UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

Free PDF download of UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग we will provide you with the latest version of UP Board solutions for Class 9. The Home Science chapter wise exercise questions with solutions will help you to complete your class work, revise important concepts and get higher marks in Class 9 exams.

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
मरहम-पट्टी ( ड्रेसिंग ) से क्या अभिप्राय है? प्राथमिक चिकित्सा में पट्टियाँ बाँधने के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
मरहम-पट्टी का अर्थ एवं प्रकार

प्राथमिक चिकित्सा में सर्वाधिक आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण कार्य है-दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मरहम-पट्टी करना। किसी भी प्रकार की चोट लग जाने या घाव हो जाने पर रोगी की मरहम-पट्टी की जाती है। मरहम-पट्टी के अन्तर्गत चोट या घाव को किसी नि:संक्रामक घोल से साफ करके उस पर मरहम (UPBoardSolutions.com) लगाकर पट्टी बाँधी जाती है। चोट एवं घाव के अतिरिक्त कुछ अन्य दशाओं में भी मरहम-पट्टी की जाती है। सैद्धान्तिक रूप से मरहम-पट्टी के निम्नलिखित दो प्रकार होते हैं

(1) सूखी मरहम-पट्टी,
(2) गीली मरहम-पट्टी।

(1) सूखी मरहम-पट्टी:
इसका प्रयोग घाव की रक्षा करने, उसके भरने तथा उस पर दबाव डालने के लिए किया जाता है। सामान्यतः ये पट्टियाँ जालीदार महीन कपड़े की बनी होती हैं तथा नि:संक्रमित अवस्था में प्लास्टिक पेपर में बन्द रहती हैं। आकस्मिक दुर्घटना के समय इनके उपलब्ध होने तक इनके स्थान पर स्वच्छ फलालेन कपड़े के टुकड़े, रूमाल अथवा कागज का उपयोग किया जा सकता है।

(2) गीली मरहम-पट्टी:
ये दो प्रकार की होती हैं

(क) ठण्डी पट्टी:
यह पीड़ा, सूजन तथा आन्तरिक रक्तस्राव को कम करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। ये स्वच्छ कपड़े, रूमाल अथवा फलालेन के कपड़े की चार तह करके ठण्डे पानी में भिगोकर प्रभावित अंगों पर रखी जाती हैं। इन्हें गीला एवं ठण्डा बनाए रखने के लिए समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।

(ख) गर्म पट्टी:
इनका उपयोग गुम चोट की पीड़ा को कम करने, फोड़ों को पकाने तथा सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। ठण्डी पट्टी के समान इसे भी कपड़े की चार तह करके (UPBoardSolutions.com) बनाया जाता है. तथा गर्म पानी में भिगोकर प्रभावित अंग पर रखा जाता है। प्रभावित अंग को लगातार गर्मी प्रदान करने के लिए पट्टी को बार-बार बदलते रहना चाहिए।

प्राथमिक चिकित्सा में पट्टियों के उद्देश्य एवं महत्त्व

प्राथमिक चिकित्सा में पट्टियों का अपना विशेष महत्त्व है। इसकी पुष्टि के लिए पट्टियों को प्रयोग करने में निम्नलिखित उद्देश्यों का अवलोकन करना आवश्यक है

  1. पट्टियों के प्रयोग करने का एक उद्देश्य घाव को बढ़ने अथवा फैलने से रोकना होता है, जिससे कि चोटग्रस्त अंग अधिक गम्भीर न हो सके।
  2.  पट्टियाँ प्रायः नि:संक्रमित होती हैं; अत: इनका प्रयोग कर घाव को ढकने से घाव वायु में उपस्थित हानिकारक जीवाणु के संक्रमण से सुरक्षित हो जाता है।
  3. चोटग्रस्त अंग पर औषधि एवं खपच्चियों को यथास्थान बनाए रखने के लिए पट्टियों का प्रयोग किया जाता है। दवा लगाकर पट्टी बाँध देने पर दवा के पुछ जाने या अरु जाने की आशंका नहीं रहती।
  4. घायल अंग अथवा अंगों को सहारा देने के लिए झोल के रूप में पट्टियों का प्रयोग किया जाता है।
  5.  घाव पर उचित मात्रा में दबाव डालने के लिए पट्टियों का प्रयोग करते हैं। इससे सूजन या तो कम हो जाती है या फिर बढ़ती नहीं है।
  6. चोट अथवा घाव आदि को फिर से चोट या धक्का लगने से बचाने के लिए प्रायः पट्टियों का उपयोग किया जाता है।
  7.  रक्तस्त्राव को कम करने के लिए अथवा बन्द करने के लिए घायल अंग पर कसकर पट्टियाँ बाँधी जाती हैं।
  8.  पट्टियाँ बाँधने से क्षतिग्रस्त धमनियों एवं पेशियों को आराम मिलता है तथा दर्द में कमी आती है।
  9. रोगियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए भी पट्टियों का प्रयोग किया जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2:
लुढ़की अथवा लम्बी पट्टियों का प्रयोग कब किया जाता है? भुजा एवं टाँग के चोटग्रस्त होने पर लम्बी पट्टियाँ किस प्रकार बाँधी जाती हैं?
उत्तर:
लम्बी पट्टियों का प्रयोग:
ये प्राय: 5 मीटर लम्बी होती हैं; परन्तु सीने एवं सिर पर बाँधने के लिए ये 8 मीटर तक लम्बी हो सकती हैं। भिन्न अंगों के लिए इनकी चौड़ाई भिन्न होती है। इन्हें मशीन अथवा हाथ द्वारा लपेटा जा सकता है। इनके प्रयोग करने के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. घाव अथवी चोट पर रुई, औषधि एवं खपच्चियों को यथास्थान बनाए रखने के लिए।
  2. घायल अंगों को सहारा देने के लिए।
  3.  सूजन कम करने तथा घाव पर उचित दबाव डालने के लिए।
  4. रक्त-स्राव रोकने के लिए तथा रक्त-प्रवाह की दिशा को बदलने के लिए।

