UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 1 गार्गी-याज्ञवल्क्यसंवादः (कथा – नाटक कौमुदी)

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 1
Chapter Name गार्गी-याज्ञवल्क्यसंवादः (कथा – नाटक कौमुदी)
Number of Questions Solved 26
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 1 गार्गी-याज्ञवल्क्यसंवादः (कथा – नाटक कौमुदी)

परिचय-उपनिषद् ग्रन्थ भारतीय मनीषा की आध्यात्मिक चेतना के प्रतीक हैं। वैदिक साहित्य का अन्तिम भाग होने के कारण इन्हें वेदान्त’ भी कहा जाता है। यद्यपि उपनिषदों की संख्या शताधिक है; किन्तु इनमें प्राचीन एवं प्रामाणिक उपनिषदों की संख्या एकादश ही मानी जाती है। बृहदारण्यक् उपनिषद् इन्हीं में से एक है। प्रस्तुत पाठ इसी उपनिषद् में आये हुए एक आख्याने पर आधारित है, जिसमें मिथिलाधिपति (UPBoardSolutions.com) जनक की सभा में महर्षि याज्ञवल्क्य से परमविदुषी गार्गी वैदुष्यपूर्ण शास्त्रार्थ करती है। याज्ञवल्क्य और गार्गी की इस शास्त्र-चर्चा द्वारा हमें इस बात की भी जानकारी होती है कि प्राचीन भारत में स्त्रियाँ उच्च शिक्षित हुआ करती थीं।।

पाठ-सारांश

सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मज्ञानी की खोज- प्राचीनकाल में मिथिला के राजा जनक ने एक यज्ञ किया, जिसमें कुरु और पांचाल देशों से विद्वान् ब्राह्मणों को आमन्त्रित किया गया। राजा जनक ने ब्रह्मविद्या में सर्वाधिक पारंगत विद्वान् का पता लगाने की इच्छा से स्वर्ण-जटित शृंगों वाली एक हजार गायें मँगवाकर सर्वश्रेष्ठं ब्रह्मज्ञानी को सभी गायें ले जाने के लिए कहा। राजा जनक की इस घोषणा को सुनकर सभी ब्राह्मण मौन बैठे रहे, कोई भी उन गायों को ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसी बीच याज्ञवल्क्य ने अपने एक शिष्य को सब गायें अपने आश्रम (UPBoardSolutions.com) ले चलने के लिए कहा। याज्ञवल्क्य की इस बात को सुनकर सभा में उपस्थित सभी ब्राह्मण इसे अपना अपमान मानते हुए याज्ञवल्क्य पर क्रोधित हो गये। |

अश्‍वल की पराजय-राजा जनक के होता (यज्ञ कराने वालों पुरोहित) अश्‍वल के पूछने पर कि क्या आप सर्वोच्च ब्रह्मज्ञ हैं, याज्ञवल्क्य ने कहा कि मैं इन गायों को अपनी आवश्यकता की पूर्ति हेतु ले जा रहा हूँ, ब्रह्मज्ञानी होने के कारण नहीं।’ यह सुनकर अश्वल आदि ब्राह्मणों ने याज्ञवल्क्य को शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी, उनसे शास्त्रार्थ किया और पराजित हो गये।

गार्गी द्वारा प्रश्न और याज्ञवल्क्य द्वारा उत्तर-अश्‍वल आदि अनेक ब्राह्मण विद्वानों के पराजित हो जाने पर वचक्रु ऋषि की पुत्री गार्गी ने याज्ञवल्क्य से ब्रह्मविद्या से सम्बन्धित अत्यधिक गूढ़ प्रश्न पूछे। याज्ञवल्क्य ने बड़ी धीरता से सभी प्रश्नों के क्रम से युक्तिसंगत उत्तर दिये। दोनों के मध्य हुए वार्तालाप का संक्षिप्त-सार इस प्रकार है-जल कहाँ है? अन्तरिक्ष लोक में। अन्तरिक्ष लोक कहाँ है? गन्धर्व लोकों पर पूर्ण रूप से आश्रित है। गन्धर्वलोक किसमें व्याप्त है? अदित्यलोकों में। आदित्यलोक

