UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 2 अस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि (गद्य – भारती)

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 2
Chapter Name अस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि (गद्य – भारती)
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 2 अस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि  (गद्य – भारती)

UP Board Solution Class 9 Sanskrit पाठ का साशंश

राष्ट्रीय प्रतीक-सभी राष्ट्रों में वहाँ के नागरिकों द्वारा उस राष्ट्र की विशेषता बताने वाली कुछ वस्तुएँ राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकार की जाती हैं। इन प्रतींकों में उस राष्ट्र का गौरव, चरित्र और गुण झलकता है, इन्हीं को राष्ट्रीय चिह्न कहा जाता है। भारत में भी हमारी संस्कृति, चरित्र और महत्त्व को बताने वाली (UPBoardSolutions.com) ये पाँच वस्तुएँ राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकार की गयी हैं- (1) मयूर, (2) चित्रव्याघ्र, (3) कमल, (4) राष्ट्रगान तथा (5) त्रिवर्ण ध्वज।।

(1) मयूर (मोर)–मयूर (मोर) भारत का राष्ट्रीय-पक्षी है। यह बहुत सुन्दर पक्षी है। इसके रंग-बिरंगे पंख और इसका नृत्य अत्यधिक चित्ताकर्षक होता है। यह मधुर ध्वनि करता हुआ भी विषधरों (सर्पो) को खाता है। उसकी इस प्रवृत्ति में हमारा राष्ट्रीय चरित्र झलकता है। हमें भी मोर की तरह मधुरभाषी होना चाहिए और सबके साथ मधुर व्यवहार करते हुए भी राष्ट्रद्रोहियों और राष्ट्रीय एकता के विघातक तत्त्वों को सर्प की तरह नष्ट कर देना चाहिए। |

 

(2) चित्रव्याघ्र ( बाघ)–पशुओं में बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है। इनमें चित्रव्याघ्र ओजस्वी, पराक्रमी और स्फूर्ति-सम्पन्न होता है। वह संकट को दूर से ही जानकर उसे दूर करने में सचेष्ट रहता है। हमें , व्याघ्र की तरह देश की सुरक्षा में सावधान तथा संकट आने पर उसे दूर करने का निरन्तर प्रयत्न करना चाहिए। यह अपनी सीमा में घूमने वाले जंगली जानवर के रूप में संसार में प्रसिद्ध है।

(3) कमल–भारत में कमल को राष्ट्रीय पुष्प के रूप में स्वीकार किया गया है। इसकी कोमलता एवं पवित्रता को देखकर ही इसको काव्य में अत्यधिक महत्त्व दिया गया है। जिस प्रकार से कीचड़ में उत्पन्न होने वाला पंकज (कमल) जल का संसर्ग तथा शरद् ऋतु को प्राप्त कर बढ़ता और शोभित होता है, (UPBoardSolutions.com) उसी प्रकार किसी भी कुल में उत्पन्न होकर व्यक्ति को सुविधा और उपयुक्त अवसर को पाकर उन्नति करते रहना चाहिए, यही कमल का सन्देश है।

(4) राष्ट्रगान–प्रत्येक स्वतन्त्र राष्ट्र का एक अपना राष्ट्रगाने होता है। भारत का भी अपना एक राष्ट्रगान है। इसे महान् अवसरों पर गाया जाता है। अन्य देश के राष्ट्राध्यक्षों के आगमन पर उनके सम्मान में, बड़ी सभाओं के समापन पर तथा विद्यालयों में प्रार्थना के उपरान्त इसे गाया जाता है। इसकी रचना विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी। इस राष्ट्रगान में भारत के प्रान्तों, विन्ध्य-हिमालय पर्वतों, गंगादि नदियों के उल्लेख द्वारा देश की विशालता और अखण्डता का वर्णन है। इसको गाने के लिए 52 सेकण्ड का समय निर्धारित है। इसे सावधान मुद्रा में खड़े होकर बिना किसी अंग-संचालन के श्रद्धापूर्वक गाया जाना चाहिए। इसकी ध्वनि सुनकर भी सावधान हो जाने का विधान है।

