UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 15 Improvement in Food Resources

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 15 Improvement in Food Resources (खाद्य संसाधनों में सुधार)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 15 Improvement in Food Resources (खाद्य संसाधनों में सुधार).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 229)

प्रश्न 1.
अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर-

  1. अनाज – जैसे गेहूँ, चावल, मक्का, बाजरी तथा ज्वार से कार्बोहाइड्रेट प्राप्त होता है जो हमें ऊर्जा प्रदान करता है।
  2. दालें – जैसे चना, मटर, मूंग, उड़द, अरहर और मसूर इत्यादि सभी दालें हैं जो हमें प्रोटीन प्रदान करती हैं। जो हमारे शरीर की टूट-फूट की मरम्मत में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
  3. फल तथा सब्जियाँ – जैसे घीया, तोरी, गोभी, मटर, आलू अंगूर, आम, अनार, अनन्नास इत्यादि हमें विटामिन. खनिज व कुछ मात्रा में प्रोटीन इत्यादि प्रदान करते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 230)

प्रश्न 1.
जैविक तथा अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?
उत्तर-
जैविक कारक – जैसे कीट, नेमेटोड, केंचुआ व अन्य जीवाणु इत्यादि सभी जैविक कारक में आते हैं। ये फसलों के उत्पादन में भी सहायता करते हैं, जैसे- फलीदार पौधों की जड़ों में पाए जाने वाले जीवाणु जो वायुमण्डले की नाइट्रोजन से यौगिक बनाते हैं, केंचुआ भी मिट्टी को पोली (सरन्ध्र व नरम) बनाकर उपजाऊ बनाता है जिससे फसल उत्पादन बढ़ता है परन्तु कुछ कीट व नेमेटोड फसल उत्पादन को कम करते हैं। (UPBoardSolutions.com) अतः हमें इन परिस्थितियों को सहन करने वाली किस्में प्रयोग करनी चाहिए जैसे कम परिपक्व काल वाली फसलें आर्थिक दृष्टि से अच्छी होती हैं।

अजैविक कारक – जैसे वायु, तापमान, मिट्टी, जल इत्यादि अजैविके कारक में गिने जाते हैं। भूमि की अम्लीयता या क्षारकता, गर्मी, ठण्ड तथा पाला इत्यादि फसल उत्पादन को कम करते हैं। अतः हमें ऐसी फसलों को उपयोग करना चाहिए जो इन सभी परिस्थितियों को अच्छी प्रकार सहन कर सकें। इसके लिए मिश्रित फसलें वे अन्तर-फसली विधियाँ अपनानी चाहिए।

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प्रश्न 2.
फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?
उत्तर-
पशुओं के लिए चारा प्राप्त करने के लिए ऐसी फसलें अधिक उपयुक्त होती हैं जिनमें पौधे लंबे तथा सघन शाखाओं वाले हों, अर्थात् यह फसल का ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण है। इसी प्रकार अनाज उत्पादन के लिए बौने पौधे उपयुक्त ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण है, क्योंकि इनको उगाने के (UPBoardSolutions.com) लिए कम पोषक तत्वों की आवश्यकता होगी। इनके गिरने की संभावनाएँ भी कम होंगी। फसलों के उगने से लेकर कटाई तक कम समय लगना आदि उपयुक्त ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण कहलाते हैं। ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुणों वाली किस्में अधिक उत्पादन करने में सहायक होती हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 231)

प्रश्न 1.
वृहत् पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत्पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर-
वे तत्त्व जो पौधों की वृद्धि के लिए अत्यन्त आवश्यक होते हैं उन्हें वृहत् पोषक तत्त्व कहते हैं। ये पोषक तत्त्व बहुत अधिक मात्रा में आवश्यक होते हैं अतः इन्हें पोषक तत्त्व कहते हैं।

प्रश्न 2.
पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर-
पौधे पोषक तत्त्वों को खाद तथा उर्वरकों से प्राप्त करते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 232)

प्रश्न 1.
मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना किजिए।
उत्तर-
मिट्टी की उर्वरता की दृष्टि से खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलनाः
खाद व उर्वरक दोनों के प्रयोग में निम्नलिखित अन्तर है :
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 15 Improvement in Food Resources

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 235)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थिति में सबसे अधिक लाभ होगा? क्यों?
(a) किसान उच्चकोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई ना करें अथवा उर्वरक का उपयोग ना करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करें। सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ।
उत्तर-
परिस्थिति (c) में सबसे अधिक लाभ होगा। अच्छी किस्म के बीजों का चयन परिस्थितियों के अनुसार, उनकी रोगों के प्रति प्रतिरोधकता, उत्पादन की गुणवत्ता एवं उच्च उत्पादन क्षमता के अनुसार करने से उत्पादन अच्छा होता है। गुणवत्ता के कारण फसल का अच्छा मूल्य मिलता है। समय-समय पर सिंचाई करने और उर्वरकों का उपयोग करने से फसल अच्छी होती है। फसल को कीटों, पीड़कों तथा खरपतवार (UPBoardSolutions.com) से बचाने के लिए कीटनाशको पीड़कनाशकों, खरपतवारनाशकों का उपयोग करना चाहिए। उचित फसल-चक्र अपनाकर भी खरपतवार और पीड़कों से फसल की सुरक्षा की जा सकती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 235)

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प्रश्न 1.
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियंत्रण क्यों अच्छा समझा जाता है?
उत्तर-
फसलों की सुरक्षा के लिए बचाव की विधियों तथा जैविक विधियों का प्रयोग किया जाता है क्योंकि ये न तो फसलों को न ही वातावरण को हानि पहुँचाती हैं। पीड़कनाशी व अन्य रासायनिक पदार्थ फसलों को हानि पहुँचाते हैं तथा वातावरण को प्रदूषित करते हैं।

प्रश्न 2.
भंडारण की प्रक्रिया में कौन-से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर-
अनाज के भण्डारण में बहुत हानि हो सकती है। इस हानि के लिए जैविक तथा अजैविक दोनों कारक उत्तरदायी हैं।
जैविक कारक – जैविक कारकों में कीट, केतक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु आते हैं।
अजैविक कारक – अजैविक कारकों में भण्डारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव है। ये दोनों प्रकार के कारक फसल की गुणवत्ता को कम करते हैं। और वजन भी कम करते हैं। बीजों के अंकुरण की क्षमता कम हो जाती है और उत्पाद बदरंग हो जाते हैं। अतः इन कारकों (UPBoardSolutions.com) पर नियंत्रण पाने के लिए अनाज को धूप व छाया में सुखाना चाहिए और फिर धूमक का प्रयोग करना चाहिए ताकि उसमें पीड़क उत्पन्न न हो सके।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 236)

प्रश्न 1.
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?
उत्तर-
विदेशज नस्लों (Foreign or Exotic Breeds) में दुग्ध स्रवणकाल देशज नस्लों (desi breeds) की अपेक्षा अधिक लंबा होता है। देशज एवं विदेशज नस्लों के बीच संकरण कराने पर संकर नस्लें उत्पन्न होती हैं। इन्हें प्राकृतिक (Natural) क्रॉस (Cros8) अथवा कृत्रिम वीर्यसेचन (Artificial Insemination) द्वारा उत्पन्न किया जाता है। कृत्रिम वीर्यसेचन से अनेकों लाभ हैं, जैसे-

