UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 13 भक्ति-नीति माधुरी

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UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 13 भक्ति-नीति माधुरी

भक्ति-नीति माधुरी शब्दार्थ

अधर = होठ
परलै = प्रलय, महाविनाश
उर = हृदय
बहरि = फिर, पुनः
हिरदै = हृदय
संचै= इकट्ठा करना
भखै = खाता है
परमारथ = दुसरों की भलाई
गोय = छिपाकर
पोहिए = थिए
सुजन = सज्जन
अठिलैहैं = उपहास करेंगे
धाम = घर
मकराकृत कुंडल = मछली के आकार का कुंडल
टेरि = बुलाना
अरुन = लाल
बैन = वाणी
भाल = मस्तक
रज = धूल
मोहनि = मोह लेने वाली
खेह = धूल या मिट्टी
कटि-तट = कमर के नीचे का भाग
ऊँचाई = उठाकर
अनमोल = अमूल्य, जिसका मूल्य न आँका जा सके
ते = से
राजत = शोभित
भगत बछल = भक्त को प्यार करने वाला
सुधा-रस = अमृत-रस
बिसाल = बड़े, विशाल
छुद्रघंटिका = घुघरू या छोटी-छोटी घंटियाँ।

कबीर

साँच बराबर …………………………………………… हिरदै आप।

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘भक्ति-नीति माधुरी’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘कबीरदास जी’ हैं। ___ भावार्थ-कबीरदास जी कहते हैं कि सच्चाई के समान कोई तप नहीं है और झूठ बोलने के समान कोई पाप नहीं है। जिसके हृदय में सच्चाई होती है, उसके हृदय में स्वयं ईश्वर रहते हैं।

काल्ह करे ……………………………………………. कब।

भावार्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि हमें कल करने वाला कार्य आज और आज का काम अभी कर लेना चाहिए; क्योंकि यदि पल भर में प्रलय हो जाए; तो फिर कार्य करने को समय नहीं मिलेगा।

वृच्छ कबहुँ …………………………………………. शरीर।

संदर्भ – कबीरदास जी कहते हैं कि पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाता, नदी पानी को नहीं रोकती। इसी प्रकार, सज्जन भी दूसरों की भलाई करने के लिए मनुष्य जन्म धारण करते हैं।

रहीम

बिगरी बात ………………………………….. माखन होय॥

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘भक्ति-नीति माधुरी’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘रहीम जी’ हैं।

संदर्भ – रहीम जी कहते हैं कि बात बिगड़ने पर फिर नहीं बनती, चाहे कोई कितना ही प्रयत्न क्यों न करे। यह ठीक उसी प्रकार होता है, जिस प्रकार, दूध फट जाने पर उसमें से मक्खन नहीं निकलता।

जो रहीम ………………………………………… रहत भुजंग॥

भावार्थ – रहीम जी कहते हैं कि उत्तम स्वभाव वाले व्यक्ति पर बुरी संगति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह ठीक उसी प्रकार होता है, जिस प्रकार, चंदन के पेड़ पर विषैले साँपों के लिपटे रहने पर भी उस पर उनके विष का कोई असर नहीं होता है।

सूरदास

मैया कबहि ………………………………………….. जोटी॥

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘भक्ति-नीति माधुरी’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘सूरदास जी’ हैं।

भावार्थ – बालक कृष्ण माता यशोदा से पूछते हैं- माँ मेरी चोटी कब बढ़ेगी। कितना समय हो गया, मुझे दूध पीते हुए, लेकिन अभी तक यह छोटी ही है। तू तो कहती थी कि बालों को झाड़ते-झाड़ते और गुहते-गुहते मेरी चोटी भी बलदाऊ की चोटी की तरह लंबी और मोटी हो जाएगी तथा नागिन की तरह जमीन को छूने लगेगी। तू मुझे कच्चा दूध पका-पकाकर पिलाती है, मक्खन, रोटी खाने को नहीं देती। सूरदास जी कहते हैं कि कृष्ण और बलदाऊ की जोड़ी दीर्घायु है।

