UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 हरिवंशराय बच्चन (काव्य-खण्ड)

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 हरिवंशराय बच्चन (काव्य-खण्ड)

पथ की पहचान कविता का प्रश्न उत्तर विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

Path Ki Pahchan Kavita Ki Vyakhya प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :

Purv Chalne Ke Batohi Question Answer (पथ की पहचान)

Path Ki Pehchan Poem Question Answer 1.

पुस्तकों में है नहीं ……………………………………………………………. पहचान कर ले।
अथवा पुस्तकों में ……………………………………………………………. की जबानी।

शब्दार्थ-बटोही = राहगीर। बाट = रास्ता । पंथी = पथिक। पंथ = मार्ग। सन्दर्भ-यह पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘पथ की पहचान’ से उद्धृत है।

प्रसंग – 
इसमें कवि चाहता है कि हमें कोई भी कार्य सोच-विचारकर करना चाहिए। लक्ष्य चुन लेने के बाद उस काम की कठिनाइयों से नहीं घबराना चाहिए।

व्याख्या – 
कवि कहता है कि हमारे जीवन-पथ की कहानी पुस्तकों में नहीं लिखी होती है, वह तो हमें स्वयं ही बनानी पड़ती है, दूसरे लोगों के कथन के अनुसार भी हम अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित नहीं कर सकते। इसका निर्धारण हमें स्वयं ही करना पड़ेगा। इस संसार में अनेक लोग पैदा हुए और मर गये। उन सबकी गणना नहीं की जा सकती, परन्तु कुछ ऐसे कर्मवीर भी यहाँ जन्मे हैं जिनके पदचिह्न मौन भाषा में उनके (UPBoardSolutions.com) महान् कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। उन सभी कर्मठ महापुरुषों ने काम करने से पहले खूब सोच-विचार किया और फिर जी-जान से अपने कार्य में जुटकर सफलता प्राप्त की। अतः हे राहगीर, उनसे प्रेरणा ग्रहण कर अपना मार्ग निश्चित कर ले और तब उस पर चलना शुरू कर।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कार्य करने से पहले सोच-विचार करने की प्रेरणा दी गयी है।
  • सच्चे कर्मवीर बनने को उत्साहित किया गया है।
  • भाषा-सरल तथा खड़ीबोली।
  • शैली-गीत शैली।
  • रस-शान्त।
  • अलंकार-विरोधाभास

Panth Ki Pehchan Poem Meaning In Hindi 2.

यह बुरा है या कि ……………………………………………………………. पहचान कर ले।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।

प्रसंग – कवि बताता है कि विवेकपूर्वक किसी कार्य को चुन लेने पर उसके मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों या अन्य कारणों से उसे अधूरा छोड़ देना ठीक नहीं है।

व्याख्या – कवि कहता है कि विवेकपूर्ण कार्य का चुनाव करने के पश्चात् उसकी अच्छाई-बुराई पर सोचना व्यर्थ है-क्योंकि उस पथ को छोड़कर दूसरे पर चलना भी सम्भव नहीं हो सकेगा। कठिनाइयाँ तो हर मार्ग में होती हैं। इसलिए हे पंथी, अपने निश्चित कार्य को श्रेष्ठ समझकर उसे तुरन्त शुरू कर दे। यह कार्य करते समय तुझे आनन्द की अनुभूति होती रहेगी। ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि कठिनाइयाँ तुझे ही उठानी पड़ रही हैं। (UPBoardSolutions.com) वास्तविकता यह है कि जीवन में जिसे भी सफलता मिली है, वह अपने कार्य को श्रेष्ठ समझता रहा है। इसलिए तुम भी अपने कार्य को श्रेष्ठ समझो। सोच-विचार करना है तो कार्य का चुनाव करने से पहले किया करो।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कवि व्यक्ति को चुने हुए कार्य में तन-मन से जुट जाने की प्रेरणा देता है।
  • भाषा-सरल- सुबोध खड़ीबोली।
  • शैली-प्रवाहपूर्ण गीत शैली।
  • रस-शान्त
  • शब्द-शक्ति-लक्षणा।
  • अलंकार-अनुप्रास।

Path Ki Pehchan Question Answers 3.

