UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 1 Data: Its Source and Compilation

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UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 1 Data: Its Source and Compilation (आंकड़े-स्रोत और संकलन)

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) एक संख्या अथवा लक्षण जो मापन को प्रदर्शित करता है, कहते हैं
(क) अंक
(ख) आँकड़े
(ग) संख्या
(घ) लक्षण।
उत्तर:
(ख) आँकड़े।

(ii) एकल आधार सामग्री एकमात्र माप है
(क) तालिका
(ख) आवृत्ति
(ग) वास्तविक संसार
(घ) सूचना।
उत्तर:
(क) तालिका।

(iii) एक मिलान चिह्न में, फोर एवं क्रॉसिंग फिफ्थ द्वारा समूहीकरण को कहते हैं
(क) फोर एंड क्रॉस विधि
(ख) मिलान चिह्न विधि
(ग) आवृत्ति अंकित विधि
(घ) समावेश विधि।
उत्तर:
(क) फोर एंड क्रॉस विधि।

(iv) ओजाइव एक विधि है जिसमें
(क) साधारण आवृत्ति नापी जाती है
(ख) संचयी आवृत्ति नापी जाती है
(ग) साधारण आवृत्ति अंकित की जाती है
(घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती है।
उत्तर:
(ख) संचयी आवृत्ति नापी जाती है।

(v) यदि वर्ग के दोनों अन्त आवृत्ति समूह में लिए गए हों, इसे कहते हैं
(क) बहिष्कार विधि
(ख) समावेशी विधि
(ग) चिह्न विधि
(घ) सांख्यिकीय विधि।
उत्तर:
(ख) समावेशी विधि।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) आँकड़ा और सूचना के बीच अन्तर।
उत्तर:
आँकड़ा- आँकड़ों को ऐसी संख्याओं के रूप में परिभाषित किया गया है जो यथार्थ विश्व के मापन को प्रदर्शित करती हैं।
सूचना- सूचना को एक प्रश्न के अर्थपूर्ण उत्तर अथवा अर्थपूर्ण उद्दीपक के रूप में परिभाषित किया गया है जिसे अगले प्रश्नों में सोपानित किया जा सकता है।

(ii) आँकड़ों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आँकड़ों को ऐसी संख्याओं के रूप में परिभाषित किया गया है जो यथार्थ विश्व के मापन को प्रदर्शित करती हैं।

(iii) एक तालिका में पाद टिप्पणी से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
तालिका में दी गई पाद टिप्पणी से लाभ यह है कि उससे तालिका के स्रोत की जानकारी हो जाती है तथा अन्य संकेतों का पता चलता है।

(iv) आँकड़ों के प्राथमिक स्रोतों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जो आँकड़े प्रथम बार व्यक्तिगत रूप से अथवा व्यक्तियों के समूह/संस्था अथवा संगठन द्वारा एकत्रित किए जाते हैं, आँकड़ों के प्राथमिक स्रोत कहलाते हैं।

(v) द्वितीयक आँकड़ों के पाँच स्रोत बताइए।
उत्तर:
द्वितीयक आँकड़ों के पाँच स्रोत हैं

  1. सरकारी प्रकाशन
  2. अर्द्ध-सरकारी प्रकाशन
  3. अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन
  4. निजी प्रकाशन एवं
  5. समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ।

(vi) आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्जी विधि क्या है?
उत्तर:
आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्जी विधि में एक वर्ग के उच्च मूल्य को उसी वर्ग में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए
(i) राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय अभिकरणों की चर्चा कीजिए जहाँ से द्वितीयक आँकड़े एकत्र किए जा सकते हैं।
उत्तर:
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय अभिकरण निम्नलिखित हैं जहाँ से द्वितीयक आँकड़े एकत्र किए जा सकते हैं
(1) सरकारी प्रकाशन- केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के अनेक मंत्रालय तथा विभाग और जिलों के बुलेटिन द्वितीय सूचनाओं के महत्त्वपूर्ण साधन हैं।
इनमें महत्त्वपूर्ण द्वितीय वर्ग की सूचनाएँ मिलती हैं। इसमें भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा प्रकाशित भारत की जनगणना, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण की रिपोर्टे, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम रिपोर्ट, राज्य सरकारों द्वारा प्रकाशित सांख्यिकीय सारांश और विभिन्न आयोगों द्वारा प्रकाशित आवधिक रिपोर्ट शामिल की जाती हैं।