मीरा

बसौ मोरे ………………………………………………….. गोपाल॥

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘भक्ति-नीति माधुरी’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी रचयिता ‘मीरा’ हैं।

भावार्थ – हे नंद के लाल (पुत्र) कृष्ण! हमेशा के लिए मेरी आँखों में बस जाओ। जिसके सिर पर मोर का मुकुट है, मकर की आकृति के कुंडल हैं, मस्तिष्क पर लाल तिलक है, जिसकी साँवली सूरत मन को मोहने वाली है, जिसके नेत्र बहुत बड़े-बड़े हैं, जिसके अमृत भरे रसीले होठों पर बसी विराजमान है, जिसके वक्ष पर वैजयंती माला शोभित हो रही है, जिसके कमर के नीचे छोटी घंटी सुंदर लगती है, जिसके पैरों के घुघरू मधुर शब्द करते हैं, मीरा जी कहती हैं कि ऐसे भगवान श्री कृष्ण, भक्त-वत्सल, गऊओं के पालनहार और सुख देने वाले हैं।

भक्ति-नीति माधुरी अभ्यास प्रश्न

बोध प्रश्न

प्रश्न १.
उत्तर दो
सज्जन व्यक्तियों की तुलना वृक्षों और नदियों से क्यों की गई है?
उत्तर:
पेड़ फल देकर और नदी पानी बहाकर सबका भला करते हैं। इसी प्रकार सज्जन भी परोपकार करते हैं; अतः पेड़ और नदी से सज्जनों की तुलना की गई है।

बुरी संगत का प्रभाव किस प्रकार के लोगों पर नहीं पड़ता है?
उत्तर:
बुरी संगत का प्रभाव अच्छे स्वभाव वाले लोगों पर नहीं पड़ता है।

श्रीकृष्ण की चोटी नागिन की तरह क्यों हो जाएगी?
उत्तर:
बार-बार बाल बनाने और गूंथने से श्रीकृष्ण की चोटी नागिन की तरह लंबी और मोटी हो जाएगी। ,

मीरा ने कृष्ण के किस रूप का वर्णन किया है?
उत्तर:
मीरा ने कृष्ण के सुंदर रूप का वर्णन किया है।

मीरा ने कृष्ण के किन गुणों का बखान किया है?
उत्तर:
मीरा ने कृष्ण के तीन गुणों का बखान किया है। वे संत लोगों को सुख देने वालों, भक्तों की रक्षा करने वाले और गऊओं को पालने वाले हैं।

प्रश्न २.
नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो
‘परमारथ के कारने साधन धरा शरीर।’
भाव:
सज्जन परोपकार के लिए ही जन्म लेते हैं।

“सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप’
भाव:
सच्चाई के समान कोई तपस्या नहीं है और झूठ बोलने के समान कोई पाप नहीं है।

‘रहिमन बिगरे दूध को मथे न माखन होय।’
भाव:
कार्य बिगड़ जाने के बाद फिर नहीं सुधरता।

“काचो दूध पियावत पचि-पचि देत न माखन रोटी’
भाव:
बालक श्रीकृष्ण माता यशोदा से शिकायत करते हुए कहते हैं कि तू मुझे कच्चा दूध पका-पकाकर पिलाती है, मक्खन और रोटी खाने को नहीं देती।

‘मोर मुकुट मकराकृत कुण्डल अरुन तिलक दिए भाल।’
भाव:
मोर का मुकुट, मकर की आकृति के कुण्डल पहनने वाले, मस्तिक पर लाल (चंदन) तिलक लगाने वाले भगवान बालकृष्ण का अति मनोहर रूप।