  • एक बैल से प्राप्त शुक्राणु द्वारा 3000 तक गायों को निषेचित कर सकते हैं।
  • हिमशीतित वीर्य को लंबे काल तक संचित रखा जा सकता है।
  • इसे देश के सुदूर भागों तक पहुँचाया जा सकता है।
  • सफल निषेचन एवं आर्थिक दृष्टि से यह उपयोगी तथा लाभकारी है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 237)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथन की विवेचना कीजिए-
”यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने के लिए सबसे अधिक सक्षम है। अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।”
उत्तर-
कुक्कुट विशेषकर किसान पालता है या मुर्गीपालन घरों में किया जाता है जहाँ खाली स्थान ज्यादा हो और पशु भी पाले जा रहे होते हैं। मुर्गी को मांस (ब्रौलर) व अण्डे प्राप्त करने के लिए पाला जाता है। ये अण्डे देने वाले पक्षी (कुक्कुट) कृषि के उपोत्पाद से प्राप्त सस्ते रेशेदार पदार्थों को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं और उसे प्रोटीन आहार के रूप में परिवर्तित करते हैं अर्थात् इनके अण्डों में व मांस में (UPBoardSolutions.com) प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
अत: यह ठीक है कि कुक्कुट कम रेशेदार को उच्चकोटि के पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तित कर देते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 238)

प्रश्न 1.
पशुपालन तथा कुक्कुट पालने के प्रबंधन प्रणाली में क्या समानता है?
उत्तर-
दोनों के पालन के लिए निम्नलिखित बातें आवश्यक हैं-

  • उचित आवास व्यवस्था
  • उचित प्रकाश की व्यवस्था स्था
  • उचित पोषण व्यवस्था
  • समय पर टीकाकरण
  • विकसित नस्लों का उपयोग
  • सफाई तथा स्वच्छता का प्रबन्ध।

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प्रश्न 2.
ब्रौलर तथा अंडे देने वाली लेयर में क्या अंतर है? इनके प्रबंधन के अन्तर को भी स्पष्ट करो।
उत्तर-
अंडों के उत्पादन के लिए पाली गयी कुक्कुट लेयर व मांस उत्पादन के लिए पाले गये कुक्कट ब्रौलर कहलाते हैं। कुक्कुट अनाज, कीड़े-मकोड़े, सब्जियों के अपशिष्ट तथा कुछ कंकड़ आदि पर पोषित किये जाते हैं। ब्रौलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा प्रचुर मात्रा में होनी चाहिए।
इनके आवास में उचित ताप तथा स्वच्छता रखनी भी आवश्यक है। स्वच्छता के साथ नियमित रूप से रोगाणुनाशक का छिड़काव करना चाहिए। इनमें जीवाणु, विषाणु, कवक, परजीवी आदि से कई प्रकार के रोग हो सकते हैं अतः रोगों से बचाने के लिए टीका लगवाना चाहिए।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 239)

प्रश्न 1.
मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर-
मछली को समुद्र से या अलवणीय जल में से जाल द्वारा पकड़कर प्राप्त किया जाता है। मछली को पकड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के जालों का उपयोग नाव से किया जाता है। सैटेलाइट तथा प्रति ध्वनि गंभीरतामापी से खुले समुद्र में मछलियों के बड़े समूह का पता लगाया जाता है जिससे मछली का उत्पादन बढ़ जाता है। अधिक आर्थिक महत्त्व वाली समुद्री मछलियों का समुद्री जल में संवर्धन भी किया जाता है। समुद्र में मछली संवर्धन को मैरीकल्चर कहते हैं।

प्रश्न 2.
मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
मिश्रित मछली संवर्धन, अधिक मछली संवर्धन की विधि है। इसमें देशी तथा विदेशी प्रकार की मछलियों | का उपयोग किया जाता है। ऐसे तंत्र में अकेले तालाब में 5 या 6 मछली स्पीशीज का उपयोग किया जाता है। इनमें ऐसी मछलियों को चुना जाता है जिनमें आहार के लिए। प्रतिस्पर्धा न हो और उनके आहार की आदत अलग-अलग हों। इसके फलस्वरूप तालाब के हर भाग में स्थित प्राप्त आहार का उपयोग हो जाता है, जैसे-कटला मछली पानी की सतह से अपना भोजन लेती है। मृगल तथा कॉमन कार्प तालाब की तली से (UPBoardSolutions.com) भोजन लेती है। रोहू मछली तालाब के मध्य क्षेत्र से अपना भोजन लेती है। ग्रास कार्य खरपतवार खाती है। इस प्रकार ये सभी मछलियाँ साथ-साथ रहते हुए भी बिना स्पर्धा से अपना-अपना आहार लेती हैं, जिससे मछली के उत्पादन में वृद्धि होती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 240)

प्रश्न 1.
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में कौन-कौन से ऐच्छिक गुण होने चाहिए?
उत्तर-
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में निम्नलिखित ऐच्छिक गुण होने चाहिए-

  1. इनमें मधु इकट्ठा करने की क्षमता अधिक होनी चाहिए।
  2. डंक कम मारने का स्वभाव।
  3. छत्ते में काफी समय तक रहे।
  4. प्रजनन तीव्रता से करें।
    इन सब गुणों के लिए इटेलियन मधुमक्खी का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर-
वह वनस्पति क्षेत्र जहाँ से मधुमक्खियाँ मकरन्द तथा परागकण एकत्रित करती है, चरागाह कहलाता है। ये क्षेत्र भौगोलिक स्थिति व क्षेत्र के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं इसी कारण शहद (मधु) की गुणवत्ता व स्वाद चरागाह | में मधुमक्खी को उपलब्धं फूलों की किस्मों पर आधारित होता है। क्योंकि ये मधुमक्खियाँ मकरंद तथा पराग को फूलों से एकत्रित करती हैं। कश्मीर का बादामी शहद स्वाद में उत्तम होता है। मधुमक्खियाँ चरागाह में बादाम, महुआ, आम, नारियल, इमली, लीची, सेब, अमरूद, सूरजमुखी व बेर इत्यादि के फूलों का मकरन्द वे परागकण इकट्ठा करती हैं। और भिन्न-भिन्न प्रकार का शहद उत्पन्न करती हैं।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ – 241)

