरी आदतों पर नियन्त्रण कर सकते हैं।

इस प्रकार हम देखते हैं कि पारिवारिक बजट समाज के सभी वर्गों के लिए लाभप्रद एवं उपयोगी हो सकता है। इसका समुचित विवेचन परिवार, समाज और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है। गृहिणियों के लिए ‘पारिवारिक बजट’ का सर्वाधिक महत्त्व एवं उपयोग है क्योंकि गृहिणियाँ ही गृह-अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

प्रश्न 3.
पारिवारिक बजट के विषय में ऐंजिल्स द्वारा प्रतिपादित नियम का आलोचनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
पारिवारिक बजट के विषय में ऐंजिल्स का नियम (Engil’s Rule on Family Budget) –
पारिवारिक बजट अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण विषय है; अत: समय-समय पर विभिन्न समाज-वैज्ञानिकों एवं अर्थशास्त्रियों ने इस विषय में अपने-अपने विचार तथा नियम प्रस्तुत किए हैं। इन विद्वानों में जर्मनी के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ० अर्नेस्ट ऐंजिल्स का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ऐंजिल्स ने समाज के विभिन्न वर्गों से सम्बन्धित परिवारों की गृह-अर्थव्यवस्था का विस्तृत अध्ययन किया तथा 1857 ई० में निष्कर्षस्वरूप एक नियम प्रस्तुत किया, जिसे पारिवारिक बजट सम्बन्धी ‘ऐंजिल्स का नियम’ कहा जाता है।

अर्थशास्त्री ऐंजिल्स ने सामाजिक व्यवस्था को तीन वर्गों अर्थात् उच्च (धनी), मध्यम तथा निम्न वर्ग में विभाजित किया। इस वर्गीकरण का आधार केवल पारिवारिक आय को ही स्वीकार किया गया था। अपने अध्ययनों के आधार पर उन्होंने स्पष्ट किया कि पारिवारिक आय के बढ़ने के साथ-साथ परिवार द्वारा भोजन एवं खाद्य-सामग्री पर किए जाने वाले व्ययों का प्रतिशत घटता जाता है तथा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन या विलासिता की मदों पर होने वाले व्ययों का प्रतिशत बढ़ता जाता है। जहाँ तक वस्त्र, गृह, प्रकाश एवं ईंधन जैसी मदों का प्रश्न है, इन पर होने वाले व्ययों का प्रतिशत प्रायः स्थिर ही रहता है। ऐंजिल्स के इन निष्कर्षों को निम्नांकित तालिका के माध्यम से स्पष्ट किया गया है –
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 गृहस्थ परिवार का आय-व्यय लेखा 1

ऐंजिल्स ने पारिवारिक बजट सम्बन्धी अपने नियम के निष्कर्षों को निम्नांकित रेखाचित्र के माध्यम से भी दर्शाया है –
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 गृहस्थ परिवार का आय-व्यय लेखा 2
ऐंजिल्स ने पारिवारिक बजट के सैद्धान्तिक स्पष्टीकरण के साथ-साथ उसके व्यावहारिक स्वरूप को भी प्रस्तुत किया। उसने समाज के तीनों वर्गों-उच्च, मध्यम और निम्न के प्रतिनिधियों के रूप में डॉक्टर, अध्यापक और श्रमिक को चुना और उनकी तत्कालीन मासिक आय क्रमशः ₹ 3200, ₹ 1600 और ₹ 400 स्वीकार की। आय के इन स्वरूपों को स्वीकार करके ऐंजिल्स ने समाज के मुख्य वर्गों के पारिवारिक बजट के प्रारूप को निम्नांकित तालिका में प्रस्तुत किया –
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 गृहस्थ परिवार का आय-व्यय लेखा 3

ऐंजिल्स के पारिवारिक बजट सम्बन्धी नियम की आलोचना –
एक समय था जब विश्व के सभी देशों में पारिवारिक बजट के विषय में ऐंजिल्स के नियम को विशेष महत्त्वपूर्ण माना जाता था, परन्तु वर्तमान परिस्थितियों में इस नियम को केवल ऐतिहासिक महत्त्व ही प्राप्त है। अब सैद्धान्तिक और व्यावहारिक रूप में इस नियम को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता है। इस नियम की निम्नलिखित आलोचनाएँ प्रस्तुत की गई हैं –