प्रश्न ३.
कॉलम ‘क’ में लिखे गए अशुद्ध शब्दों का मिलान कॉलम ‘ख’ में लिखे गए शुद्ध शब्दों से करो
‘क’ – ‘ख’
सोभित – शोभित
बिसाल – विशाल
परमारथ – परमार्थ
अरुन – अरुण
संचै – संचय
भखै – भक्षण
वृच्छ – वृक्ष
मूरति – मूर्ति

तुम्हारी कलम से

कबीर और रहीम के दोहों से तुमने क्या सीखा? अपनी कॉपी पर लिखो।
कबीर के दोहों से हमने सीखा कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए क्योंकि सच बोलने वाले के हृदय में स्वयं भगवान रहते हैं। जिस प्रकार वृक्ष फल देकर और नदी जल देकर दूसरों का भला करती है, ठीक उसी प्रकार सज्जन लोगों का जीवन भी दूसरों की भलाई के लिए होता है। रहीम के दोहों से हमने सीखा कि अच्छे स्वभाव वाले व्यक्ति पर बुरी संगति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

अब करने की बारी

प्रश्न.
मीरा और सूरदास के पद में किसका वर्णन किया गया है?
उत्तर:
मीरा और सूरदास के पदों में श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन किया गया है।

प्रश्न.
इस पाठ के दोहे एवं पदों को प्रतिदिन पढ़कर दुहराओ। तुम देखोगे कि ये दोहे एवं पद तुम्हें स्वतः याद हो जाएंगे।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

कितना सीखा – ३

प्रश्न १.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो
(क) माधो सिंह ने अपनी पत्नी को खेतों तक पानी लाने के लिए क्या उपाय बताया?
उत्तर:
माधो सिंह ने पहाड़ काटकर सुरंग के द्वारा नदी का पानी गाँव में लाने का उपाय बताया।

(ख) माधो सिंह के किस कथन से सिद्ध होता है कि वह एक उत्साही और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति था?
उत्तर:
माधो सिंह ने प्रतिज्ञा की थी, “जब तक मेरे शरीर में रक्त की एक भी बूँद रहेगी, मैं अपने गाँव मलेथा तक गूल निकालकर पानी लाने का प्रयास करूंगा। मैं तब तक चैन की नींद नहीं सोऊँगा; जब तक मलेथा के एक-एक खेत तक पानी नहीं आ जाता!” इससे सिद्ध होता है कि वह एक उत्साही और दृढ निश्चयी व्यक्ति था।

(ग) कबीरदास ने सज्जन पुरुषों की तुलना वक्षों तथा नदियों से क्यों की है?
उत्तर:
सज्जन, वृक्ष और नदी तीनों बहुत परोपकारी होते हैं। इसीलिए कबीरदास ने सज्जनों की तुलना वृक्षों और नदियों से की है।

(घ) “फटे दूध से मक्खन नहीं निकलता’ इस उदाहरण से रहीम दास जी क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर:
उपर्युक्त उदाहरण से रहीम दास जी का आशय है कि यदि बात बिगड़ जाए, तो वह अनेक प्रयत्न करने पर भी नहीं सुधरती।

(ङ) माँ यशोदा ने बालक कृष्ण को गोद में उठाकर क्या किया और क्या कहा?
उत्तर:
माँ यशोदा ने बालक कृष्ण को ऊपर उठाकर आँचल से उनकी देह पोंछी और कहा कि सारे शरीर में कहाँ से मिट्टी लगा ली है।

(च) उस घटना का वर्णन करो जब तिलक ने गणित के प्रश्नों को कक्षा में मौखिक ही हल कर दिया था।
उत्तर:
बालक कक्षा में प्रश्न हल करने में तल्लीनता से लगे थे। एक बालक बैठा था। शिक्षक ने पूछा, “क्यों बैठे हो? “बालक ने कहा, मैंने प्रश्न मौखिक रूप में हल कर लिए हैं। शिक्षक द्वारा पूछने पर बालक ने प्रश्नों के सही उत्तर दिए।