(5) त्रिवर्ण ध्वज(राष्ट्रीय ध्वज)–प्रत्येक स्वतन्त्र राष्ट्र का अपना एक राष्ट्रध्वज होता है तथा देश के निवासी प्राणपण से इसके सम्मान की रक्षा करते हैं। हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। इसके मध्य में अशोक चक्र है। इसमें हरा रंग, सुख, समृद्धि और विकास का; श्वेत रंग ज्ञान, मैत्री सदाशयता आदि गुणों का तथा केसरिया रंग शौर्य और त्याग का प्रतीक है। ध्वज़ के मध्य में अशोक चक्र धर्म, सत्य और अहिंसा का बोध कराता है। (UPBoardSolutions.com) अशोक चक्र के मध्य में 24 शलाकाएँ पृथक् होती हुई चक्र के मूल में मिली हुई, भारत में विविध भाषा, धर्म, जाति और लिंग का भेद होने पर भी भारत के एक राष्ट्र होने का बोध कराती हैं। राष्ट्रध्वज सदा स्वच्छ, सुन्दर रंगों वाला और बिना कटा-फटी होना चाहिए। राष्ट्रीय शोक के समय इसे झुका दिया जाती है।
ये राष्ट्रीय प्रतीक हमें हमारी स्वतन्त्रता का बोध कराते हैं। हमें इनका आदर और सम्मान तो करना ही चाहिए, इनकी रक्षा भी प्राणपण से करनी चाहिए।

संस्कृत कक्षा 9 UP Board गघांशों का सासन्दर्भ अनुवाद

(1) सर्वेषु राष्ट्रेषु राष्ट्रियवैशिष्ट्ययुक्तानि वस्तूनि प्रतीकरूपेण स्वीक्रियन्ते तत्रत्यैः जनैः। तेषु प्रतीकेषु तद्राष्ट्रस्य गौरवं चारित्र्यं गुणाश्च प्रतिभासन्ते। तान्येव राष्ट्रियप्रतीकानि निगद्यन्ते।।

अस्माकं राष्ट्रे भारतेऽपि कतिपयानि प्रतीकानि स्वीकृतानि सन्ति। तान्यस्माकं चारित्र्यं संस्कृतिं महत्त्वं च व्यञ्जयन्ति। पक्षिषु कतमः पशुषु कतमः पुष्पेषुः कतमत् वाऽस्माकं राष्ट्रियमहिम्नः प्रातिनिध्यं विदधातीति विचार्यैव प्रतीकानि निर्धारितानि सन्ति।

 

शब्दार्थ-
वैशिष्ट्ययुक्तानि = विशेषताओं से युक्त।
प्रतीकरूपेण = चिह्न के रूप में।
स्वीक्रियन्ते = स्वीकृत किये जाते हैं।
तत्रत्यैः जनैः = वहाँ के निवासियों के द्वारा।
प्रतिभासन्ते = झलकते हैं।
निगद्यन्ते = कहे जाते हैं।
कतिपयानि = कुछ।
तान्यस्माकम् (तानि + अस्माकम्) = वे हमारे।
व्यञ्जयन्ति = प्रकट करते हैं।
कतमः = कौन-सा।
राष्ट्रियमहिम्नः = राष्ट्रीय महत्त्व का।
विदधातीति (विदधाति + इति) = करता है, ऐसा।
विचार्यैव (विचार्य + एव) = विचार करके ही।
निर्धारितानि सन्ति = निर्धारित (निश्चित) किये गये हैं।

सन्दर्य प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत गद्य-भारती’ के ‘अस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है।

UP Board Class 9 Sanskrit Solution संकेत
इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में बताया गया है कि प्रत्येक देश की भाँति हमारे देश में भी कुछ राष्ट्रीय प्रतीक निधार्रित किये गये हैं, जिनसे हमारे देश का गौरव और चरित्र झलकता है।।

Class 9 Sanskrit UP Board अनुवाद
सभी राष्ट्रों में वहाँ के निवासियों के द्वारा राष्ट्र की विशेषताओं से युक्त वस्तुएँ प्रतीक रूप में स्वीकार की जाती हैं। उन प्रतीक-वस्तुओं में उस राष्ट्र का गौरव, चरित्र और गुण प्रतिबिम्बित होते हैं। उन्हें ही राष्ट्र के प्रतीक कहा जाता है। | हमारे राष्ट्र भारत में भी कुछ प्रतीक स्वीकार किये गये हैं। वे ही (UPBoardSolutions.com) हमारे देश के चरित्र, संस्कृति और महत्त्व को प्रकट करते हैं। पक्षियों में कौन-सा (पक्षी), पशुओं में कौन-सा (पशु) अथवा फूलों में कौन-सा (फूल) हमारे राष्ट्र की महिमा का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसा विचार करके ही प्रतीक निर्धारित किये गये हैं।