प्रश्न 1.
फसल उत्पादन की एक विधि का वर्णन करो जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
उत्तर-
फसल उत्पादन की फसल किस्मों में सुधार विधि’ एक ऐसी विधि है जिससे अधिक पैदावार प्राप्त होती है। “फसल किस्मों में सुधार-इसमें किसान को विभिन्न गुणों, जैसे रोग प्रतिरोधिता, उर्वरक के प्रति अनुरूपता, उत्पादन की गुणवत्ता तथा उच्च उत्पादन क्षमता के लिए फसलों की किस्मों का चुनाव प्रजनन द्वारा करना चाहिए। फसलों में ऐच्छिक गुण संकरण द्वारा भी डाले जा सकते हैं। संकरण की यह विधि अन्तराकिस्मीय (विभिन्न किस्मों), अन्तरास्पीशीज (विभिन्न स्पीशीज) और अन्तरावंशीय (विभिन्न जैनरा) भी हो सकता है। फसल (UPBoardSolutions.com) सुधार की दूसरी विधि है, ऐच्छिक गुणों वाले जीन का डालना। इससे आनुवंशकीय रूपांतरित फसल प्राप्त होती है। इस कार्य के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले विशेष बीज अपनाने चाहिए, और बीज उसी किस्म के होने चाहिए जो अनुकूल परिस्थिति में उग सके। कृषि प्रणाली व फसल उत्पादन मौसम, पानी तथा मिट्टी की गुणवत्ता पर निर्भर होती है। फसलें ऐसी हों जो प्रत्येक प्रकार की मिट्टी व जलवायु की विभिन्न परिस्थितियों में भी उग सकें।

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प्रश्न 2.
खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर-
खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग भूमि की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए किया जाता है। फसल के उगने में अर्थात् बीज बोने से परिपक्वन काल तक पौधे भूमि के 13 प्रकार के पोषक तत्त्व ग्रहण करते हैं जिससे ये तत्त्व भूमि में कम हो जाते हैं। भूमि में खाद मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है और मिट्टी की रचना व पानी धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है। उर्वरक पौधे की कायिक वृद्धि में सहायक होते हैं और पौधों को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 3.
अन्तराफसलीकरण तथा फसल-चक्र के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
अन्तराफसलीकरण तथा फसल-चक्र खरपतवार को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। इन विधियों द्वारा पीड़कों पर भी नियंत्रण किया जा सकता है, फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है और भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहती है।

प्रश्न 4.
आनुवंशिक फेरबदल क्या हैं? कृषि प्रणालियों में यह कैसे उपयोगी हैं?
उत्तर-
आनुवंशिक फेरबदल फसल सुधार की एक नई विधि हैं जिसमें ऐच्छिक गुणों वाले जीन का डालना, इसके परिणामस्वरूप, आनुवंशिक रूपांतरित फसल प्राप्त होती है। इसमें उच्च तापमान, विशेष विकिरण या रासायनिक पदार्थों द्वारा पौधे के जीन में ऐसे उत्प्रेरित परिवर्तन लाए (UPBoardSolutions.com) जाते हैं ताकि उत्पन्न होने वाली जीनों में इच्छित गुण आ जायँ।
उपयोग- इस प्रणाली द्वारा ऐच्छिक गुणों वाली फसलें तैयार कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
भण्डारगृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
उत्तर-
भण्डारगृह में अनाज की हानि के दो प्रकार के कारक उत्तरदायी हैं, जैसे-
1. जैविक
2. अजैविक।

  1. जैविक कारक – कीट, कुंतक, कवक, चिंचडी तथा जीवाणु जैविक कारक हैं।
  2. अजैविक कारक – उपयुक्त नमी व ताप का अभाव अजैविक कारक हैं। ये दोनों कारक अनाज की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं, उनका वजन कम कर देते हैं, अंकुरण करने की क्षमता कम करते हैं, उत्पाद बदरंग हो जाती है। जैविक कारक अनाज को कुतर देते हैं या भीतर घुस जाते हैं। ये कीट कभी-कभी पौधों की वृद्धि के समय प्रवेश कर जाते हैं।

प्रश्न 6.
किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं?
उत्तर-
किसानों के लिए पशुपालन प्रणाली लाभदायक है, क्योंकि पशुपालन के दो उद्देश्य हैं- (1) दूध देने वाले (2) कृषि कार्य के लिए जैसे-हल चलाना, सिंचाई तथा माल ढोने के लिए इन पशुओं को ड्राफ्ट पशु कहते हैं। किसानों के कृषि उत्पाद ही पशुओं के भोजन, जैसे-रुक्षांश व सान्द्र भोजन के रूप (UPBoardSolutions.com) में प्रयोग होते हैं। पशुपालन में इनके अतिरिक्त मुर्गी पालन और मधुमक्खी पालन भी किया जा सकता है। ये सभी पशुपालन प्रणाली किसानों को आय के साधनों में वृद्धि करने में सहायक है।

प्रश्न 7.
पशुपालन के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
पशुपालन के लाभ-

  1. दुधारू पशुओं जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि से दूध प्राप्त होता है। इसमें सभी पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। दूध में विटामिन ‘A’ तथा ‘D’, कैल्सियम तथा फॉस्फोरस आदि खनिज पाए जाते हैं।
  2. पशुओं से मांस प्राप्त होता है। मांस उच्च प्रोटीन का स्रोत है।
  3. बैल, भैंसा, ऊँट, घोड़ा खच्चर आदि पशु बोझ ढोने के काम में लाए जाते हैं।
  4. पशुओं का उपयोग कृषि कार्यों (हल चलाना, सिंचाई कार्य, अनाज की श्रेसिंग आदि) में किया जाता है।
  5. भेड़ बकरी, ऊँट से हमें ऊन प्राप्त होती है। इसका विविध उपयोग किया जाता है।
  6. जंतु अपशिष्ट से खाद तैयार की जाती है।

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प्रश्न 8.
ज्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर-
कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छी प्रबंधन प्रणालियाँ आवश्यक हैं, जैसे-

  • उपयुक्त आवास, आवास की स्वच्छता, उपयुक्त ताप एवं स्वच्छता।
  • उचित आहार, आहार की गुणवत्ता।
  • रोगों तथा पीड़कों पर नियंत्रण तथा उनसे बचाव।

प्रश्न 9.
प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अंतर है?
उत्तर-
प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन के उस संघटक का नाम लिखिए जो शरीर की वृद्धि एवं क्षतिपूर्ति के लिए आवश्यक है।
उत्तर-
प्रोटीन।

प्रश्न 2.
शरीर की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले भोजन के अवयवों के नाम लिखिए।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट एवं वसः

प्रश्न 3.
अगर चीनी और मक्खन की समान मात्रा ली जाए, तो इन दोनों में से कौन अधिक ऊर्जा प्रदान करेगा?
उत्तर-
मक्खन।

प्रश्न 4.
कोई चार खरीफ फसलें लिखिए।
उत्तर-
मक्का, बाजरा, धान, कपास, उड़द।

प्रश्न 5.
कोई चार रबी फसलें लिखिए।
उत्तर-
गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों।

प्रश्न 6.
खरीफ फसलें कब उगायी जाती हैं?
उत्तर-
खरीफ फसलें जून से अक्टूबर तक उगायी जाती हैं।

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प्रश्न 7.
रबी फसलें कब उगायी जाती हैं?
उत्तर-
रबी फसलें नवम्बर से अप्रैल तक उगायी जाती हैं।

प्रश्न 6.
उन्नत खेती को और किन-किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर-
उन्नत खेती को निम्न नामों से भी जाना जाता है-