(छ) स्वतन्त्रता प्राप्ति में बाल गंगाधर तिलक का क्या योगदान रहा?
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति में तिलक का बहुत योगदान रहा। उन्होंने शिक्षा के माध्यम तथा अपने कार्यों और विचारों के प्रचार से जन-चेतना जगाई। मराठा और केसरी समाचार पत्रों से विदेशी शासन के विरुद्ध लोगों को तैयार किया। उन्होंने लोगों को जाग्रत् करने के लिए “स्वतन्त्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा,” नारा दिया। १९१४ में माँडले जेल से निकलकर वे स्वतंत्रता प्राप्ति में जी-जान से जुट गए।

प्रश्न २.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो
(क) रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार।
रहिमन फिरि-फिरि पोहिए टूटे मुक्ताहार॥
उत्तर:
सौ बार रूठने पर भी सज्जनों को उसी तरह मना लेना चाहिए, जिस तरह, टूटे हुए हार के मोतियों को बार-बार पिरो लिया जाता है।

(ख) लोकमान्य बाल गंगाधर के विचार, देशभक्ति और स्वातंत्र्य-प्रेम हमारे लिए सदा ही प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे।
उत्तर:
तिलक अद्भुत विद्वान, विचारक, क्रांतिकारी, देशभक्त और स्वतंत्रता प्रेमी थे। उनके गुणों का प्रभाव हम पर चिरस्थायी रहेगा।

प्रश्न ३.
(क) इन शब्दों में ‘इत’ प्रत्यय लगाकर नवीन शब्द बनाओ
प्रकाश – प्रकाशित
प्रभाव – प्रभावित
प्रवाह – प्रवाहित
आलोक – आलोकित

(ख) मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग करो (वाक्यों में प्रयोग करके)-

  • भगीरथ प्रयास – माधो सिंह ने भगीरथ प्रयास करके मलेथा में नदी के पानी की गूल ला दी।
  • थोथा चना बाजे घना – बरसाती नाले अधिक शोर करते है, ठीक उसी प्रकार जैसे थोथा चना बाजे घना।
  • मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन पवित्र हो, तो ईश्वर सब जगह है-मन चंगा तो कठौती में गंगा।
  • हाथ मलना – चोर भाग गया और सिपाही हाथ मलते रह गए।
  • ऊँट के मुँह में जीरा – आवश्यकता बहुत अधिक और पूर्ति बहुत कम को ही ‘ऊँट के मुँह में जीरा’ कहते हैं।
  • आँखों का तारा होना – रोहित तारामती की आँखों का तारा है।

(ग) नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखो (विलोम शब्द लिखकर)
भय – अभय
राजा – रंक
रानी – दासी (चेरी)
प्रकाश – अंधकार
शिक्षा – अशिक्षा
उष्ण – शीत

प्रश्न ४.
नीचे दो-दो शब्दों के जोड़े दिए गए हैं। यदि दोनों के अर्थ समान हों, तो ‘स’ पर और विपरीत हों, तो ‘वि’ पर घेरा लगाओ (घेरा लगाकर)
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प्रश्न ५.
नीचे दिए गए शब्दों को एक साथ मिलाकर लिखो (शब्दों को मिलाकर)
किशोर + अवस्था = किशोरावस्था
वृद्ध + अवस्था = वृद्धावस्था
बाल्य + अवस्था = बाल्यावस्था
प्रौढ़ + अवस्था = प्रौढ़ावस्था

अपने आप – ३

चित्रात्मक मुहावरे

आँख का तारा होना, पैरों में बेड़ी पड़ना, मुँह में पानी आना, चिराग तले अँधेरा, अंधे की लाठी, हाथी चला जाता है और कुत्ते भौंकते रहते हैं।
नोट – विद्यार्थी चित्र देखें और समझें।

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