(2) मयूरःपक्षिषु मयूरः राष्ट्रियपक्षिरूपेण स्वीकृतोऽस्ति। मयूरोऽतीव मनोहर: पक्षी वर्तते। चन्द्रकवलयसंवलितानि चित्रितानि तस्य पिच्छानि मनांसि हरन्ति। यदा गगनं श्यामलैर्मेधैरोच्छन्नं भवति तदा मयूरो नृत्यति। तस्य तदानीन्तनं नर्त्तनं नयनसुखकरमपि चेतश्चमत्कारकं भवति। मधुमधुरस्वरोऽपि मयूरो विषधरान् भुङ्क्ते। इदमेवास्माकं राष्ट्रियचारित्र्यं विद्यते। सर्वे सह मधुरं वाच्यं मधुरं व्यवहर्तितव्यं मधुरमाचरितव्यं किन्तु ये राष्ट्रद्रोहिणोऽत्याचारपरायणाः राष्ट्रियाखण्डतायाः राष्ट्रियैक्यस्य वा विघातकाः विषमुखाः सर्पतुल्याः मयूरेणैव राष्ट्रेण व्यापादयितव्याः।।

शब्दार्थ-
मयूरोऽतीव (मयूरः + अति + इव), = मोर बहुत अधिक।
चन्द्रकवलयसंवलितानि = चन्द्रमा के आकार के वृत्त (गोलाकार चिह्न) से युक्त।
पिच्छानि = पूँछ के पंख।
श्यामलैमेघराच्छन्नं, (श्यामलैः + मेघेः + आच्छन्नम्) = काले बादलों से घिरे हुए।
तदानीन्तनम् = उस समय का।
नयनसुखकरम् = आँखों को सुख देने वाला, सुन्दर।
चेतः = मन।
विषधरान् = सर्पो को।
भुङ्क्ते = खाता है।
इदमेवास्माकं (इदं + एव + अस्माकं) = यह ही हमारा।
वाच्यं = बोलना चाहिए।
व्यवहर्तितव्यम् = व्यवहार करना चाहिए।
मधुरमाचरितव्यं (मधुरं + आचरितव्यम्) = मधुर आचरण करना चाहिए।
अत्याचारपरायणाः = अत्याचार में लगे हुए।
विघातकाः = नाशक।
विषमुखाः = विष से भरे मुख वाले।
मयूरेणेव (मयूरेण+ इव) = मोर के समान।
व्यापादयितव्याः = मारने योग्य।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्रीय चिह्न के रूप में स्वीकृत राष्ट्रय पक्षी मोर का वर्णन किया बंया है।

अस्माकं राष्ट्रीय प्रतीकानि अनुवाद
मोर-पक्षियों में मोर को राष्ट्रीय पक्षी के रूप में स्वीकार किया गया है। मोर अत्यन्त सुन्दर पक्षी है। चन्द्राकार वृत्त (गोलाकार चिह्नों) से चित्रित उसकी पूँछ के पंख मन को हरते हैं, अर्थात् उसके रंग-बिरंगे पंखों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। जब आकाश काले बादलों से ढक जाता है, तब मोर नाचता है। उस समय का उसका नृत्य नेत्रों को सुख देने वाला और चित्त को आह्लादित करने वाला होता है। मधु के समान मीठे स्वर वाला होता हुआ भी मोर सर्पो को खाता है। यही हमारा राष्ट्रीय चरित्र है। सबके साथ मधुर बोलना (UPBoardSolutions.com) चाहिए, सौहार्दपूर्ण व्यवहार करना चाहिए, शिष्ट आचरण करना चाहिए, किन्तु जो राष्ट्रद्रोही, अत्याचारी, राष्ट्र की अखण्डता या राष्ट्र की एकता के नाशक सर्प के समान विष से भरे हुए हैं, उन्हें उस राष्ट्र के नागरिकों द्वारा उसी प्रकार नष्ट कर देना चाहिए, जिस प्रकार मोर विषैले सर्यों को नष्ट कर देता है।

(3) व्याघ्रःपशुषु व्याघ्रः भारतस्य राष्ट्रियप्रतीकम्। व्याघ्षु चित्रव्याघ्रः बहुवैशिष्ट्य विशिष्टो विद्यते। को न जानाति चित्रव्याघ्रस्यौजः पराक्रमं स्फूर्तिञ्च? एतज्जातीयाः व्याघ्राः अस्मद्देशस्य वनेषुपलभ्यन्ते। एतेषां शरीरे स्थूलकृष्णरेखाः भवन्ति। व्याघोऽसावतीव तीव्रधावकः सततसा- वहितः सङ्कटं विदूरादेव जिघ्न् तदपनेतुं सचेष्टः स्वलक्ष्यमवाप्तुं कृतिरतः स्वसीम्नि एवं पर्यटन् वन्यो जन्तुर्विश्रुतो जगति।। |