(क) भुजा अथवा अग्रबाहु पर लम्बी पट्टियाँ बाँधने की विधियाँ

(i) अँगूठे की पट्टी बाँधना:
अँगूठे की पट्टी बाँधने के लिए लगभग 2.5 सेन्टीमीटर चौड़ी तथा 1.5 मीटर लम्बी पट्टी की आवश्यकता होती है। इसे बाँधने के लिए कलाई के पृष्ठ तल पर एक सिरा रखकर दो लपेट लगाते हैं। पट्टी को छोटी उँगली की ओर लपेटते हुए हथेली पर से अंगूठे के नाखून की ओर एक फेरा अँगूठे के चारों (UPBoardSolutions.com) ओर लगाते हैं; अत: यह पट्टी अँगूठे के बाहरी किनारों की ओर होगी। अब अँगूठे के चारों ओर इसे लपेटते हुए अंगूठे के भीतरी किनारे की ओर लाया जाता है और इसी प्रकार और चक्कर लगाए जाते हैं। प्रत्येक चक्कर में पहली पट्टी की चौड़ाई का लगभग 1/3 भाग ढक दिया जाता है। इस प्रकार लपेटी गई पट्टी जब कलाई के पास पहुँच जाती है, तब कलाई पर पट्टी के दो चक्कर लगाकर या तो पहले छोर के साथ गाँठ बाँध दी जाती है। अथवा सेफ्टी पिन की सहायता से पट्टी को जोड़ दिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

(ii) उँगली की पट्टी बाँधना:
यह पट्टी भी 2.5 सेन्टीमीटर चौड़ी तथा 1.5 मीटर लम्बी होती है। इसे । भी कलाई के पृष्ठ भाग से प्रारम्भ करना चाहिए और 1-2 लपेट देने के बाद उँगली के नाखून तक ले जाना चाहिए। अँगूठे की तरह ही क्रमशः आगे से पीछे की ओर पट्टी को लपेटते हुए जब पट्टी हथेली पर पहुँच जाए तो अँगूठे की ओर ले जाकर कलाई के चारों ओर लपेटकर पहले छोर से बाँध देते हैं अथवा सेफ्टी पिन की सहायता से पट्टी को जोड़ देते हैं।

(iii) हथेली की पट्टी बाँधना:
इसके लिए लगभग 5 सेन्टीमीटर चौड़ी पट्टी की आवश्यकता होती है। घायल व्यक्ति की हथेली को नीचे रखकर प्राथमिक चिकित्सक को उसके सामने खड़ा होना चाहिए। अब पट्टी के सिरे को छोटी उँगली के पास रखकर अँगूठे की ओर ले जाते हैं तथा उँगलियों के चारों ओर दो-तीन बार लपेट (UPBoardSolutions.com) देते हैं। इसके बाद पट्टी को अँगूठे और हथेली के कोण । से निकालकर हथेली के पृष्ठ भाग की ओर ले । जाते हैं जहाँ से कलाई की ओर ले जाकर कलाई पर एक चक्कर लगाकर वापस लौटा लेते हैं। इस बार यह चक्कर छोटी अँगली की ओर जाएगा।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

छोटी उँगली के नाखून से नीचे तक तथा उँगलियों के नीचे से निकाल लिया जाता है। इस प्रकार, क्रमशः उँगलियों से कलाई की ओर तथा कलाई से अँगूठे की ओर (UPBoardSolutions.com) आवश्यकतानुसार कुछ चक्कर लगाए जाते हैं। हर बार पट्टी के पिछले चक्कर का कुछ भाग ढक देने से पट्टी के खुलने का भय नहीं रहता है। अन्तिम रूप में पट्टी को कलाई पर ही पहले सिरे के साथ बाँध दिया जाता है अथवा सेफ्टी पिन के साथ जोड़ दिया जाता है।

(iv) अग्रबाहु की पट्टी बाँधना:
यह पट्टी लगभग 5-7 सेन्टीमीटर चौड़ी होती है। इसके सिरे को अँगूठे के सिरे की ओर रखा जाता है तथा कलाई के भीतर की।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