(2) अर्द्ध-सरकारी प्रकाशन- इनमें नगर विकास प्राधिकरणों और विभिन्न नगरों और शहरों के नगर-निगमों और जिला परिषदों के प्रकाशन और रिपोर्ट आते हैं।

(3) अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन- इसमें वार्षिकी, संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अभिकरणों; जैसे—संयुक्त राष्ट्र, अभिकरण, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, विश्व स्वास्थ्य संगठन, खाद्य व कृषि परिषद् आदि द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट और मोनोग्राफ शामिल किए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के कुछ महत्त्वपूर्ण आवधिक प्रकाशन भी हैं जिनमें डैमोग्राफिक इयर बुक, स्टेटिस्टीकल इयर बुक और मानव विकास रिपोर्ट आदि महत्त्वपूर्ण हैं।

(ii) सूचकांक का क्या महत्त्व है? सूचकांक की परिकलन की प्रक्रिया को बताने के लिए एक उदाहरण लीजिए और परिवर्तनों को दिखाइए।
उत्तर:
सूचकांक- सूचकांक चर अथवा एक सांख्यिकीय माप है, जिसे चर अथवा समय भौगोलिक स्थिति या दूसरी विशेषताओं के सन्दर्भ में सम्बन्धित चरों के सम्बन्धित समूह में परिवर्तन को दर्शाने के लिए अभिकल्पित किया जाता है। सूचकांक का महत्त्व
सूचकांक का निम्नलिखित महत्त्व है
(1) सूचकांक न केवल समय के साथ हुए परिवर्तनों की माप करता है बल्कि विभिन्न स्थानों, उद्योगों, नगरों अथवा देशों की आर्थिक दशाओं की तुलना भी करता है।

(2) सूचकांक का उपयोग व्यापक रूप में अर्थशास्त्र और व्यवसाय में लागत और मात्रा में आए परिवर्तनों को देखने के लिए किया जाता है।
सूचकांक के परिकलन के लिए साधारण समुच्चय विधि सर्वाधिक उपयोगी है। इसका सूत्र निम्नलिखित
\frac{\Sigma q_{1}}{\Sigma q_{0}} × 100
Σq1 = वर्तमान वर्ष के उत्पादन का योग
Σq0 = आधार वर्ष के उत्पादन का योग
उदाहरण— निम्न तालिका में भारत में लौह इस्पात के उत्पादन और 1980-81 से 2010-11 तक के सूचकांकों के परिवर्तन को दर्शाती
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 1 Data Its Source and Compilation 1

क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
भूगोल की 35 विद्यार्थियों की कक्षा में, निम्नलिखित अंक 10 अंक के यूनिट टेस्ट में प्राप्त किए हैं
1, 0, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 2, 3, 4, 0, 2, 5, 8, 4, 5, 3, 6, 3, 2, 7, 6, 5, 4, 3, 7, 8, 9, 7, 9, 4, 5, 4, 3 आँकड़े को संचयी आवृत्ति वितरण में प्रस्तुत कीजिए।
हल:
वर्गीकरण
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 1 Data Its Source and Compilation 2

प्रश्न 2.
अपनी कक्षा के भूगोल विषय की अन्तिम परीक्षा का परिणाम एकत्र कीजिए और प्राप्तांकों को संचयी आवृत्ति वितरण के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
नोट-छात्र स्वयं करें।

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
साक्षात्कार लेते समय बरती जाने वाली सावधानियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साक्षात्कार लेते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ-साक्षात्कार लेते समय शोधकर्ता के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है