  • भोजन व्यय के सन्दर्भ में-आलोचकों का मत है कि ऐंजिल्स द्वारा अपने बजट में अध्यापक तथा डॉक्टर के भोजन के लिए किए गए धन का प्रावधान बहुत अधिक है।
  • आवास व्यय के सन्दर्भ में-आधुनिक परिस्थितियों में आवास समस्या गम्भीर है। अध्यापक तथा डॉक्टर के लिए निर्धारित किया गया धन कम प्रतीत होता है। आय के 12% भाग को व्यय करके ये वर्ग अपनी प्रतिष्ठा के अनुकूल आवास प्राप्त नहीं कर सकते।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य तथा मनोरंजन व्यय के सन्दर्भ में-ऐंजिल्स ने अपने नियम में मध्यम तथा उच्च वर्ग के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन के मद में जो व्यय का प्रावधान किया है, वह बहुत अधिक प्रतीत होता है।
  • ईंधन, जल तथा प्रकाश के व्यय के सन्दर्भ में ऐंजिल्स ने अपने नियम में स्वीकार किया है कि ईंधन, जल एवं प्रकाश आदि पर होने वाले व्यय का प्रतिशत भाग सदैव स्थिर रहता है। यह मान्यता उचित नहीं है। व्यवहार में देखा गया है कि आय के बढ़ने के साथ-साथ इन मदों पर होने वाले व्यय के प्रतिशत मान में भी कुछ-न-कुछ वृद्धि अवश्य ही होती है।
  • बचत की अवहेलना सम्बन्धी आलोचना-ऐंजिल्स द्वारा प्रतिपादित बजट सम्बन्धी नियम में कहीं भी पारिवारिक बचत का उल्लेख नहीं है। आधुनिक मान्यताओं के अनुसार समाज के प्रत्येक वर्ग के पारिवारिक बजट में अनिवार्य रूप से नियमित बचत का प्रावधान होना चाहिए। एंजिल्स द्वारा पारिवारिक बचत की अवहेलना की कटु आलोचना हुई है।

प्रश्न 4.
ऐंजिल्स के सिद्धान्त के आधार पर एक मध्यम वर्ग के परिवार के बजट की रूपरेखा बनाइए।
अथवा
एक ऐसे परिवार के लिए व्यावहारिक बजट का प्रारूप प्रस्तुत कीजिए, जिसकी मासिक आय ₹ 12000 प्रतिमाह है तथा परिवार में पति-पत्नी के अतिरिक्त दो छोटे बच्चे हैं।
उत्तरः
पारिवारिक बजट का व्यावहारिक प्रारूप (Practical Structure of Family Budget) –
पारिवारिक बजट का सैद्धान्तिक अध्ययन करने के साथ-साथ उसका व्यावहारिक पक्ष जानना भी आवश्यक है। यहाँ एक ऐसे परिवार के पारिवारिक बजट का प्रारूप प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसकी मासिक आय ₹ 12,000 है तथा परिवार में पति-पत्नी के अतिरिक्त दो छोटे बच्चे भी हैं

गृहस्वामी का नाम – सुभाष चन्द्र शर्मा
घर का पता – 2, तिलक रोड, मेरठ।
परिवार की सदस्य संख्या – 4 (पुरुष 1, स्त्री 1, बच्चे 2)
मासिक आय – ₹ 12000
बजट की अवधि – 1-4-2018 से 31-4-2018
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 गृहस्थ परिवार का आय-व्यय लेखा 4
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 21 गृहस्थ परिवार का आय-व्यय लेखा 5
नोट – उपर्युक्त बजट का प्रारूप एक प्रतिदर्श बजट है। इस आधार पर ₹ 15000, ₹ 18000 या ₹ 20,000 आदि आय वाले परिवारों के लिए भी बजट बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त परिवार की परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मदों पर होने वाले व्यय में भी अन्तर किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
मितव्ययिता का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके आवश्यक तत्त्व बताइए।
अथवा
गृहिणी किन-किन उपायों से गृहस्थी के व्यय में मितव्ययिता कर सकती है?
अथवा
टिप्पणी लिखिए-मितव्ययिता।
उत्तरः
मितव्ययिता का अर्थ (Meaning of Economy) –
परिवार व्यय का केन्द्र है। इस कारण से यहाँ प्रतिदिन किसी-न-किसी प्रकार का व्यय करना पड़ता है। परिवार के सदस्य जो कमाते हैं उसके अधिकांश भाग को वे अपनी और अपने आश्रितों की विविध प्रकार की आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करने के लिए व्यय करते हैं; किन्तु पैसा खर्च करने वाले के समक्ष यह लक्ष्य आवश्यक रूप से रहता है कि वह धन को किस प्रकार से व्यय करे कि उसकी अधिकांश आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाए। जो व्यक्ति धन को व्यय करने की उचित रीतियाँ जानते हैं, वे आर्थिक संकट का सामना नहीं करते; किन्तु इसके विपरीत जो धन को व्यय करने के उचित तरीकों से अनभिज्ञ हैं, वे सदैव आर्थिक संकट से ग्रस्त रहते हैं और धनाभाव से पीड़ित रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों को अनेक बार गम्भीर आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ जाता है तथा परिणामस्वरूप घर-परिवार कलह का केन्द्र बन जाता है।