  1. पर्यावरणीय खेती,
  2. कार्बनिक खेती तथा
  3. टिकाऊ खेती।

प्रश्न 9.
उन्नत कृषि को पर्यावरणीय कृषि क्यों कहते हैं?
उत्तर-
उन्नत कृषि से पर्यावरण संरक्षित रहता है, इसलिए इसे पर्यावरणीय कृषि भी कहते हैं।

प्रश्न 10.
उन्नत कृषि को कार्बनिक कृषि क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
उन्नत कृषि में पोषक तत्त्व प्रबन्धन का मुख्य स्रोत कार्बनिक पदार्थ होते हैं, इसलिए उन्नत कृषि को कार्बनिक कृषि कहते हैं।

प्रश्न 11.
उचित वृद्धि के लिए निम्नलिखित में से किस फसल के लिए NPK अथवा यूरिया की न्यूनतम मात्रा की आवश्यकता होगी-घास, मटर, गेहूँ, गन्ना?
उत्तर-
मटर।

प्रश्न 12.
एक लेग्यूम फसल का नाम लिखिए।
उत्तर-
मटर, अरहर आदि।

प्रश्न 13.
खाद की दो विशेषतायें लिखिए।
उत्तर-
खाद में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक होती है और यह मृदा को अल्पमात्रा में पोषक प्रदान करता है।

प्रश्न 14.
उर्वरक क्या है?
उत्तर-
उर्वरक व्यावसायिक रूप से उत्पादित रासायनिक पदार्थ हैं जो पौधों को किसी तत्त्व विशेष की पूर्ति करते हैं।

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प्रश्न 15.
खाद और उर्वरक के उत्पादन में एक अन्तर लिखिए।
उत्तर-
खाद जन्तुओं के अपशिष्ट और पौधों के कचरे के अपघटन से तैयार किया जाता है जबकि उर्वरक का उत्पादन रासायनिक विधियों से किया जाता है।

प्रश्न 16.
दो प्रकार के खाद कौन-से हैं?
उत्तर-

  1. कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट।
  2. हरी खाद।

प्रश्न 17.
अगली फसल के लिए अच्छे बीज तैयार करने के लिए फसल कटाई के बाद किये गये कार्यकलाप क्या हैं?
उत्तर-

  1. उचित रूप में सुखाना अर्थात् बीजों को नमी रहित करना।
  2. बीजों को कीटाणु रहित और अवांछनीय पदार्थों से दूर रखना।

प्रश्न 18.
कोई दो रासायनिक उर्वरक लिखिए।
उत्तर-
यूरिया, सुपर फॉस्फेट।

प्रश्न 19.
गेहूँ तथा धान के साथ उगने वाले किन्हीं दो सामान्य खरपतवारों के नाम बताइये।
उत्तर-
गेहूँ तथा धान के साथ उगने वाले दो खरपतवार-घास, चौलाई, बथुआ, हिरनखुरी आदि।

प्रश्न 20.
गेहूं की फसल के उस खरपतवार को नाम लिखिए जो खाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-
बथुआ।

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प्रश्न 21.
गेहूं की फसल में कवक द्वारा होने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर-
गेहूँ में कवक द्वारा दो रोग सामान्यत: हो जाते हैं। ये हैं-

  • किट्ट या रतुआ (rust),
  • कण्ड (smut)।

प्रश्न 22.
धान में कीट द्वारा उत्पन्न रोग क्या है?
उत्तर-
धान में कीट गन्धी द्वारा ब्लास्ट (blast) रोग हो जाता है।

प्रश्न 23.
अन्तराफसलीकरण क्या है?
उत्तर-
दो या अधिक फसलों का एक साथ एक ही खेत में निर्दिष्ट पैटर्न में उगाना, अन्तराफसलीकरण कहलाता है।

प्रश्न 24.
अन्तराफसलीकरण और मिश्रित खेती में, किस विधि में अलग-अलग पैदावार प्रप्त की जा सकती है?
उत्तर-
अन्तराफसलीकरण में।

प्रश्न 25.
बकरियों की कौन-सी नस्ल दूध की रानी कहलाती है?
उत्तर-
सानेन नस्ल की बकरी दूध की रानी कहलाती है।

प्रश्न 26.
भेड़ों को क्यों पाला जाता है?
उत्तर-
भेड़ों को मुख्य रूप से ऊन एवं मांस उत्पादन के लिए पाला जाता है लेकिन इनसे दूध भी प्राप्त होता है।

प्रश्न 27.
भारत की मांस उत्पादक भेड़ों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भारत की मांस उत्पादक भेड़ों के नामजालौनी, मेड़िया एवं निल्लोरी।

प्रश्न 28.
भारत की ऊन उत्पादक भेड़ों की नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भारत की ऊन उत्पादक भेड़ों के नामबीकानेरी, मारवाड़ी भाकरवाल, करनाह, भदरवाह, गुरेज, रामपुर-बुशियार, हसन एवं दकनी।

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प्रश्न 29.
मांस एवं ऊन उत्पादक भेड़ों की नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मांस एवं ऊन उत्पादक प्रमुख भारतीय भेड़ों के नाम-हिसार डेल, बेलारी, लोही, कच्छी आदि।

प्रश्न 30.
भेड़ की प्रमुख विदेशी नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भेड़ की प्रमुख विदेशी नस्लों के नाम-मेरीनो, रेम्बा उलेट, साउथ डान, कोरियेल, लीमेस्टर।

प्रश्न 31.
भेड़ की मेरीनो नामक नस्ल किसलिए प्रसिद्ध है?
उत्तर-
भेड़ की मेरीनो नामक नस्ल संसार में सबसे अधिक बारीक एवं मुलायम ऊन के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 32.
मुर्गी की प्रमुख मांस उत्पादक नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मुर्गी की प्रमुख मांस उत्पादक (UPBoardSolutions.com) नस्लों के नाम-असील, घाघस, गेम, चिटगाँव, बसरा, कड़कनाथ, जर्सी जाइट।

प्रश्न 33.
मुर्गी की प्रमुख अण्डा उत्पादक विदेशी नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मुगी की प्रमुख अण्डा उत्पादक विदेशी नस्लों के नाम- व्हाइट लैग हार्न, मनोरकर ऐनकोना, कैम्पिनस।

प्रश्न 34.
संसार की सबसे अधिक अण्डा उत्पादक मुर्गी की नस्ल कौन-सी है?
उत्तर-
व्हाइट लैग हार्न संसार की सबसे अधिक अण्डा उत्पादक मुर्गी की किस्म है।