है अनिश्चित किस ……………………………………………………………. पहचान कर ले।
अथवा है अनिश्चित ……………………………………………………………. सुन्दर मिलेंगे।

शब्दार्थ-सरिता = नदी गह्वर = गुफा। शर = बाण आन = प्रतिज्ञा। बाट = मार्ग।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में हरिवंशराय बच्चन’ द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता से उद्धृत है।

प्रसंग – इसमें कवि जीवन-पथ में आनेवाले सुख-दु:खों के प्रति सचेत करता हुआ मनुष्य को निरन्तर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रहा है।

व्याख्या – कवि कहता है कि हे जीवन-पथ के मुसाफिर ! यह नहीं बताया जा सकता है कि तेरे मार्ग में किस स्थान पर नदी, पर्वत और गुफाएँ मिलेंगी । तेरे मार्ग में कब कठिनाइयाँ और बाधाएँ आयेंगी, यह नहीं कहा जा सकता। यह भी नहीं कहा जा सकता कि तेरे जीवन के मार्ग में किस स्थान पर सुन्दर वन और उपवन मिलेंगे। तेरे जीवन में कब सुख-सुविधाएँ प्राप्त होंगी। यह भी निश्चित नहीं कहा जा सकता कि कब तेरी जीवन-यात्रा समाप्त होगी और कब तेरी मृत्यु होगी।

कवि आगे कहता है कि यह बात भी अनिश्चित है कि मार्ग में कब तुझे फूल मिलेंगे और कब काँटे तुझे घायल करेंगे। तेरे जीवन में कब सुख प्राप्त होगा और कब दु:ख-यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। यह भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि तेरे जीवन-मार्ग में कौन परिचित व्यक्ति (UPBoardSolutions.com) मिलेंगे और कौन प्रियजन अचानक तुझे छोड़ जायेंगे। हे पथिक! तू अपने मन में प्रण कर ले कि जीवन की कठिनाइयों की परवाह न करके तुझे आगे बढ़ते जाना है।
हे जीवन-पथ के यात्री! तू पथ पर चलने से पूर्व जीवन में आनेवाले सुख-दुःख को भली-भाँति जानकर अपने मार्ग की पहचान कर ले।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कवि ने जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रति मानव को सचेत किया है।
  • भाषा-सरल खड़ीबोली।
  • शैली–प्रतीकात्मक, वर्णनात्मक।
  • रस-शान्त
  • शब्दशक्ति-लक्षणा।
  • अलंकार-अनुप्रास, रूपक।

पूर्व चलने के बटोही कविता का भावार्थ 4.

कौन कहता है ……………………………………………………………. कर ले।

शब्दार्थ-यत्न = प्रयत्न, कोशिश। ध्येय = लक्ष्य निलय = घर, नीड़, घोंसला । मुग्ध होना = रीझना।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता से उद्धृत है।

प्रसंग – यथास्थिति और मनुष्य की महत्त्वाकांक्षा में क्या तालमेल होना चाहिए-इन पंक्तियों में इस समस्या का समाधान प्रस्तुत किया गया है।

व्याख्या – हे पथिक! तुमसे ऐसा किसी ने नहीं कहा है कि तुम अपने मन में स्वप्नों अर्थात् मधुर कल्पनाओं को न लगाओ। सब लोगों की अपनी-अपनी स्वप्निल कल्पनाएँ होती हैं। अपनी-अपनी उम्र और अपने-अपने समय में सभी ने इन्हें देखा है और अपने मन में उन्हें जगह दी है। हे पथिक! तू प्रयत्न करने पर भी इसमें सफल नहीं हो सकता कि तेरी कल्पनाएँ। मन में न उठे। ये स्वप्न, ये कल्पनाएँ व्यर्थ नहीं होतीं, इनका भी अपना लक्ष्य या ध्येय होता है। ये स्वप्न जबे आँखों के नीड़ में उपजते हैं, तब उनका अपना ध्येय होता है, ये व्यर्थ नहीं जाते, (UPBoardSolutions.com) किन्तु स्वप्नों से यथार्थ को झुठलाया नहीं जा सकता। कारण यह है कि स्वप्न या कल्पनाएँ जीवन में बहुत कम हैं, उनके सामने यथार्थ सत्य अनगिनत हैं। सत्य का मुकाबला कल्पनाओं से मत करो। संसार के रास्ते में यदि स्वप्न दो हैं, तो सत्य दो-सौ अर्थात् कल्पनाएँ बहुत कम हैं, यथार्थ बहुत अधिक हैं। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि तुम कल्पनाओं पर ही मत रीझते रहो वरन् सत्य क्या है-इसका भी निर्धारण कर लो। हे पथिक! चलने से पहले अपने रास्ते की पहचान कर लो।