ओर से बाहर की ओर लाया जाता है। अब इस पट्टी को । अँगूठे की ओर से छोटी उँगली की ओर उसके प्रथम जोड़। पर लम्बी पट्टी बाँधना तक लाया जाता है और हथेली की ओर से लेते हुए अँगूठे। और उँगलियों के स्थान से हथेली के पृष्ठ भाग पर लाया जाता है। इस प्रकार दो-तीन चक्कर लगाए जाते हैं। बाद में कलाई पर सीधे दो-तीन चक्कर लगाकर कोहनी की तरफ लपेटते हुए, ध्यान रहे कि हर बार पिछली पट्टी इससे ढकती रहे, जब कोहनी के पास पहुँच जायें तो पट्टी के सिरे कों एक या दो लपेट देकर सेफ्टी पिन की सहायता से जोड़ देते हैं। बड़ी झोली में अग्रबाहू डालकर सहारा दिया जाता है।

(ख) टाँग पर पट्टी बाँधने की विधियाँ:

(i) घटने तथा कोहनी पर पट्टी बाँधना:
घटने। अथवा भुजा की कोहनी पर लगभग 7 सेन्टीमीटर चौड़ी पट्टी बाँधी जाती है। पहले पट्टी के खुले सिरों को जोड़ में भीतरी सतह पर रखकर एक-दो चक्कर लगाने (UPBoardSolutions.com) चाहिए। उसके उपरान्त क्रमशः जोड़ के ऊपर-नीचे लटके हुए ‘8’ की आकृति एक के बाद एक कई बार बनानी चाहिए। जब जोड़ पूरा ढक जाए तो पट्टी को सेफ्टी पिन से अटका देना चाहिए। यदि चोट बाँह में हो, तो उसे झोली में लटका देना चित्र चाहिए।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

(ii) तलुए तथा एड़ी पर पट्टी बाँधना:
दोनों स्थानों पर लगभग 7 सेन्टीमीटर चौड़ी पट्टी प्रयोग में लाई जाती है। पैर को सुविधाजनक स्थिति में रखकर पट्टी को टखने के जोड़ पर इस प्रकार रखा जाता है। कि इसका खुला सिरा टखने पर रहे और फिर टखने के जोड़ पर दो लपेट इस प्रकार लगाए जाते हैं कि जोड़ पूरी । तरह ढक जाए। (UPBoardSolutions.com) इसके बाद पट्टी को पैर के ऊपर से ले जाकर छोटी उँगली के सिरे तक ले जाते हैं और यहाँ से पैर के ऊपर एक सीधा चक्कर लगा देते हैं। अब शेष चक्कर ‘8’ का अंक बनातेहुए लगाते हैं। इस प्रकार पुरा तलुओ। ढक दिया जाता है। अब या तो पहले सिरे के साथ गाँठ बाँध दी जाती है अथवा सेफ्टी पिन द्वारा पट्टी को जोड़ दिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

एड़ी पर पट्टी बाँधते समय पट्टी को टखने के जोड़ के ऊपर से बाँधना आरम्भ करते हैं। एक-दो लपेट एड़ी पर देने के पश्चात् पट्टी तलुए तक पहुँचाते हैं। तलुए के नीचे से निकालकर छोटी उँगली की दिशा में पहले चक्कर की तरह पट्टी एड़ी पर से तिरछी ली जाती है तथा तीन-चार बार लपेट देकर एड़ी
टखने को पूरी तरह ढक देते हैं।

(iii) ट्राँग की पट्टी बाँधना:
अग्रबाहु की तरह टाँग की पट्टी भी 5-7 सेन्टीमीटर चौड़ी होती है। इसके बाँधने का ढंग भी बिल्कुल अग्रबाहु के समान होता है।

प्रश्न 3:
भुजा एवं टाँगों पर बाँधी जाने वाली तिकोनी पट्टियों की विभिन्न विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
तिकोनी पट्टियों के प्रयोग से कुछ विशिष्ट अंगों को आवश्यकतानुसार बाँधकर प्रभावित स्थान को ढकने, पीड़ा कम करने तथा उपयुक्त दबाव डालना आदि महत्त्वपूर्ण कार्य किए जा सकते हैं। तिकोनी पट्टियों को भुजा एवं टाँग पर निम्नलिखित प्रकार से बाँधा जा सकता है

(क) भुजा पर तिकोनी पट्टी बाँधना

(i) हाथ की पट्टी बाँधना:
तिकोनी पट्टी को फैलाकर उसके आधार वाले भाग को लगभग चार सेन्टीमीटर अन्दर की ओर मोड़ दिया जाता है। घायल हाथ को पट्टी के मध्यम भाग में इस प्रकार रखा जाता है कि उँगली पट्टी के शीर्ष की ओर रहे। शीर्ष को मोड़कर कलाई तक ले जाते हैं। पट्टी के आधारीय दोनों सिरों को दोनों हाथों से पकड़कर एक-दूसरे की विपरीत दिशा में खींचकर लपेटते हैं। तथा कलाई पर ‘रीफ’ गाँठ बाँध देते हैं। यदि आवश्यकता हो, तो चोटग्रस्त हाथ को सँकरी झोली द्वारा लटका देते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