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प्रश्न 35.
मुर्गी की सर्वोत्तम मांस वाली भारतीय नस्ल कौन-सी है?
उत्तर-
असील भारत की सर्वोत्तम मांस वाली मुर्गी की नस्ल है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे सम्बन्धित हैं?
उत्तर-
मधुमक्खियाँ जिन स्थानों से मधु एकत्र करती हैं, उसे मधुमक्खी का चरागाह कहते हैं। मधुमक्खी पुष्पों से मकरन्द तथा पराग एकत्र करती हैं। चरागाह के पुष्पों की किस्में शहद के स्वाद को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 2.
मकरंद किस प्रकार शहद में परिवर्तित होता है?
उत्तर-
जब मधुमक्खी फूलों से मकरंद चूसती है, यह मकरंद उसके मधुकोष (Honey sac) में पहुँचता है जहाँ वह कुछ इनवर्टेस एन्जाइम की क्रिया द्वारा डेक्सट्रोस तथा लेबुलोस में रूपांतरित हो जाता है। प्रत्यावहम के बाद उपचारित मकरंद आखिरकार शहद में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 3.
हरित खाद क्या है? हरित खाद कैसे तैयार की जाती है?
उत्तर-
हरित खाद उत्पन्न करने वाले पादपों तथा सनहेम्प (क्राटोलेरिया जूसिया) ढेचा (सिसबेनिया एक्यूलिएट) एवं ग्वार (स्यामोप्सोस ट्रेआगोनालोबा) से प्राप्त कार्बनिक पदार्थों के पूर्ण अपघटन से प्राप्त खाद हरित खाद कहलाती है।
हरित खाद तैयार करना-

  • हरित खाद उत्पन्न करने वाले पादपों को आरंभिक अवस्था (फूल खिलने की अवस्था) में ही खेत में काटकर गिरा दिया जाता है
  • इनके अवशेषों को 1-2 महीनों के लिए जमीन के नीचे दबा दिया जाता है। अब खेत को अगली फसल के लिए तैयार किया जाता है।
  • प्रायः उच्च पोषक तत्त्व की जरूरत वाली फसलों यथा चावल (धान), मक्का, गन्ना, कपास, गेहूँ आदि को हरित खाद वाले खेतों में बोया जाता है।

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प्रश्न 4.
मछलियों को हानि पहुँचाने वाले कारक क्या हैं? इनकी रोकथाम किस प्रकार की जा सकती है?
उत्तर-
मछलियों को अनेक जन्तु, जैसे शृंग, जलीय शलभ, मेंढक, साँप, पक्षी आदि खा जाते हैं। मछलियों में जीवाणु तथा विषाणुओं के कारण अनेक रोग हो जाते हैं। मछलियों में VHS (वायरल हीमोरे के सेप्टीसेमिया), IPN (इन्फेक्सीयस प्रैक्रियाटिक नेक्रोसिस) आदि सामान्य (UPBoardSolutions.com) संक्रमणीय रोग हैं। जल प्रदायों का प्रदूषण मछलियों को बहुत हानि पहुँचाता है। जल प्रदूषण के कारण मछलियाँ बहुत अधिक संख्या में मर जाती हैं। मत्स्यपालन के लिए जल-प्रदायों का उचित रख-रखाव आवश्यक है।

प्रश्न 5.
रोगों से कुक्कुटों को बचाने के लिए कुछ उपाय बताइए।
उत्तर-

  1. कुक्कुटों के रहने के स्थान को उचित रूप से और नियमित रूप से साफ करना चाहिए।
  2. कुक्कुटों के रहने का स्थान बड़ा, हवादार, उचित प्रकाश और संवातन वाला होना चाहिए। जाड़ों के दिनों में ठण्ड से चिड़ियों को बचाने के लिए कुक्कुट फार्म की खिड़कियों और शेड की जालीदार दीवारों को ढक दिया जाता है।
  3. कुक्कुट फार्म मक्खियों, चुहियों, चूहों, बिल्लियों इत्यादि से मुक्त होना चाहिए।

प्रश्न 8.
वसा क्या हैं? उनके विभिन्न स्रोत क्या हैं?
उतर-
वसा (Fats) – ‘लम्बी श्रृंखला वाले वसीय अम्लों व ग्लिसरॉल (एक प्रकार का एल्कोहॉल) के एस्टर, वसा कहलाते हैं। जैसे–ब्यूटायरिक अम्ल, पॉमीटिक अम्ल, ओक्टानोइक अम्ल। वसा के मुख्य स्रोत हैं-मक्खन, घी, दूध, पनीर, अंडे की जर्दी, गिरी, मांस, तेल आदि। तेलों में नारियल के तेल में 40.1% व तिल के तेल में 43.3% वसा है।

प्रश्न 7.
प्रोटीन क्या हैं? उनके विभिन्न स्रोत क्या हैं?
उत्तर-
प्रोटीन (Protein)- ये कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन व नाइट्रोजन के अत्यन्त जटिल यौगिक हैं। कुछ प्रोटीनों के संघटन में सल्फर (गन्धक) व फॉस्फोरस भी उपस्थित होते हैं। प्रोटीन के मुख्य संघटक अमीनो अम्ल हैं।
प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं-बीन, (UPBoardSolutions.com) सोयाबीन, दूध, पनीर, अंडा, दालें आदि। दालों में मसूर दाल में 25.1%, मूंग दाल में 24.5%, उड़द दाल में 24.0%, अरहर दाल में 22.3%, प्रोटीन की मात्रा होती है। इसी प्रकार मूंगफली (दाने) में 26.7%, मछली में 18.8% व अंडे में 13.3% प्रोटीन की मात्रा उपस्थित है।

प्रश्न 8.
कार्योपयोगी पशु किन्हें कहते हैं? किन्हीं दो के नाम लिखिए।
उत्तर-
वे पालतू पशु जो कृषि करने, बोझा ढोने आदि में प्रयोग किये जाते हैं, कार्योपयोगी पशु कहलाते हैं; जैसे-गधा, घोड़ा, बैल।

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प्रश्न 9.
खाद्य उत्पाद प्राप्त करने हेतु, पशुपालन में आवश्यक पद्धतियों को क्रमबद्ध कीजिए।
उत्तर-
पशुपालन में आवश्यक पद्धतियाँ निम्न प्रकार हैं-

  1. भरण – पशुओं को भोजन दो रूपों में दिया जाता है-(a) ठोस आहार (concentrate) वे (b) मोटा चारा (रुक्षांश)। पशु को उचित आहार पूरी मात्रा में दिया जाये।
  2. आवास – आवास के लिए आश्रय-स्थल स्वच्छ, साफ-सुथरा हो जिसमें प्रकाश, वायु एवं पानी की समुचित व्यवस्था हो । अपशिष्ट पदार्थों के निकास एवं विसर्जन की उचित व्यवस्था हो।
  3. उन्नत नस्लें – पशुओं की उन नस्लों का पालन किया जाये जो अधिक उत्पादन करती हों।

प्रश्न 10.
रुक्षांश किसे कहते हैं? पशु इसे कैसे प्राप्त करते हैं ?
उत्तर-
पशु आहार का रेशेदार व कम पोषण वाला भाग, जो चारे या घास-फूस से मिलता है, रुक्षांश कहलाता है। पशु इसे मोटे चारे, बरसीम, भूसा, रिजका आदि से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 11.
दुग्धधारी पशुओं में आहार उनके उत्पादन को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर-
दुग्धधारी पशुओं का उत्पादन उनके आहार पर बहुत निर्भर करता है। अपुष्ट अथवा अल्पपुष्ट पशु आहार देने से दुग्ध उत्पादन कम होता है। आहार की उचित व्यवस्था न होने के कारण हमारे देश में गाय 0.5 लिटर व भैंस 1.5 लीटर दूध प्रतिदिन कम देती हैं।