शब्दार्थ-
चित्रव्याघ्रः = चितकबरा बाघ।
ओज = बल।
स्फूर्तिञ्च (स्फूर्तिम् + च) = और फूर्ती।
एताज्जातीयाः (एतद् + जातीयाः) = इस जाति के।
अस्मद्देशस्य (अस्मत् + देशस्य) = इस देश के।
वनेषुपलभ्यन्ते (वनेषु + उपलभ्यन्ते) = वनों में प्राप्त होते हैं।
व्याघ्रोऽसावतीव (व्याघ्रः + असौ + अति + इव) = यह बाघ बहुत अधिक।
सावहितः = सावधान।
विदूरादेव = अधिक दूर से ही।
जिघ्रन् = सँघता है।
अपनेतुम् = दूर करने के लिए।
अवाप्तुम् = प्राप्त करने के लिए।
कृतिरतः = कार्यशील।
स्वसीम्नि = अपनी सीमा में विश्रुतः = प्रसिद्ध।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्रीय पशु के प्रतीक के रूप में स्वीकृत बाघ का वर्णन किया गया है।

Class 9 Sanskrit अनुवाद-बाघ
पशुओं में बाघ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। बाघों में चितकबरा बाघ बहुत विशेषताओं से युक्त होता है। चितकबरे बाघ के बल, वीरता और स्फूर्ति को कौन नहीं जानता है; अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति जानता है। इस जाति के बाघ हमारे देश के वनों में मिलते हैं। इनके शरीर पर मोटी काली रेखाएँ होती हैं। यह बाघ अत्यधिक तेज दौड़ने वाला, सदा सावधान रहने वाला, संकट को दूर से ही सूंघने वाला और उसको दूर करने के (UPBoardSolutions.com) लिए प्रयत्नशील, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्यशील अपनी सीमा में ही घूमने वाला संसार में प्रसिद्ध जंगली जानवर है।

(4) कमलम्कमलं सरसिज पद्मं पङ्कजं शतदलमित्यादिनामभिः प्रथितं पुष्पमस्माकं राष्ट्रियप्रतीकत्वेन स्वीकृतं राष्ट्रियपुष्पस्य यशो विधते। तस्य कोमलत्वं मनोहरत्वं विकासशीलत्वं पवित्रत्वञ्चाभिलक्ष्यैव कविभिः तस्य बहुशः वर्णनं कृतम्। न कश्चिन्महाकविः संस्कृतभाषायां, हिन्दीभाषायां वा विद्यते येनैतस्य पुष्पस्य माहात्म्यं न गीतम्। देवानां स्तुतिप्रसङ्गे दिव्यकरचरणादीनामङ्गानां मानवहृदयस्य चोपमानीकृतं सत्सांस्कृतिकं महत्त्वं विभर्ति पुष्पमिदम्।

शब्दार्थ-
प्रथितम् = प्रसिद्ध।
पुष्पमस्माकम् (पुष्पम् + अस्माकम्) = हमारे फूल।
यशो विधत्ते = यश धारण करता है।
पवित्रत्वञ्चाभिलक्ष्यैव (पवित्रत्वं + च + अभिलक्षि + एव) = और पवित्रता का विचार करके ही।
बहुशः = अत्यधिक।
येनैतस्य (येन + एतस्य) = जिसने इसका।
चोपमानीकृतम् (च + उपमानीकृतम्) = और उपमान के रूप में प्रयुक्त किया गया।
बिभर्ति = धारण करता है।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्रीय पुष्प के रूप में चयनित ‘कमल’ के फूल का वर्णन किया गया है।

UP Board Class 9 Sanskrit अनुवाद
कमले-कमल, सरसिज, पद्म, पंकज, शतदल इत्यादि नामों से प्रसिद्ध फूल हमारे राष्ट्र के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया, राष्ट्रीय पुष्प के यश को धारण करता है। उसकी कोमलता, सुन्दरता, विकासशीलता और पवित्रता को लक्ष्य करके ही कवियों ने उसका बहुत प्रकार से वर्णन किया है। संस्कृत भाषा या हिन्दी भाषा में ऐसा कोई महाकवि नहीं है, जिसने इस पुष्प के महत्त्व का गान न किया हो। देवताओं की स्तुति के (UPBoardSolutions.com) अवसर पर, सुन्दर हाथ-पैर आदि अंगों के और मानव हृदय के उपमान के रूप में प्रयोग किया गया यह फूल सुन्दर सांस्कृतिक महत्त्व को धारण करता है। |