  • जिस व्यक्ति का साक्षात्कार लेना है उसके साथ मैत्रीपूर्वक मेलजोल स्थापित करना चाहिए।
  • प्राप्त की जाने वाली सूचना की परिशुद्ध सूची बना लेनी चाहिए।
  • अपने सर्वेक्षण के उद्देश्य की स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए और कोई झूठा वादा नहीं करना चाहिए।
  • उत्तर देने वाले से उसके परिवार की कुशलता के विषय में बातचीत करने से काम आसान हो जाएगा।
  • संवेदनशील प्रश्न पूछने से पहले उत्तर देने वाले व्यक्ति को विश्वास में ले लेना चाहिए।
  • प्रश्नों की भाषा सरल व शिष्ट होनी चाहिए।
  • जब उत्तरदाता व्यस्त हो तो उससे प्रश्न नहीं पूछना चाहिए।
  • उत्तरंदाता के आत्मसम्मान और धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने वाले प्रश्न नहीं पूछे जाने चाहिए।
  • उत्तरदाता से प्राप्त उत्तर को तुरन्त नोट कर लिया जाना चाहिए।
  • साक्षात्कार के बाद उत्तरदाता को धन्यवाद अवश्य देना चाहिए।

प्रश्न 2.
प्राथमिक व द्वितीयक आँकड़ों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक व द्वितीयक आँकड़ों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्राथमिक आँकड़ों की विशेषताएँ

  1. ये आँकड़े विस्तृत क्षेत्र और विस्तृत जानकारी के लिए उपयुक्त हैं।
  2. इन आँकड़ों के अध्ययन में लचीलापन होता है।
  3. इनके द्वारा गुप्त सूचनाएँ एकत्रित की जा सकती हैं।
  4. ये आँकड़े विश्वसनीय होते हैं।
  5. इन आँकड़ों को एकत्रित करने में समय व धन अपेक्षाकृत अधिक लगता है।
  6. व्यवस्थित ढंग व पूर्ण निर्धारित उद्देश्य से संकलित ये आँकड़े उपयोगी होते हैं।
  7. इन आँकड़ों का उपयोग करते समय विशेष ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती।

द्वितीयक आँकड़ों की विशेषताएँ

  1. द्वितीयक आँकड़े मौलिक नहीं होते, क्योंकि अनुसन्धानकर्ता अन्य एजेन्सियों द्वारा एकत्रित आँकड़ों का प्रयोग करते हैं।
  2. इन आँकड़ों के संकलन में समय, श्रम व धन अपेक्षाकृत कम लगता है।
  3. ये आँकड़े उपयोगी हो भी सकते हैं और नहीं भी।
  4. द्वितीयक आँकड़ों का प्रयोग अत्यन्त सावधानी से करना चाहिए।
  5. विस्तृत क्षेत्र व विस्तृत जानकारी के लिए उपयुक्त नहीं है।
  6. ये आँकड़े विश्वसनीय नहीं होते हैं।
  7. इन आँकड़ों का उपयोग करते समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
प्राथमिक आँकड़ों के साधनों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक आँकड़ों के साधन प्राथमिक आँकड़ों के साधन हैं— व्यक्तिगत प्रेक्षण, साक्षात्कार, प्रश्नावली अथवा अनुसूची एवं अन्य विधियाँ।
1. व्यक्तिगत प्रेक्षण- इस विधि में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा क्षेत्र में प्रत्यक्ष प्रेक्षण द्वारा आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं। प्रेक्षक स्वयं क्षेत्र में जाकर सूचनाएँ एकत्रित करता है। प्रेक्षणकर्ता को विषय का सैद्धान्तिक ज्ञान होना आवश्यक है, ताकि मूल्यांकन वैज्ञानिक एवं निष्पक्ष हो सके।

2. साक्षात्कार- इस विधि में शोधकर्ता उत्तर देने वाले व्यक्ति के साथ प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित करता है और संवाद तथा बातचीत द्वारा सूचनाएँ अथवा आँकड़े प्राप्त करता है।

3. प्रश्नावली- इस विधि में वांछित सूचना से सम्बन्धित साधारण प्रश्नों को उनके सम्भावित उत्तरों के साथ एक सादे कागज पर लिखा जाता है और उत्तर देने वाले व्यक्ति को दिए गए विकल्पों में सही उत्तर पर निशान लगाने को कहा जाता है।