पारिवारिक अर्थव्यवस्था को सुचारु बनाए रखने तथा पारिवारिक सुख-समृद्धि को बनाए रखने के लिए पारिवारिक व्यय को मितव्ययितापूर्ण बनाना आवश्यक होता है। मितव्ययिता से हमारा अभिप्राय यह है कि कोई व्यक्ति कम खर्च करके भी अधिकतम सन्तोष प्राप्त कर ले। मितव्ययिता का उद्देश्य अपव्यय या फिजूलखर्ची से बचना है। इसका अर्थ कंजूसी करना नहीं है क्योंकि कंजूसी की स्थिति तो दुःख प्रदान करने वाली होती है। किन्तु इसका यह अर्थ अवश्य है कि जिस वस्तु पर 5 रुपये खर्च करने से ही हम सुख-सन्तोष की प्राप्ति कर सकते हैं, उस पर अनावश्यक रूप से 6 रुपये खर्च न करें।

मितव्ययिता के तत्त्व (Elements of Economy) –
मितव्ययितापूर्वक व्यय करने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है –
1. वस्तुएँ खरीदने का उचित स्थानं-आजकल प्रत्येक वस्तु के खरीदने के अनेक स्थान होते हैं और उपभोक्ताओं को इनमें से किसी भी स्थान से इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति हो सकती है। कुशल तथा मर्मज्ञ उपभोक्ताओं को यह ज्ञात होता है कि कौन-सी वस्तु किस स्थान से प्राप्त हो सकती है। कहने का अभिप्राय यह है कि प्रत्येक वस्तु की प्राप्ति का एक निश्चित स्थान होता है और इसकी जानकारी समय तथा धन की बचत कराती है।

2. खरीदारी के सिद्धान्त-पैन्सन नामक अर्थशास्त्री ने धन को व्यय करने के सम्बन्ध में वस्तुओं के मूल्य के सम्बन्ध में कुछ सुझाव दिए हैं। ये सुझाव निम्नलिखित हैं

(i) अपनी आवश्यकताओं का पूर्ण ज्ञान-एक सफल खरीदार को अपनी आवश्यकताओं का पूर्ण ज्ञान अवश्य होना चाहिए। बाजार में पहुँचने पर जो भी वस्तु अच्छी लगे, उसे अपनी आवश्यकता के अभाव में भी खरीद लेना अपव्यय है। आवश्यकता न होने पर सस्ती वस्तु का खरीदना भी महँगा एवं अनुचित ही है क्योंकि वह घर में व्यर्थ पड़ी रहेगी। अत: केवल वे ही वस्तुएँ खरीदी जानी चाहिए, जिनकी हमें आवश्यकता है। ऐसा करने पर कम धन व्यय करके अधिकतम सन्तोष प्राप्त किया जा सकता है।

(ii) आवश्यकताओं की तीव्रता का ज्ञान-खरीदार को यह भी पता होना चाहिए कि उसे किस आवश्यकता की तत्काल पूर्ति करनी है तथा किसकी बाद में पूर्ति की जा सकती है। जो व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं का उचित रूप से क्रम निर्धारण कर लेते हैं, वे कम खर्च से ही अधिक सन्तोष प्राप्त कर सकते हैं।