प्रश्न 12.
कृषि उत्पादों के भंडारण को हानि पहुँचाने में कौन-से कारक उत्तरदायी हैं? इन्हें किस प्रकार नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर-
जैविक कारकों के अंतर्गत कुंतक, कीट तथा जीवाणु आदि आते हैं। अजैविक कारकों के अंतर्गत भंडारण के स्थान पर उपस्थित नमी तथा ताप का प्रभाव मुख्य कारक हैं। पीड़कों को नष्ट करने के लिए धूमकों का प्रयोग उचित रहता है।
अनाज के भंडारण से पहले धूप में और फिर छाया (UPBoardSolutions.com) में सुखी लेना चाहिए। अनाज में नमी की मात्रा 12% से अधिक नहीं होनी चाहिए। भंडार-गृह जल तथा नमी के लिए अभेद्य होने चाहिए। भंडारित खाद्य पदार्थों की समय-समय पर निरीक्षण करते रहना चाहिए।

प्रश्न 13.
मिश्रित फसलों के कोई दो लाभ लिखिए।।
उत्तर-

  1. अवयवी फसलों के समपूरक प्रभाव के कारण दोनों फसलों की उपज बढ़ जाती है। उदाहरणार्थ गेहूँ और चना
  2. दो फसलों को एक साथ उगाने से भूमि की उर्वरता में सुधार होता हैं।

प्रश्न 14.
किन कारणों से, भारतीय नस्लों से मुर्गे-मुर्गियों की संकर नस्लें क्यों लाभदायक हैं?
उत्तर-

  1. ये अधिक अण्डे देती हैं। (लगभग 700 अण्डे वार्षिक जबकि देशी मुर्गी प्रति वर्ष 60 देती है।
  2. वे अधिक मांस उत्पादित करते हैं। 1 kg मांस के लिए 2.3 kg चारा, जबकि देशी किस्में 1 kg मांस देने के लिए लगभग 5-6 kg चारा खाती हैं।

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प्रश्न 15.
विभिन्न फसलों को अलग-अलग मौसम में क्यों उगाते हैं?
उत्तर-
फसलों को समुचित वृद्धि एवं जीवन चक्र पूरा करने के लिए निम्न कारकों की आवश्यकता होती है

  • जलवायु सम्बन्धी परिस्थितियाँ
  • तापमान
  • दीप्तिकाल (photoperiod)।

कुछ फसलें कम तापमान और कुछ अधिक तापमान पर उगती एवं वृद्धि करती हैं, कुछ फसलों को सूर्य का तेज प्रकाश और कुछ को सामान्य प्रकाश की आवश्यकता होती है, इसीलिए विभिन्न फसलों को अलग-अलग मौसम में उगाया जाता है।

प्रश्न 16.
खाद क्या हैं? इनके मुख्य प्रकार लिखिए।
उत्तर-
वे कार्बनिक पदार्थ जो बहुत अधिक आयतन में होने पर कम मात्रा में पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं, खाद कहलाते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं
1.  गोबर की खाद (Farm Yard Manure) या (FYM) – यह पशुओं के गोबर या अपशिष्ट पदार्थों से बनायी जाती है। कृषि एवं पशुओं के अपशिष्ट जब कुछ दिन के लिए छेड़ दिये जाते हैं तो वे खाद में बदल जाते हैं।
2. हरी खाद – यह हरे पौधों को खेत में दबाकर बनायी जाती है। पटसन, मूंग, ग्वार, ढेचा आदि की फसल को हल चलाकर मिट्टी में दबा देते हैं। कुछ समय पश्चात् । यह खाद में बदल जाती है जिसे हरी खाद कहते हैं। यह मृदा में नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की भरपूर आपूर्ति करती है।

प्रश्न 17.
कम्पोस्ट खाद कैसे तैयार की जाती है?
उत्तर-
कम्पोस्ट खाद तैयार करने के लिए, 4 से 5 मीटर लम्बा, 1.5 से 1.8 मीटर चौड़ा व 1.0 से 1.8 मीटर गहरा गड्ढा खोदा जाता है। गड्ढे में पशुओं के अपशिष्ट, कृषि के अपशिष्ट, घर का कूड़ा-करकट एवं अपशिष्ट आदि को डालते जाते हैं। जब यह गड्ढा भर जाती है तो इसके ऊपर कुछ पानी डालकर मिट्टी की एक परत से बंद कर दिया जाता है। दो या तीन महीने में यह काले रंग के कार्बनिक पदार्थ में बदल जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मिश्रित फसली खेती में फसलों का चयन किस आधार पर करते हैं?
उत्तर-
मिश्रित फसली या बहुफसली खेती में फसलों का चयन निम्न बातों को ध्यान में रखकर करते हैं:

  1. फसल की अवधि – एक फसल लम्बी अवधि की व दूसरी फसल छोटी अवधि की होती है।
  2. वृद्धि की आदत – एक फसल के पौधे लम्बे व दूसरी फसल के छोटे होते हैं।
  3. जड़ों का प्रकार – एक की जड़ें गहराई तक जाने वाली हों।
  4. पानी की आवश्यकता – एक को कम व दूसरी को अधिक पानी की आवश्यकता हो ।
  5. पोषक तत्वों की आवश्यकता – एक को कम व दूसरी को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता हो।

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प्रश्न 2.
अंतराफसलीकरण (इन्टरक्लोपिंग) क्या है? मिश्रित खेती व अन्तराफसलीकरण में समानता व असमानता बताइये।
उत्तर-
एक ही खेत पर दो या अधिक फसलें पंक्तिबद्ध रूप या निर्दिष्ट पैटर्न में उगाना, अंतराफसलीकरण कहलाता है।
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प्रश्न 3.
शस्यावर्तन (फसल-चक्र) से आप क्या समझते हो? यह उपयोगी क्यों है? इससे फसले को होने वाला एक लाभ लिखिए।
उत्तर-
फसल-चक्र या शस्यावर्तन-किसी भूमि पर फसलों को पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार अदल-बदल कर उगाना, फसल-चक्र या शस्यावर्तन कहलाता है। इस विधि में दो अनाज वाली फसलों के मध्य एक फलीदार (लेग्यूम) फसल जैसे मटर, सोयाबीन, चना, मूंगफली आदि लगायी जाती है।
फसल भूमि से नाइट्रोजन यौगिक अधिकता (UPBoardSolutions.com) से ग्रहण करती है जो भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। अनाज वाली फसल भूमि से नाइट्रोजन यौगिक अधिकता से ग्रहण करती है जिससे भूमि में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है। दाल वाली फसलों के पौधों की जड़ों में एक प्रकार के जीवाणु रहते हैं जो वायुमण्डल की नाइट्रोजन को नाइट्रोजन यौगिकों में बदलकर भूमि को प्रदान करते हैं। इस प्रकार भूमि को आवश्यक पोषक तत्त्व नाइट्रोजन की आपूर्ति से हो जाती है।
इस प्रकार मृदा की उर्वरता बढ़ जाती है तथा यदि फसल-चक्र उचित ढंग से अपनाया जाए तो वर्ष में तीन तक फसलें उगायी जा सकती हैं।

प्रश्न 4.