काव्यगत सौन्दर्य ।

  • कवि यहाँ कहना चाहता है कि महत्त्वाकांक्षा यथार्थ के सत्य और उपलब्ध साधनों पर ही आधारित होनी चाहिए और उसके लिए कठिन श्रम के साथ-साथ कर्तव्य का पालन करना भी आवश्यक है।
  • भाषा-साहित्यिक हिन्दी।
  • रस-शान्त।
  • गुण-प्रसाद
  • अलंकार-रूपक तथा अनुप्रास

पथ की पहचान कविता का सारांश 5.

स्वप्न आता स्वर्ग का ……………………………………………………………. पहचान कर ले।
अथवा स्वप्न आता ……………………………………………………………. चीर देता।

शब्दार्थ-ललकती = लालायित होती है उन्मुक्त = स्वच्छन्द। दृग कोरकों = आँख के कोने ।

सन्दर्भ – प्रस्तुत काव्यांश डॉ० हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ नामक शीर्षक कविता से लिया गया है जो उनकी ‘सतरंगिणी’ नामक काव्य पुस्तक से उद्धृत है।

प्रसंग – इस पद में कवि पथिक को सम्बोधित करते हुए किसी भी मार्ग पर अग्रसर होने से पूर्व उसमें आनेवाली कठिनाइयों के प्रति आगाह कर देना चाहता है। कोरी भावुकता के प्रवाह में आकर किसी मार्ग पर चल पड़नी उचित नहीं है। कवि कहता है|

व्याख्या – हे पथिक ! भावुकता के आवेश में आकर किसी मार्ग पर अग्रसर होने से पूर्व हम स्वर्ग का सपना देखने लगते हैं। प्रसन्नता के कारण हमारी आँखें चमक उठती हैं। उस समय कल्पना लोक की उड़ान भरने के लिए हमारे पैरों में पंख लग जाते हैं। छाती उन्मुक्त हो उत्साह से भर जाती है। किन्तु ठीक उसी प्रकार राह का एक मामूली-सा काँटा पाँवों में चुभ जाता है और खुन की दो बूंदों के बहने से ही सारी कल्पना की दुनिया ही उसमें डूब जाती है अर्थात् मार्ग में मामूली अवरोध उत्पन्न हो जाने मात्र से ही सारी मजा किरकिरा हो (UPBoardSolutions.com) जाता है। अत: पाँवों के काँटे चुंभकर ये शिक्षा देते हैं कि भले ही तुम्हारी आँखों में स्वर्ण के सजीले सपने क्यों न हों किन्तु तुम्हें अपने पैरों को पृथ्वी पर सुरक्षित टिकाना चाहिए अर्थात् मस्तिष्क में भले ही कल्पना की ऊँची उड़ाने क्यों न हों, किन्तु व्यावहारिक जगत् की उपयोगिता कदापि भूलनी नहीं चाहिए। हमें पथ के चुभे काँटों की इस शिक्षा का सदैव सम्मान करना चाहिए। किसी मार्ग पर अग्रसर होने से पूर्व उस मार्ग की पूरी जानकारी अवश्य कर लेनी चाहिए।

काव्यगत सौन्दर्य

  • इस पद में कवि ने एक जीता-जागता जीवन-दर्शन प्रस्तुत किया है।
  • लाक्षणिक प्रयोगों के कारण काव्य की भाषा ओजपूर्ण एवं प्रभावशाली बन गयी है।

Path Ki Pahchan प्रश्न 2.
हरिवंशराय बच्चन का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

Path Ki Pehchan Vyakhya प्रश्न 3.
बच्चन जी की साहित्यिक विशेषताओं एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

पथ की पहचान प्रश्न 4.
हरिवंशराय बच्चन का जीवन-परिचय लिखिए तथा उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