किसमें व्याप्त है? चन्द्रलोकों में। चन्द्रलोक कहाँ है? नक्षत्रलोकों में। विस्तृत नक्षत्रलोक किसमें व्याप्त है? देवलोक में। देवलोक कहाँ है? इन्द्रलोक में समाहित है। इन्द्रलोक किसमें व्याप्त है? प्रजापति : लोकों में। समस्त प्रजापति लोक किसमें व्याप्त हैं? ब्रह्मलोकों में। ब्रह्मलोक कहाँ है? इस प्रश्न के (UPBoardSolutions.com) उत्तर में याज्ञवल्क्य ने कहा-गार्गी! ब्रह्मलोक को अतिक्रान्तकर प्रश्न मत करो अन्यथा तुम्हारा सिर धड़ से पृथक् होकर गिर जाएगा। याज्ञवल्क्य के ऐसा कहते ही गार्गी शान्त हो गयी।

उद्दालक की पराजय- गार्गी के पश्चात् उद्दालक ने याज्ञवल्क्य से कुछ और प्रश्न पूछे। उन । प्रश्नों का समुचित उत्तर प्राप्त कर वे भी पराजित हुए।

गार्गी के अन्य दो प्रश्न–उद्दालक के पराजित हो जाने पर गार्गी ने उपस्थित ब्राह्मणों से अनुमति पाकर याज्ञवल्क्य से पुन: दो प्रश्न और किये—प्रथम, द्युलोक से ऊपर और पृथ्वीलोक से नीचे क्या है? याज्ञवल्क्य ने उत्तर दिया कि यह सब, आकाश में व्याप्त है।’ गार्गी ने द्वितीय प्रश्न पूछा कि वह आकाश किस पर आश्रित है?’ याज्ञवल्क्य ने उत्तर दिया कि ‘आकाश तो अविनाशी ब्रह्म में ही ओत-प्रोत है।’

गार्गी की सन्तुष्टि-याज्ञवल्क्य के युक्तिसंगत उत्तरों से सन्तुष्ट होकर गार्गी ने उपस्थित सभी ब्राह्मणों के समक्ष घोषणा की कि आप में से कोई भी याज्ञवल्क्य को ब्रह्मविद्या में नहीं जीत सकता; अतः आप सभी विद्वान् उन्हें ससम्मान प्रणाम करके अपने-अपने स्थान को वापस चले जाएँ। । प्रस्तुत पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति को पूर्ण ज्ञान-सम्पन्न होने पर भी कभी ज्ञानाभिमान नहीं करना चाहिए, क्रोध को सदैव नम्रता से जीतना चाहिए, सत्य बात को बिना किसी आपत्ति के स्वीकार कर लेना चाहिए तथा ब्रह्मज्ञान निस्सीम है, यह मानना चाहिए।

चरित्र – चित्रण

गार्गी

परिचय-गार्गी महर्षि वचक्रु की पुत्री थी। गर्ग गोत्र में उत्पन्न होने के कारण उसका नाम गार्गी रख दिया गया था। लोगों की इस दिग्भ्रमित अवधारणा को; कि प्राचीनकाल में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी; इस प्रकरण के माध्यम से दिशा दी गयी है कि उस समय स्त्रियाँ पुरुषों के समान उच्च शिक्षा (UPBoardSolutions.com) प्राप्त हुआ करती थीं। गार्गी की विद्वत्ता से इसकी पुष्टि भी हो जाती है। गार्गी की मुख्य चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं|

(1) परम-विदुषी– गार्गी अपने समय की एक असाधारण विदुषी महिला थी। विद्वानों में उनकी गणना की जाती थी। आज भी विदुषी महिलाओं में गार्गी का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। राजा जनक की सभा में उसने याज्ञवल्क्य से ब्रह्मविद्या पर शास्त्रार्थ किया था और अपने प्रश्नों से विद्वत्समाज को चकित कर दिया था। उसकी शास्त्रार्थ-पद्धति भी बड़ी सुलझी हुई और रोचक थी। उसे ब्रह्मविद्या, वेदशास्त्रों का उच्च ज्ञान था। उसके सामने सभी विद्वान् नतशिर रहते थे।