  1. लेयर किसे कहते हैं?
  2. कुक्कुट के जीवन में अंडे देने की अवधि का वर्णन कीजिए।
  3. दो बाह्य कारकों के नाम बताइए जो मुर्गी के अंडे के उत्पादन पर अनुकूलित प्रभाव डालते हैं।
  4. बौलर किसे कहते हैं? इनकी पोषण की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  5. कुक्कुट के जीवन में विभिन्न अवस्था के नाम लिखिए।

उत्तर-

  1. मुर्गी की उस अवस्था को जिसमें वह अंडों का उत्पादन करती है लेयिंग (Laying) अवस्था कहते हैं। तथा उसे लेयर (Layer) कहते हैं। एक लेयर 20 सप्ताह की अवस्था में अंडे देना आरंभ करती है।
  2. लैंगिक परिपक्वता से अंडे देने तक की अवधि अण्डे देने की अवधि कहलाती है। इस अवधि में चूजों को लेयर्स कहते हैं। लेयर्स को पर्याप्त स्थान तथा उचित प्रकाश की आवश्यकता होती है।
  3. दो बाह्य कारक जो अंडे के उत्पादन पर अनुकूलित प्रभाव डालते हैं
    • प्रकाश की तीव्रता
    • प्रकाश की अवधि।
  4. मुर्गी मांस उत्पादित नस्ल है। ब्रौलर के भोजन में
    • प्रोटीन अधिक होनी चाहिए।
    • पर्याप्त वसा होनी चाहिए।
    • विटामिन A तथा K की अधिक मात्रा होनी चाहिए।
  5. कुक्कुट के जीवन में दो अवस्थाएँ हैं
    • विकास अवधि।
    • अंडा देने की अवधि।

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प्रश्न 5.
खाद की परिभाषा लिखिए। विभिन्न खाद कौन-कौन-सी होती हैं और ये मिट्टी को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
उसर-
खाद (Manures) – खाद प्राकृतिक पदार्थ है। यह गाय के गोबर, मल-मूत्र, रेशे, पत्तियों आदि से बनती है। इन्हें प्राकृतिक उर्वरक (Natural fertilizers) कहते है। मृदा में कार्बनिक पदार्थों का होना अत्यंत आवश्यक है। इससे मृदा में अमस (humus) उत्पन्न होता है। यूमस से, जो कार्बनिक पदार्थों, जैसे पौधों के विभिन्न भागों, मृत पदार्थों, जीव-जंतुओं आदि के विभिन्न उत्सर्जी अथवा मृदा भागों के (UPBoardSolutions.com) जीवाणुओं आदि की प्रक्रियाओं से बनता है, पौधों को अनेक आवश्यक पदार्थों की प्राप्ति होती है।

हरी खाद के लिए दलहनी फसलें (Legume crops) अधिक उपयोगी होती हैं। दलहनी पौधों की जड़ों में पाई जाने वाली ग्रन्थिकाओं (nodules) में नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु रहता है। इन फसलों के खेत में जोतकर दबा देने से भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है तथा साथ-साथ जैविक पदार्थ भी मिल जाता है जिसके कारण भूमि के गठन में सुधार होता है।
खादों के प्रकार-ये गोबर की खाद, एफ वाई एम (FFYM), कंपोस्ट व हरी खाद तथा वर्मीपोस्ट (vermipost) होती है।

प्रश्न 6.
उर्वरक क्या हैं? परम्परागत खाद वे रासायनिक उर्वरकों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उर्वरक एवं खाद में चार भिन्नतायें लिखिए।
उत्तर-
वे पदार्थ जो मृदा की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए बाहर से दिये जाते हैं, उर्वरक कहलाते हैं। उर्वरक दो प्रकार के होते हैं-
(a) परम्परागत खाद,
(b) रासायनिक उर्वरक।

(a) परम्परागत खाद – वह खाद जो वनस्पतिर्यो, कृषि एवं पशु अपशिष्ट के अपघटन से तैयार की जाती है, परम्परागत खाद कहलाती है। जैसे-कम्पोस्ट खाद, हरी खाद।
(b) रासायनिक उर्वरक – वे रासायनिक यौगिक जो आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं रासायनिक उर्वरक कहलाते हैं। जैसे-

  • नाइट्रोजन उर्वरक – जो भूमि को नाइट्रोजन की आपूर्ति करते हैं उदाहरणार्थ, यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट।
  • पोटाश उर्वरक – जो भूमि को पोटैशियम की आपूर्ति करते हैं उदाहरणार्थ, पोटाश राख, पौटेशियम क्लोराइड।
  • फॉस्फेट उर्वरक – जो भूमि को फॉस्फेट की आपूर्ति करते हैं उदाहरणार्थ, NPK, सुपर फॉस्फेट। [जो उर्वरक दो या अधिक पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हैं, मिश्रित उर्वरक कहलाते हैं जैसे-NPK, सुपर फॉस्फेट] मृदा की प्रकृति और फसल की आवश्यकता के अनुसार किसी उर्वरक का चयन किया जाता है।
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प्रश्न 7.
पशु-पक्षियों के पोषण के लिए आहार की क्या-क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
अथवा
पशु-पक्षियों के आहार निर्धारण हेतु किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
पशु-पक्षियों के आहार की विशेषताएँ – पशु पक्षियों के पोषण के लिए आहार की निम्न विशेषताएँ होनी चाहिए अर्थात् उनके आहार निर्धारण हेतु निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

  1. गर्भावस्था के दौरान पशु-पक्षियों को भ्रूणीय विकास हेतु अधिक पौष्टिक आहार देना चाहिए।
  2. युवा पशु-पक्षियों को अधिक प्रोटीन युक्त आहार देना चाहिए।
  3. अधिक परिश्रम करने वाले पशुओं को ऊर्जा प्रदान करने वाले अर्थात् अधिक कार्बोज की मात्रा वाले। आहार देने चाहिए।
  4. जो पशु-पक्षी उत्पादन कार्य नहीं कर रहे हों उन्हें केवल निर्वाह आहार देना चाहिए।
  5. पशु-पक्षियों के आहार का निर्धारण उनकी स्वास्थ्य दशा एवं मौसम को ध्यान में रखकर करना चाहिए।
  6. पशु-पक्षियों के आहार ग्रहण न करने की स्थिति में उन जीवों के स्वास्थ्य का परीक्षण करवाना चाहिए।

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प्रश्न 8.
पशु आहार के विभिन्न घटकों के कार्य एवं स्रोत लिखिए।
उत्तर-
पशु आहार के विभिन्न घटकों के कार्य एवं स्रोत-
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प्रश्न 9.
पशु-पक्षियों को रोगों से बचाने के लिए क्या-क्या प्रयास करने चाहिए?
अथवा
पशु-पक्षियों को रोगों से बचाने के लिए मुख्य उपाय लिखिए।
अथवा
पशु-पक्षियों को विभिन्न बीमारियों से बचाने हेतु प्रमुख उपाय बताइये।
उत्तर-
पशु-पक्षियों को विभिन्न बीमारियों (रोगों) से बचाने के उपाय – पशु-पक्षियों को विभिन्न बीमारियों (रोगों) से बचाने के लिए निम्न उपाय (प्रयास) करने चाहिए-