(ii) कोहनी की पट्टी बाँधना:
कोहनी पर बाँधने के लिए एक छोटी पट्टी को फैलाकर उसके आधारीय भाग को हाथ की पट्टी के अनुसार थोड़ा-सा अन्दर की ओर मोड़ लेते हैं। अब कोहनी को समकोण पर मोड़कर पट्टी को इस प्रकार रखा जाता है कि उसका शीर्ष कन्धे की ओर रहे और आधारीय भाग आगे की ओर अग्रबाहु पर। रहे। (UPBoardSolutions.com) अब आधारीय दोनों सिरों को दोनों हाथ से पकड़कर कोहनी के ऊपरी भाग से एक-दूसरे के विपरीत दिशा में लपेटकर ‘रीफ गाँठ बाँध दी जाती है। शीर्ष का बचा हुआ भाग गाँठ के ऊपर लाकर सेफ्टी पिन द्वारा पट्टी से जोड़ दिया जाता है। भुजा को आराम देने के लिए बड़ी झोली में डाल दिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

(iii) कन्धे की पट्टी बाँधना:
इस कार्य के लिए तिकोनी पट्टी के आधारीय भाग को अन्दर की ओर मोड़ते हैं। प्राथमिक चिकित्सक चोटग्रस्त व्यक्ति के घायल कन्धे की ओर खड़ा होकर पट्टी को इस प्रकार रखे कि पट्टी को शीर्ष भाग गर्दन के पास कन्धे पर रहे तथा आधार को मध्य भाग कोहनी से ऊपर रहे। अब पट्टी के दोनों आधारीय सिरों को दोनों हाथों में पकड़कर बाँह के नीचे से विपरीत दिशा में घुमाकर सामने की ओर ‘रीफ’ गाँठ लगा देते हैं। हाथ को कोहनी पर समकोण की दिशा में रखकर झोली में डाल देते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

(ख) टाँग की पट्टी बाँधना

(i) पैर की पट्टी बाँधना:
इसे भी हाथ के समान ही बाँधा जाता है। पट्टी के आधारीय भाग को थोड़ा-सा अन्दर की ओर मोड़ लिया जाता है।
चित्र 18.8-कन्धे की पट्टी बाँधना, घायल पैर को पट्टी के ऊपर इस प्रकार रखा जाता है कि उँगली शीर्ष की ओर रहे। एड़ी आधार से थोड़ी अन्दर रहनी चाहिए। शीर्ष को मोड़कर पैर के ऊपर लाया जाता है तथा आधारीय जोड़ के पास से ऊपर के भाग पर । दोनों सिरों को विपरीत दिशा में घुमाकर (UPBoardSolutions.com) चारों ओर लपेट देते हैं। अब दोनों सिरों में आगे की ओर ‘रीफ’ गाँठ बाँध देते हैं। शीर्ष के शेष भाग को पट्टी के ऊपर से खींचकर गाँठ को ढकते हुए मोड़कर आगे की ओर सेफ्टी पिन की सहायता से जोड़ दिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

(ii) घुटने की पट्टी बाँधना:
पट्टी के आधारीय भाग को अन्य पट्टियों की तरह मोड़कर घुटने पर इस प्रकार रखा जाता है कि शीर्ष का भाग घुटने के ऊपर कमर की ओर सामने रहे तथा आधारीय भाग घुटने के नीचे रहे। आधारीय दोनों सिरों को दोनों हाथों में पकड़कर टाँग के चारों ओर लपेटना चाहिए तथा लपेटते हुए घुटने के (UPBoardSolutions.com) ऊपर ले जाकर आगे की ओर ‘रीफ’ गाँठं के द्वारा बाँधा जाता है। इस प्रकार शीर्ष पट्टी के नीचे की ओर से निकला रहता है जिसे खींचकर तथा मोड़कर सेफ्टी पिन की सहायता से घुटने से जोड़ दिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

(iii) जाँघ तथा कूल्हे की पट्टी बाँधना:
जाँघ पर बाँधने के लिएदो तिकोनी पट्टियों की आवश्यकता होती है। एक पट्टी का आधारीय भाग अन्य पट्टियों की तरह अन्दर की ओर मोड़ दिया जाता है। इसी भाग को जाँघ के ऊपर इस प्रकार रखा जाता है कि पट्टी का शीर्ष कूल्हे की ओर कमर पर रहे। दोनों आधारीय सिरों को दोनों हाथों में पकड़कर एक-दूसरे के विपरीत दिशा में जाँघ के ऊपर लपेटकर सामने की ओर ‘रीफ’ गाँठ के द्वारा बाँधा जाता है। दूसरी (UPBoardSolutions.com) पट्टी को सँकरी बनाकर कमर पर इस प्रकार बाँधा जाता है कि पहली पट्टी का शीर्ष इसके नीचे दब जाए। सँकरी पट्टी का सिरा ‘रीफ’ गाँठ के द्वारा उचित स्थान पर बाँधा जाता है। अब पहली पट्टी के शीर्ष को ऊपर की ओर थोड़ा खींचकर गाँठ.. के ऊपर से ढकते हुए नीचे की ओर मोड़कर सेफ्टी पिन की सहायता से पट्टी के साथ जोड़ दिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

प्रश्न 4:
सिर पर बाँधते समय तिकोनी वलम्बी पट्टियों का प्रयोग किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
मस्तिष्क एवं अनेक नाड़ियाँ सिर में सुरक्षित रूप में स्थित होती हैं। सिर मानव शरीर का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। सिर में लगने वाली छोटी-सी चोट भी उपयुक्त देख-रेख न होने पर घातक सिद्ध हो सकती है। इसलिए प्रत्येक प्राथमिक चिकित्सक को सिर पर पट्टी बाँधने की भली प्रकार से जानकारी होनी अति आवश्यक है। सिर में चोट लगने पर तिकोनी व लम्बी दोनों प्रकार की पट्टियों का प्रयोग किया जाता है।