(2) निरभिमानिनी-परम-विदुषी होते हुए भी गार्गी सरल हृदय थी। उसे अपने ज्ञान का लेशमात्र भी गर्व नहीं था। याज्ञवल्क्य द्वारा ब्रह्मलोक से ऊपर के प्रश्न करने से मना करने पर वह चुप हो जाती है। वह याज्ञवल्क्य से पुनः प्रश्न करने के लिए ब्राह्मणों से अनुमति माँगती है (UPBoardSolutions.com) और प्रश्न के उत्तर से प्रभावित होकर, उनकी विद्वत्ता को स्वीकार कर वह याज्ञवल्क्य को नमन करती है। वह हठधर्मिणी और कुतर्की नहीं है।

(3) निर्भीक एवं स्पष्टवक्ता- गार्गी विदुषी होने के साथ-साथ अत्यधिक निर्भीक थी। वह राजा जनक की विद्वभूयिष्ठ सभा में अकेली याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ करने का साहस रखती थी। उसके प्रत्येक प्रश्न के पीछे उसका आत्मविश्वास और निर्भीकता छिपी हुई थी। शास्त्रार्थ के अन्त में, वह निर्भीकतापूर्वक सभी विद्वानों से स्पष्ट कह देती है कि कोई भी याज्ञवल्क्य को पराजित नहीं कर सकता।

(4) सुसंस्कृत एवं शीलसम्पन्ना– गार्गी विदुषी होने के साथ-साथ सुसंस्कृत भी है। वह सभी ब्राह्मणों के क्रोधित होने पर भी क्रोधित नहीं होती और शास्त्रार्थ में याज्ञवल्क्य के लिए विद्वज्जनोचित सम्बोधन प्रयुक्त करती है; यथा-”भगवन्! गन्धर्व लोकाः कस्मिन्?” ब्रह्मर्षे कुत्र खलु ब्रह्मलोकाः?” वह याज्ञवल्क्य के “हे गार्गि! ब्रह्मलोकमप्यतिक्रम्य ततः ऊर्ध्वस्य तदाधारस्य प्रश्न मा कुरु, अन्यथा चेत्ते मूर्नः पतनं भविष्यति।” वाक्य को सुनकर भी उत्तेजित नहीं होती। यह उसकी शीलसम्पन्नता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि गार्गी परम-विदुषी, निर्भीक और निरभिमानिनी होने के .. साथ-साथ उच्चकुलोत्पन्न एवं विनीत आदर्श भारतीय महिला है। उसकी बुद्धि तार्किक और तीक्ष्ण है। हमें गार्गी जैसी विदुषी भारतीय महिलाओं पर गर्व होना चाहिए।

लघु-उत्तरीय संस्कृत प्रश्‍नोत्तर

अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखिए-

Gargi Ka Charitra Chitran प्रश्‍न 1
जनकः कः आसीत्?
उत्तर
जनक: मिथिलायाः नृपः आसीत्।।

गार्गी का चरित्र चित्रण प्रश्‍न 2
जनकस्य यज्ञे कुतः ब्राह्मणाः समागताः? उत्तर-जनकस्य यज्ञे कुरु-पाञ्चालदेशेभ्यः ब्राह्मणाः समागताः।

UP Board Solution Class 9 Sanskrit प्रश्‍न 3
याज्ञवल्क्यः स्वशिष्यं किमकथयत्?
उत्तर
याज्ञवल्क्यः स्वशिष्यम् अकथयत्-हे सोमाई! एता: गाः अस्मद्गृहान् नयतु।’

Class 9 Sanskrit UP Board प्रश्‍न 4
जनकस्य होता कः आसीत्?
उत्तर
जन उत्तर–जनकस्य होता अश्वलनामा ब्राह्मणः आसीत्।

UP Board Class 9 Sanskrit Solution प्रश्‍न 5
ब्राह्मणाः सकोपं कं किमूचुः?
उत्तर
ब्राह्मणाः सकोपं याज्ञवल्क्यम् ऊचुः यत् कथं नः अनादृत्य त्वमात्मानं ब्रह्मिष्ठं मन्यसे?