पथ की पहचान कविता का अर्थ प्रश्न 5.
हरिवंशराय बच्चन का जीवन-वृत्त लिखकर उनके साहित्यिक योगदान का उल्लेख कीजिए।

Path Ki Pehchan Summary In Hindi हरिवंशराय बच्चन

(स्मरणीय तथ्य)

जन्म – सन् 1907 ई०, प्रयाग।
मृत्यु – सन् 2003 ई०।
शिक्षा – एम० ए०, पी-एच० डी०
पिता का नाम – प्रताप नारायण।
रचनाएँ – मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमन्त्रण, एकान्त संगीत, सतरंगिणी, हलाहल, बंगाल का काल, मिलनयामिनी, प्रणय-पत्रिका, बुद्ध और नाचघर (काव्य), क्या भूलें क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर (आत्मकथा), दो चट्टानें।
काव्यगत विशेषताएँ
वर्य-विषय – प्रेम के संयोग-वियोग जन्य भावों का चित्रण, विषाद और निराशा का चित्रण, विद्रोह को स्वर, युग जीवन का व्यापक चित्रण।
भाषा – सहज व सरल खड़ीबोली।
शैली – गीतात्मक। छन्द-मुक्तक।
जीवन – परिचय – श्री हरिवंशराय बच्चन का जन्म प्रयाग में सन् 1907 ई० में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा उर्दू भाषा के माध्यम से हुई थी। आपने सन् 1925 ई० में कायस्थ पाठशाला, इलाहाबाद से हाईस्कूल, सन् 1927 ई० में गवर्नमेण्ट इन्टर कालेज से इण्टर तथा सन् 1929 ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण आपने विश्वविद्यालय छोड़ दिया। बाद में सन् 1938 ई० में उसी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1954 ई० में आपने कैम्ब्रिज (UPBoardSolutions.com) विश्वविद्यालय से पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त की। आरम्भ में आपने प्रयाग विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। कुछ समय तक आपने आकाशवाणी में काम किया। तत्पश्चात् आपकी नियुक्ति भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के पद पर हुई और वहीं से अवकाश ग्रहण किया। आप सन् 1965 ई० में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए।

साहित्य और कविता के प्रति आपकी रुचि बचपन से ही थी। सन् 1923 ई० में आपकी रचना ‘मधुशाला’ के प्रकाशन ने आपको कीर्ति के शिखर पर पहुँचा दिया। आपकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सन् 1976 ई० में भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘पद्म भूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। आपका शरीरान्त सन् 2003 ई० में हो गया।

रचनाएँ – बच्चन जी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, प्रणय-पत्रिका, एकांत संगीत, मिलन यामिनी, सतरंगिणी, दो चट्टानें आदि। ‘दो चट्टानें’ काव्य-ग्रन्थ के लिए आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है।

काव्यगत विशेषताएँ

बच्चन जी उत्तर छायावादी काल के आस्थावादी कवि हैं। आपकी कविताओं में भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति हुई है। आपकी कविता में प्रेम के संयोग-वियोग जन्य भावपूर्ण चित्र अंकित हैं। प्रेम के अतिरिक्त जीवन के अन्य सन्दर्भो में निराशा की भाषा देखने को मिलती है। विद्रोह का स्वर भी कहीं-कहीं आपकी कविताओं में मिलता है। आपकी पूर्ववर्ती रचनाओं में वैयक्तिकता है तो परवर्ती रचनाओं में (UPBoardSolutions.com) जन-जीवन का व्यापक चित्रण है। वैचारिक क्रान्ति, मानवीय संवेदना और व्यंग्य-दंश से पूर्ण आपके काव्य ने हिन्दी कविता को नयी दिशा प्रदान की है।

बच्चन जी की भाषा साहित्यिक होते हुए भी बोलचाल की भाषा के अधिक निकट है। आपकी भाषा सरल व सरस है। आपने लोकगीतों और मुक्तक छन्दों की रचना की है। अपनी गेयता, सरलता, सरसता और खुलेपन के कारण आपके गीत बहुत ही पसन्द किये जाते हैं।