(5) शरदत मनोहरं पुष्पमिदं यत्र तत्र जलसङ्कुलेषु तड़ागेषु सरसु चानायासेनोत्पद्यते वर्धते . रविकनिकरसंसर्गात् प्रस्फुटित। पङ्के जायते पङ्कजं जलसंयोगं शरत्कालञ्चावाप्य वर्धते शोभते । च तथैव कस्मिश्चित् कुले जातः जनः सौविध्यमुपयुक्तावसरञ्च लब्ध्वा वर्धितुं क्षमत इति तत्पुष्पस्य राष्ट्रकृते सन्देशः।।

शब्दार्थ-
शरद (शरद् + ऋर्ती) = शरद् ऋतु में।
चानायासेनोत्पद्यते (च + अनायासेन + उत्पद्यते) = और अनायास उत्पन्न होता है।
रविकरनिकरसंसर्गात् = सूर्य की किरणों के सम्पर्क से।
प्रस्फुटित = विकसित होता है।
सौविध्यमुपयुक्तोवसरञ्च (सौविध्यम् + उपयुक्त + अवसरं + च) = सुविधा और उपयुक्त अवसर को।

प्रसंग
पूर्ववत्।

Class 9th Sanskrit UP Board अनुवाद
शरद् ऋतु में यह सुन्दर फूल जहाँ-तहाँ जल से भरे तालाबों और पोखरों में सरलता से उत्पन्न होता है और बढ़ता है। सूर्य की किरणों के समूह के सम्पर्क से खिलता है। कीचड़ में (UPBoardSolutions.com) उत्पन्न होता है, उसी प्रकार किसी भी कुल में उत्पन्न हुआ मनुष्य सुविधा और उपयुक्त (अनुकूल) अवसर पाकर बढ़ने में समर्थ होता है। यही इस पुष्प की राष्ट्र के लिए सन्देश है। |

(6) राष्ट्रगानम्-सर्वेषां स्वतन्त्रदेशानां स्वकीयमेकं गानं भवति तदैव राष्ट्रगानसंज्ञयाऽवबुध्यते। प्रत्येकं राष्ट्रं स्वराष्ट्रगानस्य सम्मानं करोति। महत्स्ववसरेषु तद्गानं गीयते। मंदि कश्चिदन्यराष्ट्राध्यक्षोऽस्माकं देशमागच्छति तदा तस्य सम्मानाय तस्य राष्ट्रगानमस्मद्राष्ट्रगानं च वादकैः वाद्येते। महतीनां सभानां समापने तस्य गानमावश्यकम्। विद्यालयेषु प्रार्थनानन्तरं प्रतिदिनं राष्ट्रगानं गीयते।।

शब्दार्थ-
अवबुध्यते = जाना जाता है।
वाद्येते = बजाये जाते हैं।
समापने = समाप्ति पर।
अनन्तरं = बाद में।।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्रगान का वर्णन किया गया है।

यूपी बोर्ड कक्षा 9 संस्कृत अनुवाद
राष्ट्रगान–सभी स्वतन्त्र देशों का अपना एक गान होता है, वही राष्ट्रगान’ इसे नाम से जाना जाता है। प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्रगान का सम्मान करता है। बड़े महत्त्वपूर्ण अवसरों पर उस गान। को गाया जाता है। यदि किसी दूसरे देश का राष्ट्राध्यक्ष (राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री) हमारे देश में आता है, तब (UPBoardSolutions.com) उसके सम्मान के लिए उसके देश का राष्ट्रगान और हमारा राष्ट्रगान वादकों के द्वारा बजाया जाता है। बड़ी सभाओं के समापन पर राष्ट्रगान का गायन ओवश्यक है। विद्यालयों में प्रार्थना के बाद प्रतिदिन राष्ट्रगान गाया जाता है।

(7) अस्माकं राष्ट्रगानं विश्वकविना कवीन्द्रेण रवीन्द्रेण रचितं ‘जनगणमन’ इति संज्ञया विश्वस्मिन् विश्वे विश्रुतं वर्तते। अस्माकं राष्ट्रगाने भारताङ्गभूतानामनेकप्रान्तानां विन्ध्यहिमालय-पर्वतयोः गङ्गायमुनाप्रभृतिनदी नाञ्चोल्लेखं कृत्वा देशस्य विशालत्वं राष्ट्रस्याखण्डत्वं संस्कृतेः गौरवञ्च विश्वकविना वर्णितम्।।

शब्दार्थ-
संज्ञया = नाम से विश्वस्मिन्
विश्वे = पूरे संसार में।
विश्रुतं = प्रसिद्ध।
प्रभृति = आदि।
अखण्डत्वं = अखण्डता।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्रगान के स्वरूप का वर्णन किया गया है।