(1) सिर की तिकोनी पट्टी बाँधना:
सिर पर चोट लगने पर घायल भाग पर रुई व औषधि यथास्थान रखने के लिए तथा घाव को भली-भाँति ढकने के लिए तिकोनी पट्टी का प्रयोग किया जाता है। पट्टी बाँधते समय निम्नलिखित नियम अपनाएँ

  •  पट्टी के आधारीय भाग को थोड़ा-सा अन्दर की ओर मोड़ लें। अब पट्टी को सिर पर इस प्रकार रखें कि आधारे का मुड़ा हुआ भाग भौंहों के निकट हो तथा सिरा पीछे की ओर रहे।

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

  •  पट्टी के दोनों सिरों को कान के ऊपर से सिर के पीछे की ओर ले जाकर तथा फिर वापस लपेटकर सामने की ओर माथे पर लाना चाहिए। माथे के बीच में दोनों सिरों को लेकर रीफ’ गाँठ द्वारा बाँधे। द्वारा बॉधे।
  • पट्टी के शीर्ष-भाग को थोड़ा खींचकर मोड़ दें तथा इसे शेष पट्टी से सेफ्टी पिन द्वारा जोड़ दें।
  • प्राथमिक चिकित्सक को पट्टी बाँधते समय घायल व्यक्ति को किसी कुर्सी अथवा स्टूल पर बैठाना चाहिए।

(2) सिर पर लम्बी पट्टी बाँधना:
सिर के लिए लगभग पाँच सेन्टीमीटर चौड़ी व सात से आठ मीटर लम्बी दो पट्टियों की आवश्यकता होती है। दोनों पट्टियों के सिरे बाँधकर गाँठ को । रोगी के माथे के मध्य में रखते हैं। प्राथमिक चिकित्सक को रोगी के पीछे खड़े होकर दोनों । पट्टियों को विपरीत दिशा में लपेटते हुए दोनों हाथों से कानों के ऊपर सिर के पीछे ले जाकर मोड़ देना चाहिए। अब दाएँ हाथ की पट्टी को मोड़कर सिर के बीच से सामने माथे की ओर लाते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

बाएँ हाथ की पट्टी को बाएँ कान के ऊपर से ले जाकर माथे के मध्य में ले आते हैं। जो पट्टी दाएँ हाथ से माथे पर लाई गई थी उसके ऊपर से बाएँ हाथ की पट्टी को बाँधते हुए दाएँ कान की ओर ले जाते हैं। इस प्रकार, दाहिने हाथ की पट्टी के लपेट सिर पर, एक बार बाईं तथा दूसरी बार दाईं ओर लपेटते जाते हैं। इस क्रिया को बार-बार दोहराने से पूरा सिर ढक जाता है। अन्त में दोनों पट्टियों के सिरों को एक-दूसरे (UPBoardSolutions.com) पर मोड़ देकर सिर के पीछे से माथे की ओर विपरीत दिशा में लाते हैं और यहीं पर गाँठ के द्वारा अथवा सेफ्टी पिन की सहायता से बाँध देते हैं।

UP Board Solutions

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
पट्टियाँ बाँधने के सामान्य नियम कौन-से हैं?
उत्तर:
पट्टियाँ प्रयोग करते समय प्राथमिक चिकित्सक को निम्नलिखित नियमों का अनुसरण करना चाहिए

  1. घाव एवं घायल व्यक्ति का ध्यानपूर्वक निरीक्षण कर प्राथमिक चिकित्सक को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि पूरी पट्टी बाँधी जानी है या आधी अथवा चौड़ी या सँकरी, उसी के अनुसार पट्टियों का प्रयोग करना चाहिए।
  2.  प्रट्टियाँ स्वच्छ एवं कीटाणुरहित होनी चाहिए।
  3.  पट्टियों को आवश्यकतानुसार कसकर बाँधना चाहिए, क्योंकि ढीली पट्टी का कोई विशेष लाभ नहीं होता और यहं खुल भी सकती है।
  4. पट्टी की गाँठ सदैव सुविधाजनक स्थान पर लगानी चाहिए। पट्टी की गाँठ कभी भी घाव के ऊपर नहीं लगाई जाती है।
  5.  पट्टी बाँधने के बाद प्रायः ‘रीफ’ गाँठ लगानी चाहिए।
  6.  पट्टी को कसकर सफाई एवं विधिपूर्वक लपेटना चाहिए।