साहित्य में स्थान – नि:सन्देह लोकगीतों की धुन में गीतों की रचना करके बच्चन जी ने अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त की है। हिन्दी साहित्य में हालावाद के स्थापक के रूप में आपका मान्य स्थान है।

Path Ki Pahchan Kavita Ka Prashn Uttar लघु उत्तरीय प्रश्न

Path Ki Pehchan Question Answer प्रश्न 1.
बटोही को चलने के पूर्व बाट की पहचान करने की सलाह कवि किस अभिप्राय से देता है?
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में कवि बच्चन ने पथिक के माध्यम से यह प्रेरणा दी है कि मनुष्य को अपने पथ की पहचान स्वयं करनी चाहिए, क्योंकि जीवन के मार्ग में अपने ही अनुभव सबसे श्रेष्ठ होते हैं। इस मार्ग का निर्धारण किसी दूसरे उपदेश या पुस्तकों को पढ़कर नहीं किया जा सकता है। (UPBoardSolutions.com) कुछ मनुष्य ऐसे अवश्य रहे हैं, जो अपने पथ पर अपने कदमों के निशान छोड़ गये। हैं। हमें उनसे अवश्य कुछ सहायता प्राप्त हो सकती है।

Harivansh Rai Bachchan Path Ki Pehchan प्रश्न 2.
यात्रा सुगम और सफल होने के लिए कवि क्या सुझाव देता है?
उत्तर :
कवि कहते हैं कि जीवन के मार्ग का निर्धारण करके उस पर दृढ़ निश्चय के साथ चल पड़ना ही श्रेयस्कर है। अनिश्चय की स्थिति में बार-बार मार्ग बदलने से लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाती। कवि कहते हैं कि किसी भी मनुष्य का यह सोचना कि पथ के निर्धारण से उसे ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, गलत है। पूर्व के सभी मनुष्यों को भी अपने पथ का निर्धारण करना पड़ा था और बाधाएँ उनके सामने भी आयी थीं।

Path Ki Pehchan प्रश्न 3.
यात्रा में विघ्न-बाधाओं को किन प्रतीकों से बतलाया गया है?
उत्तर :
बाधाओं और कठिनाइयों के लिए कवि ने नदी, पर्वत, गुफाओं और काँटों आदि को प्रतीक के रूप में प्रयोग किया है।

Path Ki Pehchan Kavita Ka Bhavarth प्रश्न 4.
‘स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले’ कहने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
कवि के कहने का भाव यह है कि सुख के स्वप्नों में न डूबकर जीवन की वास्तविकताओं का भी ज्ञान होना आवश्यक है, तभी उन्नति का पथ प्रशस्त हो सकता है जीवन के मार्ग पर आगे बढ़ने से पूर्व उचित लक्ष्य या मार्ग का भी निर्धारण कर लेना चाहिए।

Path Ki Pehchan Kavita Ka Question Answer प्रश्न 5.
कवि’आदर्श और यथार्थ’ के समन्वय पर किन पंक्तियों पर बल देता है और उसके लिए किस वस्तु का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है?
उत्तर :
रास्ते का एक काँटा। पाँव का दिल चीर देता। राह के काँटे चुभकर बताते हैं कि सपने तो बुनें, लेकिन सच्चाई से इंकार नहीं करें, तभी जीवन में सफलता मिल सकती है। और आनन्द के फूल खिल सकते हैं। कवि की यही शिक्षा है।

पथ की पहचान कविता प्रश्न 6.
‘पथ की पहचान’ कविता के द्वारा कवि क्या सन्देश देना चाहता है? अथवा ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता के द्वारा कवि ने हमें क्या सन्देश देने का प्रयास किया है?
उत्तर :
कवि इस कविता के माध्यम से यह सन्देश देना चाहता है कि व्यक्ति को विवेकपूर्वक किसी कार्य को चुनना चाहिए, फिर आनेवाली किसी भी बाधा से घबराये बिना साहसपूर्वक निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए। आगे बढ़ते हुए आदर्श और यथार्थ को उचित समन्वय होना चाहिए।

पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले प्रश्न 7.
‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में कवि ‘बच्चन’ ने पथिक के माध्यम से यह प्रेरणा दी है कि मनुष्य को अपने पथ की पहचान स्वयं करनी चाहिए, क्योंकि जीवन के मार्ग में अपने ही अनुभव सबसे श्रेष्ठ होते हैं। इस मार्ग का निर्धारण किसी दूसरे के उपदेश से या पुस्तकों को पढ़कर नहीं किया जा सकता है। कुछ (UPBoardSolutions.com) मनुष्य ऐसे अवश्य रहे हैं, जो अपने पथ पर अपने कदमों के निशान छोड़ गये हैं। हमें उनसे अवश्य कुछ सहायता प्राप्त हो सकती है।

कवि कहते हैं कि जीवन के मार्ग का निर्धारण करके उस पर दृढ़ निश्चय के साथ चल पड़ना ही श्रेयस्कर है। अनिश्चय की स्थिति में बार-बार मार्ग बदलने से लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाती । कवि कहते हैं कि किसी भी मनुष्य का यह सोचना कि पथ के निर्धारण में उसे ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, गलत है। पूर्व के सभी मनुष्यों को भी अपने पथ का निर्धारण करना पड़ा था और बाधाएँ उनके सामने भी आयी थीं।

पंथ की पहचान अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

पथ की पहचान का प्रश्न उत्तर प्रश्न 1.
हरिवंशराय बच्चन किस युग के कवि हैं?
उत्तर :
आधुनिक युग (काल) के।।

Path Ki Pehchan Full Explanation In Hindi प्रश्न 2.
बच्चन जी की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
मधुशाला एवं मधु कलश।

Panth Ki Pehchan प्रश्न 3.
मधुशाला किसकी रचना है?
उत्तर :
हरिवंशराय बच्चन की।

Baat Ki Pehchan Poem Meaning In Hindi प्रश्न 4.
बच्चन जी की भाषा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
खड़ीबोली।

पूर्व चलने के बटोही कविता प्रश्न 5.
बच्चन जी ने अपनी भाषा में किस शैली का प्रयोग किया है?
उत्तर :
भावात्मक गीत शैली।

कवि के अनुसार व्यक्ति को किस रास्ते पर चलना चाहिए प्रश्न 6.
मधुशाला की विषय-वस्तु क्या है?
उत्तर :
उल्लास एवं आनन्द।

Path Ki Pehchan Poem In Hindi प्रश्न 7.
बच्चन जी ने मधुशाला, मधुबाला, होला और प्याला को किस रूप में स्वीकार किया है?
उत्तर :
प्रतीकों के रूप में।।

Path Ki Pehchan Kavita Ka Saransh प्रश्न 8.
‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य को अपने पथ की पहचान स्वयं करनी चाहिए, क्योंकि जीवन के मार्ग में अपने ही अनुभव सबसे श्रेष्ठ होते हैं।

Path Ki Pehchan Harivansh Rai Bachchan प्रश्न 9.
‘पथ की पहचान’ कविता का उद्देश्य क्या है?
उत्तर :
व्यक्ति को विवेकपूर्वक किसी कार्य का चयन करना चाहिए और निरन्तर अपने पथ पर अग्रसर रहना चाहिए। सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।

Panth Ki Pehchan Poem Meaning काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध
Purv Chalne Ke Batohi Baat Ki Pehchan 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
(अ) पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
(ब) रास्ते का एक काँटा, पाँव का दिल चीर देता।
उत्तर :
(अ) काव्य-सौन्दर्य-

  • किसी पथिक या राही को मार्ग पर चलने के पूर्व उसके विषय में भली-भाँति अवगत हो जाना चाहिए।
  • भाषा-खड़ीबोली।
  • शैली- भावात्मक गीत शैली।।

(ब) काव्य-सौन्दर्य-

  • रास्ते का एक काँटा पाँव को चोटिल कर देता है अर्थात् रास्ते का एक काँटा अनेक मुसीबतें खड़ी कर देता है।
  • भाषा – खड़ीबोली। (स) शैली- भावात्मक गीत शैली।

Path Ki Pehchan Class 8 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखिए
(अ) रक्त की दो बूंद गिरती एक दुनिया डूब जाती।
(ब) है अनिश्चित, किस जगह पर बाज, बन सुन्दर मिलेंगे।
उत्तर :
(अ) अतिशयोक्ति।
(ब) सम्भावना।

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