कक्षा 9 संस्कृत अनुवाद
हमारा राष्ट्रगान विश्वकवि कवीन्द्र रवीन्द्र द्वारा रचा गया ‘जन-गण-मन’ इस नाम से सारे संसार में प्रसिद्ध है। हमारे राष्ट्रगान में भारत के अंगस्वरूप अनेक प्रान्तों का, विन्ध्याचल और हिमालय पर्वतों का, गंगा-यमुना आदि नदियों का उल्लेख करके विश्वकवि ने देश की विशालता, राष्ट्र की अखण्डता और संस्कृति के गौरव का वर्णन किया है। |

(8) राष्ट्रगानमिदं द्वापञ्चाशत्पलात्मकं भवति। तस्य गाने द्वापञ्चाशत्पलात्मकः-समयोऽपेक्ष्यते। न ततोऽधिको न वा ततो न्यूनः। तस्यारोहावरोहापि निश्चितौ। तत्र विपर्ययः कर्तुं न (UPBoardSolutions.com) शक्यते। राष्ट्रगाने सदोत्थितैः जनैः सावधानमुद्रया गेयम्। राष्ट्रगानावसरेऽङ्गसञ्चालनं निषिद्धम्। चलतोऽपि कस्यचित्कर्णकुहरे गीयमानस्य राष्ट्रगानस्य ध्वनिः दूरादप्यापतति चेत्तदा तत्रैव सावधानमुद्रया तेनाविचलं स्थातव्यम्।राष्ट्रगानं श्रद्धास्पदं भवति।श्रद्धयैवेदं गेयम्। |

शब्दार्थ-
द्वापञ्चाशत्पलात्मकं (द्वांपञ्चाशत् + पल + आत्मकम्) = बावन पल (52 सेकन्ड) वाला।
अपेक्ष्यते = अपेक्षा होती है।
तस्यारोहावरोहापि (तस्य + आरोह + अवरोहौ + अपि) = उसके चढ़ाव और उतार भी।
विपर्ययः = परिवर्तन, विपरीत।
सावधानमुद्रया = सावधान की मुद्रा में।
निषिद्धम् = निषिद्ध, विपरीत।
कर्णकुहरे = कर्ण-छिद्र में।
आपतति = गिरती है, पड़ती है।
चेत् = यदि।
स्थातव्यम् = स्थित होना चाहिए।
श्रद्धास्पदं = श्रद्धा के योग्य।
श्रद्धयैवेदम् (श्रद्धया + एवं+ इदम्) = श्रद्धा से ही इसे। ।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्रगान के गाने का समय, गाने की मुद्रा तथा इसके महत्त्व को बताया गया है।

UP Board Solution Class 9th Sanskrit अनुवाद
यह राष्ट्रगान बावन सेकण्ड का होता है। उसके गाने में बोवन सेकण्ड के समय की आवश्यकता होती है। न उससे अधिक की और न ही उससे कम की। उसके स्वरों का आरोह-अवरोह (चढ़ाव और उतार) भी निश्चित है। उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रगान को सदा खड़े हुए लोगों के द्वारा (UPBoardSolutions.com) सावधान मुद्रा में गाया जाना चाहिए। राष्ट्रगान के अवसर पर अंग हिलाना भी वर्जित । है। यदि चलते हुए भी किसी व्यक्ति के कान के छेद में गाये जाते हुए राष्ट्रगान की ध्वनि दूर से भी आ पड़ती है, तब वहीं पर सावधान मुद्रा में उसे स्थिर खड़े हो जाना चाहिए। राष्ट्रगान श्रद्धायोग्य होता है।. श्रद्धापूर्वक ही इसे गाना चाहिए।

(9) राष्ट्रध्वजः सर्वेषु राष्ट्रप्रतीकेषु राष्ट्रध्वजस्य सर्वाधिक महत्त्वं वर्तते। सर्वस्य स्वतन्त्रराष्ट्रस्य स्वकीयो ध्वजो भवति। तद्देशवासिनो जनाः नराः नार्यश्च स्वराष्ट्रध्वजस्य सम्मानं प्राणपणेन रक्षन्ति।।
त्रिवर्णात्मको मध्येऽशोकचक्राङ्कितोऽस्माकं राष्ट्रध्वजः ‘तिरङ्गा’ शब्देन विश्वे विश्रुतो विद्यते।।

