UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 वरदान माँगूंगा नहीं (मंजरी)

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 वरदान माँगूंगा नहीं (मंजरी)

महत्त्वपूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

यह हार एक ……………………. नहीं।

संदर्भ:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘वरदान माँगूंगा नहीं’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ हैं।

प्रसंग:
कवि ने जीवन को महासंग्राम बताया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जीवन महासंग्राम है। इसमें आने (UPBoardSolutions.com) वाली कठिनाइयों से लड़कर उन पर विजय प्राप्त करना ही जीवन है। जीवन सक्रिय है। इसमें हार खाकर रुकना जीवन नहीं कहा जाता है। कवि का शरीर लड़ते हुए भले ही थोड़ा-थोड़ा करके घिस जाए, परन्तु वह किसी की दया नहीं चाहता। उसे कोई वरदान माँगने की जरूरत नहीं है।

स्मृति सुखद …………………… नहीं।

संदर्भ: पूर्ववत् ।।

प्रसंग:
कवि अपने सुख के लिए और अपनी स्थिति सुधारने के लिए किसी की भी सम्पत्ति नहीं लेना चाहता।

व्याख्या:
कवि कहता है कि वह अपनी टूटी-फूटी जर्जर हालत, मामूली से निवास (घर) को सुधारने तथा जीवन में सुखद क्षणों की स्मृति लाने के लिए संसार की सम्पत्ति की चाह नहीं करेगा। वह तो अपनी स्थिति में ही प्रसन्न है। इस कारण उसे वरदान माँगने की जरूरत नहीं है।

क्या हार में ………………………………………… नहीं।

संदर्भ:
पूर्ववत्।।

प्रसंग:
कवि कहता है कि वह जीवन संघर्ष में होने (UPBoardSolutions.com) वाली हार से भयभीत नहीं है।

व्याख्या:
जीवन एक संग्राम है जिसमें हार और जीत दोनों होती हैं। इस कारण कवि को किसी प्रकार का डर नहीं है। जीवन संघर्ष करते हुए जीवन में चाहे विजय मिले, चाहे पराजय मिले, दोनों एक ही बात के दो रूप हैं। इसीलिए कवि को कोई वरदान माँगने की जरूरत नहीं।

लघुता …………………. नहीं।

संदर्भ: पूर्ववत्।।

प्रसंग:
कवि कहता है कि उसे अपनी लघुता और अपने (UPBoardSolutions.com) हृदय की वेदना से लगाव है। वह इन्हें छोड़ने को तैयार नहीं है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जो व्यक्ति जीवन संघर्ष में विजयी होकर महान बन गए हैं, वे अपनी महानता बनाए रखें किंतु उसे अपने लघु रहने में ही आत्मसन्तोष अनुभव करने दें क्योंकि उसे अपनी वेदना से ही लगाव है। उसे वह त्यागने को तैयार नहीं है। वह कोई वरदान नहीं माँगेगा क्योंकि उसकी कवि को जरूरत नहीं है। उसे तो केवल जीवन में संघर्षरत रहना है।

चाहे हृदय ………………….. नहीं।

संदर्भ: पूर्ववत्।।

प्रसंग:
कवि कहता है कि वह हर दशा में अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहेगा, उससे भागेगा नहीं।

व्याख्या:
कवि कहता है कि लोग चाहे उसके हृदय को जलाएँ (UPBoardSolutions.com) अर्थात् उसे परेशानियाँ दें और चाहे। उसे कोसते रहें अर्थात् उसकी भलाई करने के स्थान पर उसके अहित की कामना करें, इससे उस पर कोई फर्क नहीं पड़नेवाला है क्योंकि वह अपने कर्तव्य पथ पर जमकर संघर्षरत रहेगा और इस रणक्षेत्र से भागेगा नहीं। उसे कोई वरदान माँगने की जरूरत नहीं।।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

Vardan Mangunga Nahi Kavita Ka Bhavarth प्रश्न 1:
हम बहता जल पीने वाले,
मर जायेंगे भूखे-प्यासे।
कहीं भली है कटक निबौरी,
कनक कटोरी की मैदा से।
उपर्युक्त कविता भी शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी की ही है। (UPBoardSolutions.com) दोनों कविताओं में क्या समानता तथा क्या अन्तर है? लिखिए।
उत्तर:
समानता: दोनों कविताएँ आत्मविश्वास और स्वाभिमान से भरी हुई है।
अन्तर: वरदान माँगूंगा नहीं’ में कवि अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करना चाहता है। जबकि उपर्युक्त कविता में कवि सांसारिक बन्धनों में नहीं बँधना चाहता है, बल्कि आजाद रहना चाहता है।