(iii) वस्तु के गुणों का ज्ञान-खरीदार को माल के जाँचने की योग्यता भी होनी चाहिए। मोल-भाव तो कर लिया, किन्तु यह न देखा कि वस्तु अच्छी भी है या नहीं, तो खरीदार धोखा खा सकता है। क्योंकि कभी-कभी सस्ती वस्तु बिल्कुल बेकार सिद्ध हो सकती है; अत: वस्तु के गुणों को देखकर ही उसे खरीदना चाहिए।

(iv) सस्ती वस्तुओं के प्राप्ति स्थान का ज्ञान-खरीदार को यह भी पता होना चाहिए कि सस्ती वस्तु किस दुकान से या किस स्थान से प्राप्त हो सकती है। दूर जाने से बचने के लिए कुछ लोग अपने परिचितों की दुकानों से ही सौदा लेते हैं, भले ही वहाँ उनसे कुछ अधिक मूल्य ले लिया जाए। मोल-भाव करके तथा सस्ती वस्तु की प्राप्ति के स्थान का पता लगाने से भी बचत हो जाती है।

(v) मोल-भाव करने की योग्यता-कुशल खरीदार को सौदा करना भी आना चाहिए। कभी-कभी दुकानदार दो रुपये की वस्तु का मूल्य तीन-चार रुपये तक बता देता है और यदि उनसे ठीक प्रकार से मोल-भाव न किया जाए तो खरीदार को पर्याप्त नुकसान हो सकता है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि छोटी-छोटी बातों पर दुकानदार से व्यर्थ का विवाद किया जाए। कुछ दुकानें ऐसी भी होती हैं, जहाँ वस्तुओं का गलत मूल्य नहीं बताया जाता और अनुभव से खरीदार यह बात जान सकता है।

3. अपव्यय से बचना-मितव्ययिता के लिए आवश्यक है कि हर प्रकार के अपव्यय या फिजूलखर्ची से बचा जाए। यह फिजूलखर्ची वस्तुओं के क्रय से सम्बन्धित भी हो सकती है तथा वस्तुओं या सुविधाओं के अनावश्यक उपभोग से सम्बन्धित भी। घर पर आवश्यकता न होने पर बिजली, पानी तथा ईंधन का प्रयोग नियन्त्रित करना चाहिए। इससे सम्बन्धित बिल कम आते हैं। इसी प्रकार खाद्य-सामग्री या पकवान उतने ही तैयार करने चाहिए जितने कि खाने के काम आ जाएँ। अधिक बनाने से बाद में वे फेंकने पड़ते हैं तथा उनकी लागत व्यर्थ जाती है।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 21 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पारिवारिक बजट बनाने के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
पारिवारिक बजट बनाने के उद्देश्य पारिवारिक बजट बनाने के उद्देश्यों को हम निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं –

  • परिवार के सदस्यों की संख्या तथा आमदनी का ज्ञान प्राप्त करना।
  • परिवार के सभी प्रकार के खर्चों का क्रमिक ज्ञान प्राप्त करना।
  • परिवार की आवश्यकताओं और रहन-सहन के स्तर का ध्यान रखना।
  • बजट के खर्चे का इस प्रकार ध्यान रखना आवश्यक है कि आकस्मिक दुर्घटनाओं का सामना आसानी से किया जा सके।
  • गृह-अर्थव्यवस्था में नियमित बचत का प्रावधान रखना।

प्रश्न 2.
टिप्पणी लिखिए-पारिवारिक बजट के प्रकार।
उत्तरः
पारिवारिक बजट के प्रकार –
पारिवारिक बजट के तीन तत्त्व होते हैं-आय, व्यय तथा बचत। इन तत्त्वों के आधार पर पारिवारिक बजट के तीन प्रकार निर्धारित किए जाते हैं। प्रथम प्रकार है –

  • सन्तुलित बजट-इस बजट में पारिवारिक आय के बराबर ही पारिवारिक व्यय का प्रावधान होता है। दूसरा प्रकार है।
  • घाटे का बजट-इस बजट में आय की अपेक्षा अधिक व्यय का प्रावधान होता है तथा तीसरा प्रकार है।
  • बचत का बजट-इस बजट में पारिवारिक आय की तुलना में कम व्यय का प्रावधान होता है। गृह-अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में बचत के बजट को सर्वोत्तम बजट माना जाता है।