शब्दार्थ
सर्वाधिकम् = सबसे अधिक।
वर्तते = है।
प्राणपणेन = प्राणों के मूल्य से अर्थात् प्राणों की बाजी लगाकर।
त्रिवर्णात्मकः = तीन रंगों वाला।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों में राष्ट्रध्वज के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।

पीयूषम् संस्कृत क्लास ९ अनुवाद
राष्ट्रध्वज-सभी राष्ट्रीय-प्रतीकों में राष्ट्रध्वज का सबसे अधिक महत्त्व है। सभी स्वतन्त्र राष्ट्रों का अपना राष्ट्रध्वज होता है। उस देश के रहने वाले स्त्री और पुरुष अपने राष्ट्रध्वज के (UPBoardSolutions.com) सम्मान की रक्षा प्राणों की बाजी लगाकर करते हैं। तीन रंगों वाला, मध्य में अशोक चक्र से चिह्नित हमारा राष्ट्रध्वज तिरंगा’ शब्द से संसार में प्रसिद्ध है।

(10) ध्वजस्याधोभागः हरितवर्णात्मकः सुखसमृद्धिविकासानां सूचकः, मध्यभागे श्वेतवर्णः ज्ञान-सौहार्द-सदाशयादिसद्गुणानां द्योतकः, ऊर्श्वभागे च स्थितः गैरिकवर्णः त्यागस्य शौर्यस्य च बोधकः। ध्वजस्य मध्यभागस्थितश्वेतवर्णमध्येऽवस्थितमशोकचक्रं धर्मस्य सत्यस्याहिंसायाश्च प्रत्यायकम्। चक्रे चतु:विंशतिशलाकाः पृथगपि चक्रमूले एकत्र सम्बद्धाः भारते भाषाधर्मजातिवर्णालिङ्गभेदेषु सत्स्वपि भारतमेकं राष्ट्रमिति द्योतयन्ति। |

शब्दार्थ-
अधोभागः = निचला भाग।
सौहार्द = बन्धुत्व।
द्योतकः = बतलाने वाला।
गैरिकवर्णः = गेरुआ रंग।
प्रत्यायकम् = विश्वास दिलाने वाला।
चतुःविंशतिशलाकाः = चौबीस तीलियाँ।
सत्स्वपि (सत्सु + अपि) = होने पर भी।
द्योतयन्ति = सूचित करते हैं।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्रध्वज के रंगों के वास्तविक अर्थ का बोध कराया गया है। |

Sanskrit Class 9 UP Board अनुवाद
ध्वज के हरे रंग का नीचे का भाग सुख, समृद्धि और विकास का सूचक है। बीच में सफेद रंग ज्ञान, मैत्री, सदाशयता आदि उत्तम गुणों का बोधक है। ध्वज के ऊपरी भाग पर स्थित केसरिया रंग त्याग और शौर्य (वीरता) को सूचक है। ध्वज के मध्य भाग में सफेद रंग के बीच में स्थित अशोक चक्र धर्म, सत्य (UPBoardSolutions.com) और अहिंसा का विश्वास दिलाने वाला है। चक्र में चौबीस रेखाएँ अलग होती हुई भी चक्र के मूल में एक जगह जुड़ी हुई भारत में भाषा, धर्म, जाति, वर्ण, लिंग के भेदों के होते हुए भी ‘भारत एक राष्ट्र है’ ऐसा सूचित करती हैं।

(11) राष्ट्रध्वजो निर्धारितदीर्घविस्तारपरिमितो भवितव्यः। एषः सदा स्वच्छोऽविकृतवर्णः तिष्ठेत्। जीर्णः शीर्णो विदीर्णो वा ध्वजो नोपयोगयोग्यः। समुच्छ्यिमाणः ध्वजोऽस्तङ्गते सूर्ये समंवतार्य सुरक्षितः संरक्षितव्यः।राष्ट्रियशोकावसरेध्वजोऽर्धमुच्छ्रीयते।।
इत्येतानि राष्ट्रियप्रतीकान्यस्माकं स्वातन्त्र्यस्य प्रत्यायकानि समादृतव्यानि तु सन्त्येव प्राणपणैः रक्षितव्यानि च। |

शब्दार्थ-
परिमितः = निश्चित परिमाण वाला।.
अविकृतवर्णः = शुद्ध रंगों वाला; अर्थात् बिना बिगड़े रंग वाला।
जीर्णः = पुराना।
विदीर्णः = फटा हुआ।
नोपयोगयोग्यः (न + उपयोगयोग्यः) = उपयोग न करने योग्य।
समुच्छ्यिमाणः (सम् + उत् + श्रियमाण:) = ऊपर फहराता हुआ।
समवतार्य = ठीक से उतारकर।
संरक्षितव्य = सुरक्षित रख लेना चाहिए।
इत्येतानि = इस प्रकार ये।
समादृतव्यानि = अधिक आदर करने योग्य। सन्त्येव (सन्ति + एव) = हैं ही।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में राष्ट्रध्वज के स्वरूप एवं उसके फहराये जाने के नियम का उल्लेख है।