वरदान मांगूंगा नहीं कक्षा 7 प्रश्न 2:
“जीवन महासंग्राम है’ के समान भाव की कुछ सूक्तियाँ एकत्र करके लिखिए।
उत्तर:
(क) जिन्दगी एक संघर्ष है।
(ख) जीवन एक संघर्ष है।
(ग) जीवन एक युद्ध समान है।

विचार और कल्पना

वरदान मांगूंगा नहीं प्रश्न 1:
कवि दया की भीख नहीं लेना चाहता, इस संबंध में आपके क्या विचार हैं, लिखिए?
उत्तर:
कवि दया की भीख नहीं लेना चाहता। इससे कवि के (UPBoardSolutions.com) स्वाभिमानी स्वभाव का पता चलता है।

Vardan Mangunga Nahin प्रश्न 2:
यह भी सही, वह भी सही’ का प्रयोग किन परिस्थितियों के लिए किया गया है?
उत्तर:
जीवन संग्राम में संघर्षरत रहना ही मनुष्य का कर्तव्य है। इसमें विजय भी होती है और हार भी। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

वरदान मांगूंगा नहीं कविता का अर्थ प्रश्न 3:
कविता के मूल भाव को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इसका शीर्षक ‘वरदान माँगूंगा नहीं क्यों रखा गया होगा तथा इस कविता के क्या-क्या शीर्षक हो सकते हैं?
उत्तर:
कविता के मूल भाव से कवि के स्वाभिमानी और आत्मविश्वासी होने का पता चलता है और ऐसे पुरुष हर कार्य अपनी ताकत पर करते हैं, वो किसी के आगे झुककर या माँगकर अपनी जरूरतों को पूरा नहीं करते हैं। इसलिए ही इस कविता (UPBoardSolutions.com) का शीर्षक वरदान माँगूंगा नहीं रखा गया होगा। इसके शीर्षक हो सकते हैं- ‘जीवन-संग्राम’, ‘स्वाभिमान।

कविता से

वरदान मांगूंगा नहीं का सारांश प्रश्न 1:
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) कवि तिल-तिल मिट जाने के बाद भी किस बात के लिए तैयार नही हैं?
उत्तर:
कवि कहते हैं कि जीवन रूपी संग्राम में हमारा शरीर भले ही थोड़ा-थोड़ा करके घिस जाए लेकिन वह फिर भी किसी से दया नहीं चाहता है।

(ख) लघुता ने अब मेरी छुओ, तुम हो महान बने रहो।
उत्तर:
संघर्ष पथ पर चलते हुए कवि का संकल्प यह है उन्हें इस पथ (UPBoardSolutions.com) पर चलते हुए जो भी मिलेगा, चाहे वह दुख हो या सुख, हार हो या जीत, जीवन हो या मृत्यु, वे सब कुछ स्वीकार कर
लेंगे लेकिन ईश्वर से वरदान नहीं माँगेंगे।

(ग) कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किन्तु भागूंगा नहीं।
उत्तर:
कर्तव्यपथ के विषय में कवि का दृढ़ संकल्प यह है कि चाहे उनके हृदय को (UPBoardSolutions.com) कितनी भी पीड़ा क्यों न पहुँचाई जाए, चाहे उन्हें कितने ही अभिशापों को क्यों न झेलना पड़े लेकिन वे अपने कर्तव्य पथ से पीछे नहीं हटेंगे। अर्थात उन्हें रोकने के लिए चाहे उनके साथ जो कुछ भी किया जाए वे अपने कर्तव्य को हर हाल में निभाएँगे।

वरदान मांगूंगा नहीं कविता का सारांश प्रश्न 2:
निम्नलिखित पंक्तियों को उनके सही अर्थ से मिलाइये (मिलाकर)
उत्तर:
Vardan Mangunga Nahi Kavita Ka Bhavarth UP Board Solutions For Class 7 Hindi Chapter 17