प्रश्न 2:
‘रीफ’ गाँठ किस प्रकार लगाई जाती है?
उत्तर:
प्राथमिक चिकित्सा के लिए पट्टियाँ बाँधते समय मुख्य रूप से रीफ गाँठ ही बाँधी जाती है। रीफ गाँठ बाँधने के लिए पट्टी के दोनों सिरों को दोनों हाथों में पकड़ लेते हैं। बाएँ हाथ के सिरे को दाएँ हाथ के सिरे पर रख दिया जाता है तथा उसे इस इस प्रकार लपेटा जाता है कि दाएँ हाथ का सिरा बाएँ (UPBoardSolutions.com) हाथ में आ जाए। अब दाएँ हाथ के टुकड़े के। सिरे को बाएँ हाथ में रखा जाता है और पहले की तरह घुमाकर नीचे से । निकाल लिया जाता है। अब दोनों सिरों को दो विपरीत दिशाओं में खींच देने से गाँठ भली-भाँति कस जाएगी।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

प्रश्न 3:
तिकोनी पट्टी कैसे तैयार की जाती है? इसे किस-किस प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है?
उत्तर:
तिकोनी पट्टी बनाने के लिए मारकीन अथवा अन्य किसी मजबूत कपड़े का 1×1 मीटर आकार का टुकड़ा लिया जाता है। इसके एक सिरे को सामने वाले दूसरे सिरे से मिलाकर तथा दोहरा करके त्रिभुज की तरह बना लिया जाता है। अब मुड़े हुए स्थान से काटने पर दो तिकोनी पट्टियाँ प्राप्त (UPBoardSolutions.com) होती हैं। इनके किनारों को थोड़ा-सा मोड़कर तुरपन कर दी जाती है। तिकोनी पट्टियों को आवश्यकतानुसार निम्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है

(1) पूरी खुली पट्टी:
यह पीठ, छाती तथा सिर पर बाँधने में प्रयुक्त होती है। इसका प्रयोग सम्पूर्ण रूप में किया जाता है।

(2) चौड़ी पट्टी:
यह शीर्ष को आधार पर उलट कर तथा पट्टी को दोहरा करके प्रयोग में लाई जाती है। यह झोल डालने या खपच्च बाँधने के काम आती है।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग
(3) संकरी पट्टी:
इसे बनाने के लिए दो बार मुड़े शीर्ष-भाग को पुनः तीसरी बार आधार पर रखकर मोड़ देते हैं। अधिक सँकरी करने के लिए इसे पुन: मोड़ा जा सकता है। इसका प्रयोग भी चौड़ी पट्टी के समान किया जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 4:
तिकोनी पट्टी का प्रयोग कब-कब किया जाता है?
उत्तर:
तिकोनी पट्टियों का प्राथमिक चिकित्सा में अत्यधिक महत्त्व है। इनका प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है

  1. चोटग्रस्त अंग एवं घाव को ढकने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। इससे प्रभावित भाग वायु में उपस्थित धूल के कणों एवं जीवाणुओं से सुरक्षित हो जाते हैं।
  2. इनकी सहायता से खपच्चियों, औषधि व रुई आदि को घायल अंग पर यथास्थान बनाए रखा जा सकता है।
  3.  घायल अंग पर उपयुक्त दबाव डालने के लिए तिकोनी पट्टियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं। ऐसा करने से पीड़ित व्यक्ति का दर्द एवं रक्तस्राव कम होता है।
  4.  तिकोनी पट्टियों की झोली बनाई जाती है जो कि चोटग्रस्त अंग को सहारा देने के काम आती है।

प्रश्न 5:
रोलर पट्टी का प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर:
लम्बी या रोलर पट्टियाँ हाथ से या मशीन से रोलर के रूप में लपेटी जाती हैं। इनकी चौड़ाई भिन्न-भिन्न होती है। ये प्रमुखत: रुई को बाँधने तथा औषधि, खपच्चियों आदि को यथास्थान रखने के
प्रयोग में लाई जाती है। इसके अतिरिक्त ये सूजन कम करने, घाव पर दबाव डालने, रक्त स्राव रोकने, टूटे अंग पर प्लास्टर चढ़ाने आदि के लिए भी अत्यन्त उपयोगी हैं।

प्रश्न 6:
तिकोनी पट्टी से बड़ी झोली एवं सैन्ट जॉन झओली किस प्रकार बनाई जाती है?
उत्तर:

(1) बड़ी झोली:
तिकोनी पट्टी को खुली अवस्था में चोटग्रस्त व्यक्ति के वक्षस्थल पर इस प्रकार रखते हैं कि पट्टी के आधार को एक सिरा स्वस्थ कन्धे पर रहे तथा दूसरा नीचे लटकता रहे। बाँह की समको ३२ ड देते हैं। अब नीचे लटकने वाले सिरे को मोड़कर घायल व्यक्ति के कन्धे पर लाया जाता है और दोनों सिरों को हँसली की हड्डी के पास के गड्ढे में ‘रीफ’ गाँठ लगाकर बाँध देते हैं। पट्टी के शीर्ष भाग को अन्दर की ओर भली-भाँति मोड़कर सेफ्टी पिन लगा दी जाती है।

