UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 3 संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 3
Chapter Name संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 3 संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्

Sanskrit Bhasha Mahatvam Class 12 अवतरणों का सन्दर्भ अनुवाद

संस्कृत भाषायाः महत्वम् हिन्दी अनुवाद (1)
धन्योऽयम् …………………………………………….. महर्षिभिः ।। [2017]

धन्योऽयम् भारतदेशः ………………………………….‘भाषातत्त्वविदिभ । [2010]
अस्माकं रामायण …………………………………………..: दृष्टेरविषयः ।
धन्योऽयम् ………………………………………………. दृष्टेरविषयः। (2015)
धन्योऽयम् …………………………………………………… लिखितानि सन्ति । [2012, 13]

[ समुल्लसति = सुशोभित है। भव्यभावोद्भाविनी (भव्यभाव + उद्भाविनी) = उच्च भावों को उत्पन्न करने वाली। शब्द-सन्दोह-प्रसविनी = शब्दराशि को जन्म देने वाली। निखिलेष्वपि (निखिलेषु + अपि) = सारे ही। प्रथिता = प्रसिद्ध। दृष्टेरविषयः (दृष्टेः + अविषयः) =अज्ञात नहीं (दृष्टि से ओझल नहीं)। सम्यगुक्तमाचार्यप्रवरेण दण्डिना (सम्यक् + उक्तम् + आचार्यप्रवरेण दण्डिना) =आचार्यश्रेष्ठ दण्डी ने ठीक ही कहा है। वागन्वाख्याता (वाक् + अन्वाख्याता) = वाणी कही गयी है। ]

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ के संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् शीर्षक पाठ से उधृत है।
[विशेष—इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]
अनुवाद-यह भारत देश धन्य है, जहाँ मनुष्यों के पवित्र मनों को प्रसन्न करने वाली, उच्च भावों को उत्पन्न करने वाली, शब्दराशि को जन्म देने वाली देववाणी (संस्कृत) सुशोभित है। (वर्तमान काल में) विद्यमान समस्त साहित्यों में इसका साहित्य सर्वश्रेष्ठ एवं सुसमृद्ध है। यही भाषा संसार में संस्कृत के नाम से भी प्रसिद्ध है। हमारे रामायण, महाभारत आदि ऐतिहासिक ग्रन्थ, चारों वेद, सारे उपनिषद्, अठारह पुराण तथा अन्य महाकाव्य, नाटक आदि इसी भाषा में लिखे गये हैं। भाषाविज्ञानियों ने इसी भाषा को सारी आर्यभाषाओं की जननी माना है। संस्कृत का गौरव, उसमें अनेक प्रकार के ज्ञान का होना तथा उसकी व्यापकता किसी की दृष्टि से छिपी नहीं (किसी को अज्ञात नहीं) है। संस्कृत के गौरव को ध्यान में रखकर ही आचार्यश्रेष्ठ दण्डी ने ठीक ही कहा हैसंस्कृत को महर्षियों ने दिव्य वाणी (देवताओं की भाषा) कहा है।

Sanskrit Digdarshika Class 12 Chapter 3 (2)
संस्कृतस्य साहित्यं ………………………………………………….. सजायन्ते । [2011, 14, 16, 17, 18]

संस्कृतस्य साहित्यं …………………………………………………… नान्यत्र तादृशी ।

[ किं बहुना =और अधिक क्या। किञ्चिदन्यत् (किञ्चित् + अन्यत्) = और कोई नहीं )। अनसूया = किसी से ईर्ष्या (या द्वेष) न करना। सजायन्ते = उत्पन्न होते हैं।].

अनुवाद-संस्कृत का साहित्य सरस है और (उसका) व्याकरण सुनिश्चित है। उसके गद्य और पद्य में लालित्य (सौन्दर्य), भावों का बोध (ज्ञान कराने) की क्षमता और अद्वितीय कर्णमधुरता (कानों को प्रिय लगना) है। अधिक क्या, चरित्र-निर्माण की जैसी उत्तम प्रेरणा संस्कृत साहित्य देता है वैसी (प्रेरणा) अन्य कोई (साहित्य) नहीं। मूलभूत मानवीय गुणों का जैसा विवेचन संस्कृत साहित्य में मिलता है, वैसा अन्य कहीं नहीं। दया, दान, पवित्रता, उदारता, ईष्र्या (या द्वेष) रहित होना, क्षमा तथा अन्यान्य अनेक गुण इसके साहित्य के अनुशीलन (अध्ययन एवं मनन) से (मनुष्य में) उत्पन्न होते हैं।

Class 12 Hindi Sanskrit Chapter 3 (3)
संस्कृतसाहित्यस्य …………………………………………….. गीर्वाणभारती’ इति । [2015]

इयं भाषा: ……………………………………………. गीर्वाणभारती’ इति ।
संस्कृतसाहित्यस्य ………………………………………….. श्रेष्ठा चास्ति । [2014]
संस्कृतसाहित्यस्य ……………………………………………….. सुरक्षितं शक्यन्ते । [2009, 10, 15]

[ सुष्टूक्तम् (सुष्ठ+ उक्तम्) = ठीक कहा गया है। गीर्वाणभारती (गीर्वाण = देवता, भारती = वाणी)। ]
अनुवाद-संस्कृत साहित्य के आदिकवि वाल्मीकि, महर्षि वेदव्यास, कविकुलगुरु कालिदास, भासभारवि-भवभूति आदि अन्य महाकवि अपने श्रेष्ठ ग्रन्थों द्वारा आज भी पाठकों के हृदय में विराजते हैं (अर्थात् उनके ग्रन्थों को पढ़कर पाठक आज भी उन्हें याद करते हैं)। यह भाषा हमारे लिए माता के समान आदरणीया और पूजनीया है; क्योंकि भारतमाता की स्वतन्त्रता, गौरव, अखण्डता एवं सांस्कृतिक एकता संस्कृत के द्वारा ही सुरक्षित रह सकती है। यह संस्कृत भाषा (विश्व की) समस्त भाषाओं में सर्वाधिक प्राचीन एवं श्रेष्ठ है। इसलिए यह ठीक ही कहा गया है कि ‘(सब) भाषाओं में देववाणी (संस्कृत) मुख्य, मधुर और दिव्य (अलौकिक) है।

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