वरदान कविता का भावार्थ प्रश्न 3:
कविता में जीवन को महासंग्राम क्यों कहा गया है?
उत्तर:
कविता में जीवन को महासंग्राम कहा गया है क्योंकि इसमें कठिनाइयों पर संघर्षरत रहकर उन पर विजय प्राप्त करने का भाव होता है।

भाषा की बात

Vardan Mangunga Nahi Poem Summary प्रश्न 1:
इस कविता में एक पंक्ति है ‘‘क्या हार में क्या जीत में” इसमें एक ही पंक्ति में ‘हार’ (UPBoardSolutions.com) और ‘जीत’ दो परस्पर विलोम शब्द आए हैं। आप भी कुछ ऐसी पंक्तियाँ बनाइए जिनमें दो परस्पर विलोम शब्द एक साथ आए हों, जैसे- क्या सुख में क्या दुःख में।।
उत्तर:
(1) क्या खुशी में क्या गम में।
(2) क्या ऊपर में क्या नीचे में।
(3) क्या आगे में क्या पीछे में।
(4) क्या लेने में क्या देने में।।
(5) क्या रहने में क्या जाने में।
(6) क्या अन्दर में क्या बाहर में।

Vardan Mangunga Nahi Poem Meaning In Hindi प्रश्न 2:
पाठ में आए तुकान्त शब्द छाँटकर उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके
उत्तर:
(1) शुद्ध भाषा में विराम चिहनों का धयान रखना चाहिए।
(2) जीवन एक महासंग्राम है।
(3) महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत हुई।
(4) कायर रणक्षेत्र से भयभीत होकर भाग जाते हैं।
(5) भूमध्य रेखा पर सारे वर्ष ताप उच्च होता है।
(6) अशिक्षित रहना एक अभिशाप है।

Vardan Mangunga Nahi प्रश्न 3:
जन = लोग। (जन-जन की आवाज है – हम सब एक हैं।)
जान = प्राण। ( क्या बताऊँ, वह हमेशा मेरी जान के पीछे पड़ा रहता है।)
ऊपर के शब्दों (जन-जान) में केवल एक मात्रा के हेर-फेर से उनके उच्चारण (UPBoardSolutions.com) और अर्थ दोनों ही बदल गए हैं। नीचे कुछ शब्द-युग्म दिए जा रहे हैं, उनका अर्थ स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए तथा ऐसे पाँच शब्द-युग्म आप भी ढूंढिए।
सुत-सूत, नीर-नी, मन-मान, कुल-कूल, क्रम-कर्म
उत्तर:
सुत (पुत्र)                                 –           लव-कुश राम के सुत थे।
सूत (धागा)                              –           रेशम का सूत बहुत पतला होता है।
तन (शरीर)                            –            तन स्वच्छ रखना चाहिए।
तान (आने की लय)                –            तानसेन का तान बहुत अच्छा था।
मन (इन्छा, विचार, भाव)       –            प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन पर नियन्त्रण रखना चाहिए।
मान (अम्मान)                        –             हमें अपने से बड़ों का मान करना चाहिए।
कुल (वंश, खानदान)             –              सीता सूर्य-कुल की पुत्रवधू थीं।
कूल (कनारा)                         –              नदी का कूल बहुत चौड़ा है।
नम (गला)                              –              बारिश से धरती नम हो जाती है।
नाम (यश)                              –               रामायण में राम नाम का गुणगान है।

वरदान माँगूँगा नहीं कविता का भावार्थ प्रश्न 4:
तिल-तिल मिटूगा पर दया की भीख नहीं लूंगा, क्योंकि
(1) जीवन एक विराम है।
(2) जीवन महासंग्राम है।
(3) जीवन बहुत अल्प है।
(4) जीवन में बहुत आराम है।

Vardaan Manguga Nahi प्रश्न 5:
स्मृति सुखद प्रहरों के लिए क्या (UPBoardSolutions.com) नहीं चाहँगा ?
(1) विश्व की सम्पत्ति।
(2) खण्डहर।
(3) दीर्घायु।
(4) कर्तव्य

वरदान मांगूंगा नहीं कविता प्रश्न 6:
किन-किन परिस्थितियों में कवि अपने कर्तव्य-पथ से हटना नहीं चाहता है?
(1) हृदय को ताप एवं अभिशाप प्राप्त होने पर।
(2) भयर्भत होने पर।
(3) धमकाने पर।
(4) प्रताडित होने पर।

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