(2) सैन्ट जॉन झोली:
यह हॅसली की हड्डी टूट जाने पर बाँधी जाती है। जिस ओर की हॅसली की इड्डी टूटी हुई हो उस ओर बगल में पैड लगा दिया जाता है। अब घायल अंग की ओर के हाथ को व-स्थल पर मोड़कर इस प्रकार रख दिया जाता है कि वह स्वस्थ कंधे को छूता रहे। पट्ट को खुली हुई अवस्था में इस प्रकार (UPBoardSolutions.com) फैलाते हैं कि पूरे अग्रबाहु को ढकते हुए इसके आधार को एक सिरा स्वस्थ कंधे पर रहे। दूसरा नीचे लटका हुआ सिरा पीठ की ओर से घुमाकर स्वस्थ कंधे पर लाया जाता है। इस प्रकार दोनों आधारीय सिरों को इसी कंधे पर हँसली की हड्डी के ऊपरी गर्त में ‘रीफ’ गाँठ द्वारा बाँध दिया जाता है। कोहनी पर पट्टी के शीर्ष-भाग के सिरे को मोड़कर सेफ्टी पिन से जोड़ दिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग

प्रश्न 7:
कान पर पट्टी किस प्रकार बाँधी जाती है?
उत्तर:
विधि-इसके लिए 6 सेमी चौड़ी तथा 5 मीटर लम्बी पट्टी की आवश्यकता होती है। इसमें । पट्टी को सिर और माथे पर दो बार लपेट देते हैं। पट्टी को घायल कानों के नीचे से निकालकर सामने माथे की ओर लाते हुए सिर के पीछे ले जाते हैं। दूसरा चक्कर पहले चक्कर का – भाग दबाते हुए (UPBoardSolutions.com) कान के ऊपर लगाते हैं और पट्टी को माथे की ओर लाकर स्वस्थ कान की ओर झुकाव देते हुए सिर के पीछे ले जाते हैं। इसी प्रकार सारे कान को ढक देते हैं। जब पूरा कान ढक जाए, तो एक चक्कर माथे और सिर के चारों ओर लाकर माथे पर पट्टी लाकर सेफ्टी पिन लगा देनी चाहिए।

UP Board Solutions

प्रश्न 8:
जबड़े की पट्टी किस प्रकार बाँधी जाती है?
उत्तर:
विधि-जबड़े की पट्टी दो प्रकार से बाँधी जाती है ।
(क) एक पट्टी द्वारा,
(ख) दो पट्टियों द्वारा

(क) एक पट्टी द्वारा:
एक पट्टी को सँकरा मोड़ लेते हैं। इस पट्टी का बीच का भाग हड्डी के नीचे रखकर दोनों सिरों को गालों के ऊपर से लाकर सिर के ऊपर ले जाते हैं और दोनों सिरों में सिर के ऊपर आधी रीफ गाँठ बाँधकर धीरे-धीरे कसते हैं। अब इस पट्टी के दो हिस्से हो जाएँगे। एक हिस्से को धीरे-धीरे माथे पर तथा दूसरे हिस्से को सिर के पीछे वाले भाग पर लाया जाता है। पट्टी के सिरों को हाथों में ध्यान से पकड़े रहना चाहिए, (UPBoardSolutions.com) जिससे पट्टी ढीली न होने पाए। इन सिरों को कानों से बाहर निकालते हुए कानों के ऊपरी भाग पर धीरे-धीरे खींचकर तथा सिरे के बीच में लाकर एक रीफ गाँठ द्वारा बाँध दिया जाता है।

(ख) दो पट्टियों द्वारा:
दो पट्टियाँ लेकर सँकरी मोड़ लेते हैं। पहले एक पट्टी ठुड्डी के नीचे से तथा गालों के ऊपर से ले जाकर सिर के ऊपर बाँध दी जाती है। अब दूसरी पट्टी ठुड्डी पर से तथा दोनों कानों के नीचे से ले जाकर गर्दन के पीछे ‘रीफ’ गाँठ द्वारा बाँध देते हैं। अब दोनों पट्टियों के बचे हुए सिरों को एक-दूसरे से रीफ गाँठ द्वारा बाँध देते हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
पट्टियाँ कितने प्रकार की होती हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
पट्टियाँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं
(1) तिकोनी पट्टियाँ तथा
(2) लम्बी पट्टियाँ।

प्रश्न 2:
तिकोनी पट्टी का प्रयोग कब-कब किया जाता है?
उत्तर:
चोटग्रस्त अंग एवं घाव को ढकने तथा घायल अंगों को सहारा देने के लिए तिकोनी पट्टियों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3:
लम्बी पट्टियों का प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर:

  1. घाव तथा चोट पर खपच्चियाँ, रुई एवं औषधि को रोकने तथा घायल अंगों को सहारा देने के लिए।
  2.  सूजन को कम करने तथा घाव पर दबाव डालकर रक्तस्राव को रोकने के लिए भी लम्बी पट्टी को प्रयोग में लाया जाता है।

प्रश्न 4:
लम्बी पट्टी बाँधते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:

  1.  पट्टियाँ स्वच्छ एवं कीटाणुरहित हों।
  2. पट्टियों को आवश्यकतानुसार कसकर बाँधे तथा गाँठ सुविधाजनक स्थान पर लगाएँ।
  3.  सही आकार की पट्टी का चुनाव करें।

प्रश्न 5:
पट्टियाँ बाँधते समय मुख्य रूप से किस गांठ को अपनाया जाता है ?
उत्तर:
पट्टियाँ बाँधते समय मुख्य रूप से रीफ गांठ को अपनाया जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 6:
‘रीफ’ गाँठ बाँधने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
‘रीफ’ गाँठ बाँधने से निम्नलिखित लाभ हैं