संस्कृत कक्षा 9 UP Board प्रश्‍न 6
अश्वलेन पृष्टः याज्ञवल्क्यः किमुदतरत्?
उत्तर
अश्वलेन परिपृष्टः याज्ञवल्क्यः उदरत् यत् अस्माभिः गोकामनया एवं गाः नीता, न तु ब्रह्मिष्ठत्वाभिमानात्।।

Class 9th Sanskrit UP Board प्रश्‍न 7
प्रथमं गार्गी याज्ञवल्क्यम् किमपृच्छत्?
उत्तर
प्रथमं गार्गी याज्ञवल्क्यम् अपृच्छत् यत् इदं दृश्यमानं पार्थिवं सर्वमप्सु ओतञ्च प्रोतञ्च, ता: आपः कस्मिन् खलु ओताः प्रोताश्च।

UP Board Solution Class 9th Sanskrit प्रश्‍न 8
याज्ञवल्क्यः गार्गी किं प्रत्युवाच प्रथमम्?
उत्तर
याज्ञवल्क्यः गार्गी प्रथमं प्रत्युवाच यत् ताः आपः वायो ओताश्च प्रोताश्च सन्ति।

Class 9 Sanskrit प्रश्‍न 9
गाग्र्याः द्वितीयप्रश्नस्य याज्ञवल्क्यः किमुत्तरं दत्तवान्?
उत्तर
गाग्र्याः द्वितीयप्रश्नस्य याज्ञवल्क्यं उत्तरं दत्तवान् यत् ‘आकाशस्त्वक्षरे परब्रह्मण्येव ओतश्च प्रोतश्च।

Sanskrit Class 9 UP Board प्रश्‍न 10
याज्ञवल्क्येन प्रयुक्ता गार्गी किमकथयत्?
उत्तर
याज्ञवल्क्येन प्रयुक्ता गार्गी ‘ब्रह्मवादं प्रति याज्ञवल्क्यस्य जेता नास्ति’ इति अकथयत्।

वस्तुनिष्ठ  प्रश्‍नोत्तर

अधोलिखित प्रश्नों में से प्रत्येक प्रश्न के उत्तर रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। इनमें से एक विकल्प शुद्ध है। शुद्ध विकल्प का चयन कर अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए

UP Board Sanskrit Class 91.
‘गार्गी-याज्ञवल्क्यसंवादः’ नामक पाठ किस उपनिषद् से संगृहीत है?

(क) श्वेताश्वतर से
(ख) माण्डूक्य से।
(ग) बृहदारण्यक से
(घ) छान्दोग्य से

UP Board Class 9 Sanskrit Book Pdf 2.
‘गार्गी-याज्ञवल्क्यसंवाद’ में यज्ञ करने वाले व्यक्ति थे
(क) जनक 
(ख) याज्ञवल्क्य
(ग) उद्दालक
(घ) अश्वल

Class 9 Sanskrit UP Board Solution 3.
राजा जनक के यज्ञ में किन देशों से विद्वान् आये थे? 

(क) पांचाल देश से
(ख) मिथिला देश से।
(ग) पांचाल और कुरु देशों से 
(घ) कुरु देश से

Class 9 UP Board Sanskrit 4.
जनक के होता (यज्ञ कराने वाला पुरोहित ) का नाम था

(क) उद्दालक
(ख) अश्वल
(ग) याज्ञवल्क्य
(घ) गार्गी

UP Board Class 9 Sanskrit 5.
राजा जनक ने किसको सुवर्णजटित सींगों वाली हजार गायें ले जाने के लिए कहा?