प्रश्न 3.
पारिवारिक बचत से क्या आशय है? पारिवारिक बचत के मुख्य लाभों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
बजट में बचत का प्रावधान करना क्यों आवश्यक है?
उत्तरः
पारिवारिक बचत का अर्थ तथा उसके लाभ –
वर्तमान पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि बच जाती है, उसे ‘पारिवारिक बचत’ कहा जाता है। इस प्रकार से की गई बचत को उचित ढंग से विनियोजित कर देने से अधिक लाभ होता है। यही कारण है कि पारिवारिक बजट तैयार करते समय उसमें अनिवार्य रूप से बचत का प्रावधान रखा जाता है। .
नियमित पारिवारिक बचत से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं –

1. भविष्य की विपत्तियों को सहन करने की सामर्थ्य प्राप्त होती है – मनुष्य को धन जीवन में बीमारी, बेरोजगारी, व्यापारिक हानि, भूचाल, बाढ़ आदि विपत्तियाँ सहन करने की सामर्थ्य प्रदान करता है। इसीलिए नियमित पारिवारिक बचत को आवश्यक माना जाता है।

2. पारिवारिक उत्तरदायित्व निभाने की योग्यता उत्पन्न होती है – पारिवारिक उत्तरदायित्व निभाने की योग्यता का आधार बचत ही है। मनुष्य को भविष्य में बच्चों की शिक्षा, विवाह तथा सामाजिक रीति-रिवाजों पर धन व्यय करना पड़ता है, जिनमें बचत विशेष रूप से सहायक होती है।

3. वृद्धावस्था के लिए सुरक्षा – बचत द्वारा एकत्र किया हुआ धन वृद्धावस्था में काम आता है, इसलिए बचत करने पर मनुष्य वृद्धावस्था में सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकता है।

4. आश्रितों के पालन-पोषण की व्यवस्था – बचत करते रहने पर मृत्यु के बाद आश्रित परिवार का भरण-पोषण कुछ समय तक ठीक-ठीक होता रहता है, वे एकदम अनाथ होकर भटकते नहीं फिरते हैं।

5. आय वृद्धि – बचत द्वारा आय में वृद्धि होती है। बचाया हुआ धन किसी को उधार देकर या बैंक में जमा करके ब्याज कमाया जा सकता है, जिससे आय और पूँजी बढ़ती है। इसलिए बचत करना सभी प्रकार से लाभकारी है।

6. सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि – नियमित रूप से की गई बचत परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा की वृद्धि में सहायक होती है। कुछ ऐसी परिस्थितियाँ होती हैं, जब परिवार की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है। यह व्यय पारिवारिक बचत से ही सम्भव हो पाता है।

7. राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन में सहायक – नियमित पारिवारिक बचत न केवल परिवार के लिए आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है वरन् यह राष्ट्रीय प्रगति एवं समृद्धि के दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है। देश के परिवारों द्वारा की गई नियमित अल्प बचतों को राष्ट्रीय बचत योजनाओं में विनियोजित किया जाता है, जिससे सरकार को पर्याप्त धन प्राप्त होता है और उसके द्वारा अनेक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं का संचालन किया जाता है।

प्रश्न 4.
स्पष्ट कीजिए कि स्त्री घर पर रहकर भीगृह-अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बना सकती है।
अथवा
गृह-अर्थव्यवस्था में गृहिणी के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
गृह-अर्थव्यवस्था में गृहिणी का योगदान
आधुनिक युग में विभिन्न परिस्थितियों तथा सुविधाओं के कारण नगरों में अनेक स्त्रियाँ घर के कार्यों के अतिरिक्त घर से बाहर भी अनेक प्रकार के कार्य करने लगी हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त होती है, परन्तु कुछ लोग इस बात के विरुद्ध भी हैं। उनका कहना है कि स्त्रियों को घर पर रहकर ही गृह-प्रबन्ध को सुचारु रूप से देखना चाहिए। इस वर्ग के लोगों का विचार है कि उत्तम गृह-प्रबन्ध करके भी स्त्रियाँ पारिवारिक आय को बढ़ाने में सहयोग दे सकती हैं। ऐसी स्थिति में स्त्रियाँ हर वस्तु को सँभालकर व्यय करती हैं तथा किसी वस्तु को नष्ट नहीं होने देतीं।

