UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 18 नीड़ का निर्माण फिर-फिर (मंजरी)

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 18 नीड़ का निर्माण फिर-फिर (मंजरी)

Need Ka Nirman Fir Fir Kavita Ka Saransh समस्त पद्यांशों की व्याख्या

नीड़ का निर्माण ………………………………………. फिर फिर।

संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता से उद्धृत हैं। इसके रचयिता हरिवंशराय बच्चन’ हैं।

प्रसंग – कवि ने कविता द्वारा जीवन की कठिनाइयों से लड़ने और सब कुछ नष्ट हो जाने पर भी फिर से नए निर्माण की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – हे पक्षी! अपने नष्ट हुए घोंसले का फिर से निर्माण कर और अपने मीठे स्वर से इस संसार में फिर से प्रेम और स्नेह भर दे।
आकाश में आँधी उठने से अचानक अँधेरा हो गया। धूल से भरे बादलों ने एकदम पृथ्वी को घेर लिया। इससे दिन, रात्रि के समान अंधकारयुक्त हो गया। रात्रि और भी अधिक अँधेरे वाली काली हो गई। (UPBoardSolutions.com) ऐसा प्रतीत होता है मानो अब प्रकाश करने वाला सवेरा नहीं हो सकेगा। इस रात के तूफान और अंधकार से पृथ्वी का कण-कण और जीवजगत् भयभीत हो गया। परन्तु पूर्व दिशा में सूर्य की किरणें चमकने से अंधकार दूर हो गया। इससे हे पक्षी! निराश न हो और प्रेम को निमन्त्रण देकर, फिर से निर्माण कार्य कर नए घोंसले को निर्मित कर।

Need Ka Nirman Fir Fir Question Answer बह चले झोंके ………………………………………. फिर फिर।

संदर्भ – पूर्ववत्।।

प्रसंग – रात्रि के भयंकर तूफान और आँधी ने जन जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया।

व्याख्या – रात्रि में आई आँधी इतनी भयंकर और विनाशकारी थी कि उससे बड़े आकार वाले पर्वत भी हिल उठे। अच्छे और बड़े-बड़े पेड़ टूटकर जड़ समेत उखड़-उखड़कर नीचे गिर पड़े। फिर तिनकों से बने घोंसले नष्ट होने से कैसे बच सकते थे? अर्थात् घोंसले भी नष्ट हो गए। कंकड़, पत्थर और ईंट से बने सुदृढ़ महल भी डगमगा गए। इतने (UPBoardSolutions.com) विनाश के होने पर भी आशारूपी पक्षी छिपा बैठा था। यह पक्षी आकाश में ऊँचा चढ़कर गर्व से अपनी छाती खोले उड़ रहा था। नए सिरे से फिर से घोंसले के निर्माण में व्यस्त होकर, स्नेह और प्रेम को निमन्त्रण देकर सृजन में लगा था।

Need Ka Nirman Fir Fir Poem Summary In Hindi प्रश्न-अभ्यास।

कुछ करने को

Need Ka Nirman Fir Fir Ka Saransh प्रश्न 1.
‘आशावान व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता है’ -विषय पर कक्षा में भाषण : प्रतियोगिता आयोजित कीजिए।
उत्तर :
इन बिंदुओं पर आप भाषण लिख सकते हैं-आशा मनुष्य का शुभ संकल्प है। प्राणियों में वह अमृत समान है। जैसे सारा वनस्पति जगत सूर्य से प्रेरणा पाता है वैसे ही मनुष्य में आशाएँ ही पूर्ण शक्ति का संचार करती हैं। मनुष्य की प्रत्येक उन्नति जीवन की सफलता, जीवन लक्ष्य की प्राप्ति का संचार आशाओं द्वारा होता है। आशाएँ न होती तो संसार नीरस, अव्यक्त और निश्चेष्ठ सा दिखाई देता है। आशावाने व्यक्ति कभी पराजित नहीं हो सकता।।

आशाएँ जीवन का शुभ लक्षण हैं। इनके सहारे मनुष्य घोर विपत्तियों में दुश्चिंताओं को हँसते-हँसते जीत लेता है जो केवल दुनिया का रोना रोते रहते हैं उन्हें अर्धमृत ही समझना चाहिए किन्तु आशावान व्यक्ति पौरुष के लिए सदैव समुद्यत रहता है। वह हाथ में फावड़ा लेकर टूट पड़ता है। खेतों में मिट्टी से सोना पैदा कर लेता है। आशावान व्यक्ति अपने भाग्य का स्वयं निर्माण करता है। वह औरों के आगे अपना हाथ नहीं फैलाता है वरन् औरों को जीवन देता है।