  1.  यह अपने आप न तो खुलती है और न ही खिसकती है।
  2.  आवश्यकता पड़ने पर इसे सहज ही खोला जा सकता है।

प्रश्न 7:
पट्टियाँ बाँधने के दो मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पट्टियाँ प्रयोग करने के दो मुख्य उद्देश्य हैं

  1. औषधि, खपच्चियों एवं रुई को घायल अंग पर स्थिर रखना।
  2.  घाव को वायु में उपस्थित धूल के कणों एवं जीवाणुओं से सुरक्षित रखना।

प्रश्न 8:
तिकोनी पट्टी के लिए प्रायः कौन-सा कपड़ा प्रयोग में लाया जाता है?
उत्तर:
तिकोनी पट्टी के लिए प्राय: मारकीन नामक कपड़ा प्रयोग में लाया जाता है।

प्रश्न 9:
लम्बी पट्टियाँ बनाने के लिए कौन-सा कपड़ा प्रयोग में लाया जाता है?
उत्तर:
लम्बी पट्टियाँ सामान्यतः जाली वाले सफेद कपड़े से बनाई जाती हैं। इस कपड़े को गौज कहते हैं।

प्रश्न 10:
घायल अंगों को सहारा देने के लिए आप किस प्रकार की पट्टियों का प्रयोग करेंगी?
उत्तर:
घायल अंगों को सहारा देने के लिए तिकोनी पट्टियों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11:
सबसे अच्छी पट्टी कौन-सी है?
उत्तर:
कीटाणुरहित स्वच्छ पट्टी सर्वोत्तम होती है।

प्रश्न 12:
आपातकाल में पट्टियाँ न उपलब्ध होने पर आप क्या करेंगी?
उत्तर:
आपातकाल में पट्टियों के स्थान पर किसी स्वच्छ कपड़े का टुकड़ा, रूमाल अथवा स्वच्छ कागज प्रयोग कर घाव को ढककर बाँध देना चाहिए।

UP Board Solutions

प्रश्न 13:
गरम सेंक वाली पट्टी से क्या लाभ है?
उत्तर:
यह घाव की पीड़ा को कम करने के लिए की जाती है।

प्रश्न 14:
गीली मरहम-पट्टी क्यों की जाती है?
उत्तर:
यह सूजन कम करने के लिए की जाती है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) हँसली की हड्डी टूट जाने पर बाँधी जाती है
(क) बड़ी झोली,
(ख) सैन्ट जॉन झोली,
(ग) कॉलर-कफ झोली,
(घ) सँकरी झोली।

(2) पट्टियों को कसकर नहीं बथना चाहिए, क्योंकि
(क) इससे रक्त प्रवाह रुक सकता है,
(ख) इससे रक्तस्राव बन्द हो सकता है,
(ग) रोगी को अधिक दर्द होता है,
(घ) यह अशोभनीय पट्टी है।

(3) आन्तरिक रक्तस्त्राव को रोकने के लिए प्रयोग की जाती है
(क) सूखी पट्टी,
(ख) गरम सेंक वाली पट्टी,
(ग) ठण्डी सेंक वाली पट्टी,
(घ) कोई भी पट्टी।

UP Board Solutions

(4) बाह्य रक्तस्राव को रोकने के लिए प्रयोग की जाती हैं
(क) तिकोनी पट्टियाँ,
(ख) लम्बी पट्टियाँ,
(ग) गरम सेंक वाली पट्टियाँ,
(घ) कोई भी पट्टी।

(5) कोहनी के जोड़ पर बाँधते समय पट्टी
(क) आठ (8) का अंक बनाती है,
(ख) साधारण चक्राकार होती है,
(ग) अनियमित चक्र बनाती है,
(घ) ढीली-ढाली होती है।

(6) सिर पर लम्बी पट्टी बाँधने के लिए पट्टियों की आवश्यकता पड़ेगी
(क) एक पट्टी की,
(ख) दो पट्टी की,
(ग) तीन पट्टियों की,
(घ) चार पट्टियों की।

(7) तिकोनी पट्टी बाँधी जाती है
(क) अँगूठा, उँगली तथा कलाई पर,
(ख) छाती, पीठ तथा सिर पर,
(ग) सिर, टाँग और उँगलियों पर,
(घ) कहीं भी।

UP Board Solutions

(8) सैन्ट जॉन झोली का काम है
(क) एक हाथ के सिरे को दूसरे हाथ के सिरे पर रखना,
(ख) एक हाथ को सहारा देना,
(ग) दोनों हाथों को सहारा देना,
(घ) उपर्युक्त सभी।

उत्तर:
(1) (ख) सैन्ट जॉन झोली,
(2) (क) इससे रक्त प्रवाह रुक सकता है,
(3) (ग) ठण्डी सेंक वाली पट्टी,
(4) (ख) लम्बी पट्टियाँ,
(5) (क) आठ (8) का अंक बनाती है,
(6) (ख) दो पट्टी की,
(7) (ख) छाती, पीठ तथा सिर पर,
(8) (ख) एक हाथ को सहारा देना।

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 18 तिकोनी और लम्बी पट्टियाँ तथा उनका प्रयोग, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

error: Content is protected !!
Scroll to Top