(क) सर्वश्रेष्ठ मुनि को
(ख) सर्वश्रेष्ठ होता को
(ग) सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मविद् को 
(घ) सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण को

यूपी बोर्ड कक्षा 9 संस्कृत 6.
गार्गी के पश्चात् याज्ञवल्क्य से किसने शास्त्रार्थ किया?

(क) अश्वल ने
(ख) सोमार्स ने
(ग) उद्दालक ने
(घ) जनक ने

UP Board Class 9 Sanskrit Book Solution 7.
शास्त्रार्थ में कौन विजयी घोषित किया गया?

(क) अश्वल
(ख) उद्दालक
(ग) याज्ञवल्क्य
(घ) गार्गी

कक्षा 9 संस्कृत पाठ्यक्रम 8.
याज्ञवल्क्य ने गार्गी के मूर्धापतन की बात क्यों कही?

(क) याज्ञवल्क्य गार्गी के प्रश्न का उत्तर नहीं जानते थे
(ख) याज्ञवल्क्य गार्गी को भयभीत करना चाहते थे।
(ग) याज्ञवल्क्य शास्त्रार्थ समाप्त करना चाहते थे।
(घ) याज्ञवल्क्य ब्रह्मज्ञान की निर्धारित सीमा का अतिक्रमण नहीं चाहते थे

UP Board Class 9th Sanskrit Solution 9.
गार्गी ने याज्ञवल्क्य के मूर्धापतन की बात क्यों कही?
(क) गार्गी याज्ञवल्क्य से बदला लेना चाहती थी ।
(ख) गार्गी याज्ञवल्क्य के ब्रह्मज्ञान की परीक्षा लेना चाहती थी ।
(ग) गार्गी याज्ञवल्क्य को पराजित करना चाहती थी।
(घ) गार्गी राजा जनक की गायें ले जाना चाहती थी। .

Kaksha 9 Ki Sanskrit 10.
‘राजा ……….. स्वजिज्ञासाप्रशमनार्थं स्वगोष्ठे स्वर्णशृङ्गयुताम् गवां सहस्रमवरुरोध।’ में
 रिक्त स्थान में आएगा
(क) जनकः
(ख) दशरथः
(ग) हरिश्चन्द्रः
(घ) हर्षवर्द्धनः

Class9 Sanskrit 11.
‘हे सोमाई! एताः गाः अस्मद् गृहान् नयतु।’ वाक्यस्य वक्ता कः अस्ति?

(क) याज्ञवल्क्यः
(ख) अश्वलः
(ग) गार्गी.
(घ) उद्दालकः

12. गार्गी कस्याः पुत्री आसीत्?
(क) उद्दालकस्य
(ख) विश्वामित्रस्य
(ग) वचक्रुः
(घ) वशिष्ठस्य।

13.’युष्माकं मध्ये इमं याज्ञवल्क्यं ब्रह्मवादं प्रति नैवास्ति कश्चिदपि •••••••••।’ में रिक्त स्थान में आएगा
(क) जयति ।
(ख) जयावे
(ग) जयेव
(घ) जेता।

14.’हे ब्राह्मणाः! इमं याज्ञवल्क्य महं प्रश्नद्वयं•••••••• में वाक्य-पूर्ति होगी
(क) प्रक्ष्यामि’ से
(ख) वदिष्यामि’ से।
(ग) “कथयामि’ से
(घ) “भविष्यामि’ से

15. इन्द्रलोकेषु कस्मिन् लोके समाहिताः?
(क) आदित्यलोकाः
(ख) गन्धर्वलोकाः
(ग) नक्षत्रलोकाः
(घ) देवलोकाः 

16.’अन्तरिक्षलोकाः••••••••••• लोकेष कात्स्येन आश्रिताः।’ में वाक्य-पूर्ति होगी–
(क) ‘आदित्य’ से
(ख) ‘चन्द्र’ से
(ग) ‘नक्षत्र से
(घ) “गन्धर्व’ से

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