आशा और आत्मविश्वास चिरसंगी है। आशावादी व्यक्ति का आत्मविश्वासी होना भी अवश्यंभावी है। आत्मविश्वास से आंतरिक शक्तियाँ जागृत होती हैं। इन शक्तियों को वह जिस कार्य में जुटा दे, वहीं आश्चर्यजनक सफलता दिखाई देने लगेगी। संपूर्ण मानसिक चेष्टाओं से किए हुए प्रयास असफल नहीं होते किन्तु निराशा वह मानवीय दुर्गुण है जो वृद्धि को (UPBoardSolutions.com) भ्रमित कर देता है। मानसिक शक्तियों को लुज-पुंज कर देता है। ऐसा व्यक्ति आधे मन से डरा-डरा सा काम करेगा। ऐसी अवस्था में सफलता प्राप्त कर सकना संभव नहीं है। जहाँ आशा नहीं वहाँ प्रयत्न नहीं।।

विद्वान विचारक स्वेट मार्डन ने लिखा है-निराशावाद भयंकर राक्षस है जो हमारे नाश की ताक में बैठा रहता है। निराशावादी प्रगति की भावना का त्याग कर देते हैं। यदि कभी उन्नति करने का कुछ खयाल आया भी तो विपत्तियों के पहाड़ उन्हें दिखाई देने लगते हैं। कार्य आरम्भ नहीं हुआ कि चिंताओं के बादल मँडराने लगे पर आशावादी व्यक्ति प्रसन्न होकर कार्य प्रारम्भ करता है। गतिमान बने रहने के लिए मुसीबतों को सहायक मानकर चलता है। उत्साहपूर्वक अंत तक पूर्व नियोजित कार्य में सन्नद्ध रहता, है इसी से उसकी आशाएँ फलवती होती हैं।

निर्माण कविता का भावार्थ प्रश्न 2.
नोट- विद्यार्थी चित्र स्वयं बनाएँ।

विचार और कल्पना.

Nir Ka Nirman Phir Phir Summary In Hindi प्रश्न 1.
जैसे चिड़िया अपना घोंसला बनाती है वैसे ही मनुष्य अपने पक्के मकान बनाता है। बताइए एक मकान के निर्माण में किन-किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है?
उत्तर :
एक मकान के निर्माण में पक्की ईंटें, सीमेण्ट, रेत, सरिया, लकड़ी पानी आदि की आवश्यकता होती है।

नीड़ का निर्माण फिर-फिर व्याख्या प्रश्न 2.
“आशा ही जीवन है’ पर 1० पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर :
आशा ही जीवन है, जबकि निराशा मृत्यु। संसार के सारे बड़े-बड़े रचनात्मक कार्य आशावान, साहसी लोगों ने ही किए हैं। आशा व्यक्ति का मार्ग-दर्शन करती है। मनुष्य का भविष्य के प्रति आशावान होकर कार्य करना ही उचित होता है। यदि हम इतिहास उठाकर देखें तो पता चलेगा कि सभी पराक्रमी । महापुरुष आशावादी थे। उन सबका दृष्टिकोण सकारात्मक था। आशा का पतवार लेकर बड़े-बड़े नाविकों ने महाद्वीपों का पता लगाया। इसके प्रतिकूल निराशा जीवन का नाश करने वाली (UPBoardSolutions.com) और मनोबल गिराने वाली होती है। अतः हमें आशावादी होना चाहिए।

Nir Ka Nirman Fir Fir Kavita Ka Saransh प्रश्न 3.
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

Nirman Kavita Class 8 कविता से

Need Ka Nirman Fir Fir प्रश्न 1.
‘नेह का आह्वान फिर-फिर’ से कवि का क्या आशये है?
उत्तर :
‘नेह का आह्वान फिर-फिर’ से कवि का आशय है, स्नेह (आशा) से युक्त होकर नए सृजन कार्य में व्यस्त होना।

नीड़ का निर्माण फिर-फिर कविता की व्याख्या प्रश्न 2.
निराशा में आशा का संचार किस रूप में होता है?
उत्तर :
कवि के अनुसार निराशा में आशा का संचार प्रेम और स्नेह के रूप में होता है।

नीड का निर्माण फिर फिर कविता का अर्थ प्रश्न 3.
निम्नलिखित भाव किन पंक्तियों में आए हैं? लिखिए

(क)
घोर तूफान और रात्रि के कष्टों से भयभीत जन में उषा अपनी सुनहरी किरणों से नई आशा भर देती है।
उत्तर :
रात के उत्पात-भय से.
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किन्तु प्राची से ऊषा की।
मोहनी मुस्कान फिर-फिर