UP Board Sanskrit Class 9 अनुवाद
राष्ट्रध्वज निश्चित विस्तार वाला होना चहिए। यह सदा साफ, भद्दे न हुए रंगों वाला होना चाहिए। पुराना, कटा-फटा ध्वज उपयोग के योग्य नहीं है। फहराता हुआ ध्वज सूर्य के छिपने पर उतारकर सुरक्षित रख लेना चाहिए। राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ध्वज आधा (UPBoardSolutions.com) फहराया जाता है।
ये राष्ट्रीय प्रतीक हमारी स्वतन्त्रता का विश्वास दिलाने वाले हैं। ये आदर के योग्य तो हैं ही, साथ ही प्राणपण से रक्षा के योग्य भी हैं।

Kaksha 9 Sanskrit  लघु उत्तरीय प्ररन

UP Board Class 9 Sanskrit Book Pdf प्ररन 1
भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों की गणना कीजिए।
उत्तर
भारत के पाँच राष्ट्रीय प्रतीक हैं, जिनमें ‘मोर’ राष्ट्रीय पक्षी, ‘बाघ’ राष्ट्रीय पशु, ‘कमल’ राष्ट्रीय पुष्प, ‘जन गण मन’ राष्ट्रीय गान और तिरंगा राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकृत हैं। |

UP Board Class 9th Sanskrit Solution प्ररन 2
राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकृत ‘मोर’ की विशेषता लिखिए। यह राष्ट्रवासियों को क्या सन्देश देता है?
उत्तर
मोर अत्यन्त सुन्दर पक्षी है और इसकी बोली भी अत्यधिक मधुर है। इसका भोजन विषैले सर्प हैं। यह हमें सन्देश देता है कि हमें भी सभी से मधुर वाणी में बोलना चाहिए, (UPBoardSolutions.com) अच्छा व्यवहार करना चाहिए और राष्ट्रीय एकता-अखण्डता को नष्ट करने वाले सर्प के समान दुष्ट व्यक्तियों को मार देना चाहिए।

कक्षा 9 संस्कृत की किताब प्ररन 3
राष्ट्रीय पुष्पकमल’ का राष्ट्र के लिए क्या सन्देश है? |
उत्तर
कमल’ कीचड़ में उत्पन्न होता है, शरद् ऋतु में बढ़ता है और खिलकर शोभा पाता है। यह राष्ट्रवासियों को सन्देश देता है कि प्रतिकूल परिस्थितियों के उत्पन्न होने पर भी उन्हें अपना धैर्य बनाये रखना चाहिए और अनुकूल अवसर की प्रतीक्षा करते रहना चाहिए।

Class 9 Sanskrit UP Board Solution प्ररन4
राष्ट्रीय ध्वज में प्रयुक्त अशोक चक्र का क्या महत्त्व है?
उत्तर
राष्ट्रीय ध्वज में प्रयुक्त अशोक चक्र सत्य, धर्म और अहिंसा का बोध कराता है। जिस प्रकार चक्र की शलाकाएँ अलग-अलग होते हुए भी केन्द्र में मिली होती हैं, उसी प्रकार हमें भी भाषा, धर्म, जाति आदि की भिन्नताओं के बाद भी एकजुट होकर रहना चाहिए। यही भावना अशोक चक्र के द्वारा प्रकट होती है।

Class 9 UP Board Sanskrit प्ररन 5
अपने राष्ट्र-गान और राष्ट्रध्वज की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
हमारा राष्ट्र-गान कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित है। इसमें कवि ने भारत के प्रान्तों, पर्वतों और नदियों का उल्लेख किया है, जो राष्ट्र की विशालता, अखण्डता, संस्कृति तथा गौरव को ध्वनित करता है। हमारा राष्ट्रध्वज तीन रंगों वाला है और ‘तिरंगा’ नाम से जाना जाता है। इसका हरा रंग सुख, (UPBoardSolutions.com) समृद्धि और विकास का सूचक है, सफेद रंग ज्ञान, भाईचारा, उच्च विचार जैसे सदगुणों का द्योतक है। और केसरिया रंग त्याग और शूरता का बोधक है। सफेद रंग के मध्य में स्थित चक्र ‘अनेकता में एकता’ को प्रकट करता है।

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