इसके अतिरिक्त, घर पर रहने वाली स्त्रियाँ घर के सभी कार्य स्वयं कर सकती हैं, जिससे अन्यथा लगाए जाने वाले नौकर या महरी का खर्च बच जाता है। घर से बाहर जाने वाली स्त्रियों को अपने छोटे बच्चों की देखभाल के लिए आया आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है। यदि स्त्री घर पर ही है तो यह खर्च भी बच जाता है। यदि स्त्री स्वयं पढ़ी-लिखी है तो वह अपने छोटे बच्चों को स्वयं ही पढ़ा-लिखा सकती है। इससे बच्चों के ट्यूशन आदि पर होने वाला व्यय बच जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि स्त्री घर पर रहकर भी अच्छे ढंग से गृह-प्रबन्ध एवं व्यवस्था करके पारिवारिक आय को बढ़ाने में कुछ सीमा तक सहयोग दे सकती है। वैसे आज के युग में पढ़ी-लिखी स्त्रियाँ नौकरी आदि करके ही पारिवारिक आय को बढ़ाने में सहयोग देना अधिक पसन्द करती हैं।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 21 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गृह-अर्थव्यवस्था से क्या आशय है?
उत्तरः
गृह-अर्थव्यवस्था वह व्यवस्था है, जिसके अन्तर्गत घर-परिवार के आय-व्यय को अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों के आधार पर सुनियोजित किया जाता है तथा इस नियोजन के द्वारा परिवार को अधिक-से-अधिक सन्तोष प्रदान किया जाता है।

प्रश्न 2.
गृह-अर्थव्यवस्था के लिए सर्वाधिक आवश्यक कारक क्या है?
उत्तरः
गृह-अर्थव्यवस्था के लिए सर्वाधिक आवश्यक कारक धन अथवा आय है।

प्रश्न 3.
सुचारु गृह-अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक योगदान परिवार के किस सदस्य का होता है?
उत्तरः
सुचारु गृह-अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक योगदान गृहिणी का होता है।

प्रश्न 4.
उत्तम अथवा सफल गृह-अर्थव्यवस्था की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तरः
उत्तम अथवा सफल गृह-अर्थव्यवस्था की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं –

  1. परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की प्राथमिकता का निर्धारण तथा
  2. नियमित बचत का प्रावधान।

प्रश्न 5.
स्वरोजगार एवं रोजगार में क्या अन्तर है?
उत्तरः
जब कोई व्यक्ति मुक्त रूप से अपनी योग्यता एवं कुशलता के आधार पर धन उपार्जन के उपाय करता है तो उसे स्वरोजगार कहा जाता है, जैसे प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाला चिकित्सक, लेखक, नक्शानवीस, कलाकार, गायक आदि। इससे भिन्न जब कोई व्यक्ति किसी संस्थान, कार्यालय या औद्योगिक व्यावसायिक केन्द्र के लिए निर्धारित वेतन तथा कार्य सम्बन्धी निर्धारित शर्तों पर कार्य करता है तो उसे रोजगार कहते हैं।

प्रश्न 6.
आय-व्यय को सन्तुलित रखने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तरः
आय-व्यय को सन्तुलित रखने के लिए पारिवारिक बजट बनाना चाहिए तथा उसका पालन करना चाहिए।

प्रश्न 7.
पारिवारिक बजट बनाने का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तरः
पारिवारिक बजट बनाने का प्रमुख उद्देश्य गृह-अर्थव्यवस्था को सुचारु बनाना है।

प्रश्न 8.
परिवार में आय-व्यय का लेखा रखने का लाभ लिखिए।
उत्तरः
परिवार में आय-व्यय का लेखा रखने से परिवार का व्यय नियन्त्रित रहता है तथा गृह-अर्थव्यवस्था नहीं बिगड़ती।

प्रश्न 9.
पारिवारिक बजट की सर्वाधिक उपयोगिता किसके लिए है?
उत्तर
पारिवारिक बजट की सर्वाधिक उपयोगिता गृहिणियों के लिए है।