(ख) तेज आँधी के झोंकों के चलने से जब बड़े-बड़े पेड़-पर्वत काँपने लगते हैं, बड़े-बड़े पेड़ उखड़ जाते हैं, तब तिनकों से बने हुए घोंसलों की क्या स्थिति होगी?
उत्तर :
बह चले झोंके कि काँपे
भीम कायावान भूधर,
जड़ समेत उखड़े-पुखड़कर,
गिर पड़े, टूटे विटप वर,
हाय तिनकों से विनिर्मित घोंसलों पर क्या न बीती।

नीड़ का निर्माण फिर-फिर कविता का सारांश प्रश्न 4.
सतत संघर्ष और निर्माण की क्रियाओं की उपमा कवि ने किससे की है?
उत्तर :
सतत संघर्ष और निर्माण की क्रिया की उपमा कवि ने नीड़’ का निर्माण फिर-फिर और नेह का आह्वान ‘फिर-फिर’ से की है।

Nirman Kavita Question Answer प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) रात-सा दिन हो गया, फिर रात आयी और काली।
भाव – धूल युक्त बादलों ने धरती पर इस प्रकार घेरा डाल दिया मानो दिन रात में बदल गया हो। और रात का अंधकार और बढ़ गया।

(ख)
बोल, आशा के विहंगम किस जगह पर तू छिपा था।
भाव – आशारूपी पक्षी, तू अब तक कहाँ छिपा था (UPBoardSolutions.com) जो आकाश पर चढ़कर गर्व से बार-बार सीना तानता है।

Need Ka Nirman Phir Phir Kavita Ka Saransh भाषा की बात

नीड़ का निर्माण फिर फिर कविता का सारांश प्रश्न 1.
‘धूलि धूसर बादलों ने भूमि को इस भाँति घेरा’ में ध-ध और भ-भ की आवृत्ति हुई है। इससे पंक्ति में एक सरसता आ गई है, बताइए यहाँ किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?
उत्तर :
अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

नीड़ का निर्माण फिर फिर प्रश्न 2.
कविता में ‘फिर-फिर’, ‘जन-जन’ तथा ‘कण-कण’ (पुनरुक्त शब्द) का प्रयोग हुआ है। फिर-फिर निर्माण करने की क्रिया’ की विशेषता प्रकट कर रहा है जबकि ‘जन-जन’ से ‘प्रत्येक जन’ और ‘कण-कण’ से ‘प्रत्येक कण’ का बोध हो रहा है। इसी प्रकारे नीचे लिखे पुनरुक्त शब्दों का अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
घर-घर = राम के राज्याभिषेक पर अवध में घर-घर खुशियाँ मनाई गई।
क्षण-क्षण = युद्ध के मोर्चे पर क्षण-क्षण की खबर रखनी पड़ती है।
धीरे-धीरे = धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती जा रही है।
भाई-भाई = हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा बहुत पुराना है।

नीड़ का निर्माण फिर-फिर कविता का अर्थ प्रश्न 3.
इस कविता को पढ़िए
‘दुख की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात;
एक परदा यह झीना नील छिपाये है जिसमें सुख गात।
जिसे तुम समझे हो अभिशाप, जगत की ज्वालाओं का मूल;
ईश का वह रहस्य वरदान, कभी मत इसको जाओ भूल।
विषमता की पीड़ा से व्यस्त हो रहा स्पंदित विश्व महान;
यही दुख-सुख-विकास का सत्य यही भूमा का मधुमय दान।”

(क) कविता में आए कठिन शब्दों के अर्थ शब्दकोश से ढूंढकर लिखिए।
उत्तर :
रजनी-रात; नवल-नया; प्रभात-सवेरा; गात-शरीर; ज्वाला-अग्नि; स्पंदित-धड़कता, जीवित; भूमा-ऐश्वर्य

(ख) इस कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि दुख की रात्रि में ही कहीं सुख का नया सवेरा जन्म लेता है। यह एक झीना परदा है जिसने दुख रूपी नीले निशान के पीछे सुख रूपी शरीर छिपा रखा है। जिसे मनुष्य अभिशाप समझता। वही जगत की ज्वाला रूपी जीवन का मूल होता है। ईश्वर के इस रहस्य रूपी वरदान को भूलना नहीं चाहिए। जीते जागते विशाल विश्व में अनेक (UPBoardSolutions.com) विषमताएँ हैं जो जग की पीड़ा का कारण हैं। दुख या सुख के विकास का सत्य है और यही ऐश्वर्य का दान है।

(ग) कविता पर अपने साथियों से पूछने के लिए प्रश्न बनाइए।
उत्तर :

  • दुख की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात से कवि को क्या तात्पर्य है?
  • जग की पीड़ा के क्या कारण हैं?

(घ) कविता को उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
सुख-दुख।

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