  1. रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए
  2. पशुशाला एवं कुक्कुटशाला को साफ-सुथरा एवं जीवाणुरहित (संक्रमण रहित) रखना चाहिए।
  3. बिछावन एवं अन्य दूषित पदार्थों को नष्ट कर देना चाहिए।
  4. रोग फैलने की सूचना तुरन्त पशु चिकित्सक को देनी चाहिए।
  5. पशु चिकित्सक द्वारा समय-समय पर परीक्षण करवाते रहना चाहिए।
  6. पशुओं की देखभाल करने वाले व्यक्ति को अपनी साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
  7. नवीन पशुओं को परीक्षण के उपरान्त ही समूह में शामिल करना चाहिए।
  8. चरागाहों को बदलते रहना चाहिए।
  9. पशुओं को पौष्टिक सन्तुलित आहार देना चाहिए।
  10. उचित समय पर विभिन्न रोगों के टीके पशुओं को अवश्य ही लगवाना चाहिए।

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प्रश्न 10.
एक उत्तम पशु आवास कैसा होना चाहिए?
अथवा
एक उत्तम पशु आवास में कौन-कौन-सी सुविधाएँ होनी चाहिए।
अथवा
एक उत्तम पशु आवास में क्या-क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर-
एक उत्तम पशु आवास की विशेषताएँ एवं उसमें मिलने वाली सुविधाएँ – एक उत्तम पशु आवास में अग्रलिखित विशेषताएँ एवं उसमें मिलने वाली सुविधाएँ होनी चाहिए

  1. पशु आवास ऊँचाई पर स्थित होना चाहिए जिससे वहाँ जल भराव न हो सके।
  2. आवास स्वच्छ एवं जीवाणु रहित होना चाहिए।
  3. आवास में प्रतिदिन साफ-सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए।
  4. आवास हवादार होना चाहिए जहाँ स्वच्छ हवा के आवागमन की व्यवस्था हो।
  5. आवास में सूर्य के प्रकाश को आने की व्यवस्था होनी चाहिए।
  6. आवास में पशुओं के लिए स्वच्छ पेयजल की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  7. आवास में मलमूत्र एकत्रित नहीं होना चाहिए। तथा पशुओं को रहने के लिए सूखा स्थान प्राप्त होना चाहिए।
  8. पशु आवास का फर्श पक्का एवं ढालू होना चाहिए।

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. दुग्ध उत्पादन में अपार वृद्धि कहलाती है
(a) श्वेत क्रान्ति
(b) हरित क्रान्ति
(c) नीली क्रान्ति
(d) ये सभी।

2. मछली उत्पादन में अपार वृद्धि कहलाती है
(a) श्वेत क्रान्ति
(b) हरित क्रान्ति
(c) नीली क्रान्ति
(d) ये सभी।

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3. मधुमक्खी पालन एक अच्छा उद्यम है क्योंकि
(a) शहद का सर्वत्र उपयोग होता है।
(b) इसमें पूँजी निवेश कम है।
(c) किसी विशिष्ट स्थान की आवश्यकता नहीं है।
(d) उपर्युक्त सभी।

4. कुक्कुटों के आहार में उपस्थित अवयव होने चाहिए
(a) कार्बोहाइड्रेट, वसा
(b) कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लवण
(c) कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन
(d) प्रोटीन व लवण ।

5. यदि कोई पशु अस्वस्थ है तो :
(a) वह आहार लेना बन्द कर देता है।
(b) वह निष्क्रिय हो जाता है।
(c) उसका दुग्ध उत्पादन, अंडे देने या कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है।
(d) उपर्युक्त सभी।

6. आवश्यक वृहत् पोषक तत्त्व है|
(a) N, P, K, Ca
(b) N, P, K, Fe
(c) N, P, K, Cu
(d) N, P, K, Cl.

7. सूक्ष्म पोषक तत्त्व है
(a) N, P, K, Ca
(b) Fe, Mg, Cu, Zn
(c) Fe, Mn, Cu, Zn, B, Mo
(d) Ca, Fe, Mn, Cu.

8. एक किसान दो खाद्यान्न फसलों के मध्य मटर की फसल उगाता है, वह अपनाता है-
(a) मिश्रित फसली
(b) फसल चक्र
(c) अंतराफसलीकरण
(d) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं।

9. गाय की देशी नस्ल है-
(a) मुर्रा।
(b) फ्रीशवाल
(c) जर्सी
(d) शाहीवाल।

10. गाय की विदेशी नस्ल है-
(a) मुर्रा
(b) फ्रीशवाल
(c) शाहीवाल
(d) जर्सी

11. गाय की संकर नस्ल है-
(a) मुर्रा
(b) शाहीवाल:
(c) फ्रीशवाल
(d) जर्सी।

12. निम्न में से मुर्गियों की देशी नस्ल है:
(a) व्हाइट लेगहार्न
(b) रोडे आइलैंड रैड
(c) ससेक्स
(d) इनमें से कोई भी नहीं।

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13. बसरा, असील मुर्गियों की
(a) विदेशी नस्ल हैं
(b) देशी नस्ल हैं।
(c) संकर नस्ल हैं,
(d) परिवर्तित नस्ल हैं।

14. मुर्गियों की संकर नस्ल है
(a) व्हाइट लेगहार्न
(b) JLS-82
(c) बसरा
(d) असील।

15. कौन-सी मीठे जल की मछली नहीं है
(a) हिल्सा
(b) कटला
(c) रोहू
(d) टीरीका।

16. उन्नत कृषि कहलाती है
(a) पर्यावरणीय कृषि
(b) कार्बनिक कृषि
(c) टिकाऊ कृषि
(d) उपर्युक्त सभी

17. फसल-चक्र के प्रकार होते हैं
(a) एकवर्षीय
(b) द्विवर्षीय
(c) बहुवर्षीय
(d) ये सभी।

18. सर्वाधिक दूध देने वाली गाय की संकर नस्ल
(a) करन स्विस
(b) करन फ्राई
(c) जरसिंध
(d) जर्सी

19. बारीक एवं मुलायम ऊन के लिए प्रसिद्ध भेड़ की नस्ल है-
(a) बीकानेरी
(b) मेरीनो
(c) मारबाड़ी
(d) हिसार।

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20. संसार की सर्वाधिक अण्डा उत्पादक मुर्गी की नस्ल
(a) असील
(b) चिटगांव
(c) कड़कनाथ
(d) ह्वाइट लैग हॉर्न

उत्तरमाला

  1. (a)
  2. (c)
  3. (d)
  4. (b)
  5. (d)
  6. (a)
  7. (c)
  8. (b)
  9. (d)
  10. (d)
  11. (b)
  12. (d)
  13. (b)
  14. (b)
  15. (a)
  16. (d)
  17. (d)
  18. (c)
  19. (b)
  20. (d)

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