प्रश्न 10.
पारिवारिक बजट के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तरः
पारिवारिक बजट के मुख्य प्रकार हैं –

  • घाटे का बजट
  • सन्तुलित बजट तथा
  • बचत का बजट।

प्रश्न 11.
किस प्रकार के पारिवारिक बजट को सर्वोत्तम माना जाता है?
उत्तरः
बचत के पारिवारिक बजट को सर्वोत्तम माना जाता है।

प्रश्न 12.
पारिवारिक बजट बनाने में उत्पन्न होने वाली मुख्य बाधाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
पारिवारिक बजट बनाने में उत्पन्न होने वाली मुख्य बाधाएँ हैं –

  • ज्ञान की न्यूनता या अशिक्षा
  • बजट के प्रति उदासीनता तथा
  • विभिन्न सामाजिक प्रचलन एवं प्रथाएँ।

प्रश्न 13.
मितव्ययिता से क्या आशय है?
उत्तरः
मितव्ययिता का अर्थ है अपव्यय से बचना। यह कंजूसी नहीं है।

प्रश्न 14.
पारिवारिक बचत से क्या आशय है?
उत्तरः
वर्तमान पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि बच जाती है, उसे ‘पारिवारिक बचत’ कहा जाता है।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 21 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए

1. अच्छी अर्थव्यवस्था निर्भर करती है –
(क) कम खर्च अधिक आय पर
(ख) आय के अनुसार बजट बनाकर बचत करते हुए खर्च करने पर
(ग) आय से अधिक खर्च करने पर
(घ) अधिक आय पर।
उत्तरः
(ख) आय के अनुसार बजट बनाकर बचत करते हुए खर्च करने पर।

2. आय का वह भाग, जिसका उपयोग आवश्यकताओं की पूर्ति में होता है, कहलाता है –
(क) आय
(ख) व्यय
(ग) बचत
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तरः
(ख) व्यय।

3. आय का वह भाग, जो वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के पश्चात् शेष बचता है तथा जिसे –
भविष्य के लिए उत्पादक कार्यों में लगा दिया जाता है, कहलाता है –
(क) नि:संचय
(ख) बचत
(ग) आय
(घ) व्यय।
उत्तरः
(ख) बचत।

4. बचत का मुख्य प्रयोजन है –
(क) भविष्य के आवश्यक एवं आकस्मिक व्यय के लिए
(ख) मनोरंजन के लिए
(ग) विलासात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
(घ) सुख प्राप्ति के लिए।
उत्तरः
(क) भविष्य के आवश्यक एवं आकस्मिक व्यय के लिए।

5. बजट का अर्थ है –
(क) खर्चों की सूची
(ख) आय-व्यय का ब्योरा
(ग) खरीदारी
(घ) बचत।
उत्तरः
(ख) आय-व्यय का ब्योरा।

6. बजट उल्लेख करता है –
(क) परिवार की कुल आय का
(ख) परिवार के कुल व्यय का
(ग) परिवार की कुल बचत का
(घ) उपर्युक्त सभी का।
उत्तरः
(घ) उपर्युक्त सभी का।

7. बजट में निम्नलिखित में से किसके लिए व्यवस्था अवश्य करनी चाहिए –
(क) पुस्तकें
(ख) त्योहार
(ग) बचत
(घ) मनोरंजन।
उत्तरः
(ग) बचत।

8. पारिवारिक बजट अनावश्यक व्यय को –
(क) प्रोत्साहन देता है
(ख) नियन्त्रित करता है
(ग) सहायता प्रदान करता है
(घ) स्वीकृति प्रदान करता है।
उत्तरः
(ख) नियन्त्रित करता है।

9. आय-व्यय में सन्तुलन बनाए रखने के लिए निम्नलिखित बनाना जरूरी है –
(क) समय-सारणी
(ख) बजट
(ग) मीनू
(घ) चार्ट।
उत्तरः
(ख) बजट।

10. आय-व्यय में सन्तुलन हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा साधन उपयुक्त होगा –
(क) वार्षिक बजट
(ख) मासिक बजट
(ग) साप्ताहिक बजट
(घ) दैनिक बजट।
उत्तरः
(ख) मासिक बजट।

UP Board Solutions for Class 11 Home Science

error: Content is protected !!
Scroll to Top