4. अनुसूची- अनुसूची लगभग प्रश्नावली जैसी ही होती है, क्योंकि इसमें भी जाँच-पड़ताल से सम्बन्धित प्रश्न दिए हुए होते हैं। इन दोनों में अन्तर केवल यह है कि प्रश्नावली में उत्तर देने वाला प्रश्नावलियों को स्वयं भरता है, जबकि अनुसूची में परिगणक उत्तर देने वाले से प्रश्न पूछकर स्वयं भरता है।

5. अन्य विधियाँ- उपर्युक्त विधियों के अलावा कुछ अन्य विधियों की सहायता से भी आँकड़े एकत्रित किए जा सकते हैं।

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
समावेशी विधि से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समावेशी विधि-समावेशी विधि में एक मूल्य जो वर्ग की उच्च सीमा के मूल्य के समान होता है, उसे उसी वर्ग में रखा जाता है; इसीलिए इस विधि को ‘समावेशी विधि’ कहते हैं। इस विधि में वर्गों को अलग प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है। साधारणतया वर्ग की उच्च सीमा में अगले वर्ग की निम्न सीमा से 1 का अंतर होता है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस विधि में वर्ग का विस्तार 10 इकाइयों तक होता है।.

प्रश्न 2.
ओजाइव क्या है?
उत्तर:
ओजाइव-जब आवृत्ति को जोड़ दिया जाता है, उन्हें संचयी आवृत्ति कहा जाता है और जिस सारणी में सूचीगत किए जाते हैं, उसे संचयी आवृत्ति सारणी कहते हैं। संचयी आवृत्ति द्वारा प्राप्त किए गए वक्र को ‘ओजाइव’ कहते हैं। इसका निर्माण या तो कमतर विधि या अधिकतर विधि द्वारा करते हैं।

प्रश्न 3.
सूचकांक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सूचकांक-सूचकांक चर अथवा एक सांख्यिकीय माप है जिसे चर अथवा समय भौगोलिक स्थिति या दूसरी विशेषताओं के सन्दर्भ में सम्बन्धित चरों के सम्बन्धित समूह में परिवर्तन को दर्शाने के लिए अभिकल्पित किया जाता है। सूचकांक न केवल समय के साथ हुए परिवर्तनों की माप करता है बल्कि विभिन्न स्थानों, उद्योगों, नगरों अथवा देशों की आर्थिक दशाओं की तुलना भी करता है।

प्रश्न 4.
प्राथमिक आँकड़े को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक आँकड़े-वे आँकड़े जो क्षेत्र से सीधे किसी तत्त्व की गणना द्वारा अथवा लोगों से साक्षात्कार करके प्राप्त किए जाते हैं, उन्हें प्राथमिक आँकड़े’ कहते हैं। प्राथमिक आँकड़ों का मुख्य स्रोत सर्वेक्षण होता है। ये आँकड़े प्रथम बार व्यक्तिगत रूप से अथवा व्यक्तियों के समूह, संस्था/संगठन आदि द्वारा एकत्रित किए जाते हैं।
उदाहरणत- किसी कारखाने में कर्मचारियों की आय या किसी गाँव में भू-उपयोग से सम्बन्धित आँकड़े इत्यादि।

प्रश्न 5.
द्वितीयक आँकड़े को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
द्वितीयक आँकड़े-द्वितीयक आँकड़े प्रयोगकर्ता द्वारा स्वयं एकत्रित नहीं किए जाते हैं। ये बहुधा प्रकाशित होते हैं। कई बार अप्रकाशित साधनों से भी द्वितीयक आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं। प्रयोगकर्ता ऐसे आँकड़ों को लेकर उन्हें सही व विश्वसनीय मानते हुए अपना निष्कर्ष निकालते हैं।

प्रश्न 6.
सारणीयन के उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
सारणीयन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

  • सारणीयन का प्रमुख उद्देश्य अनुसन्धान द्वारा प्राप्त सामग्री को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना है।
  • सारणीयन से बोधगम्य सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं।
  • संकलित सामग्री को स्पष्ट करने के लिए उन्हें सारणियों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
  • सारणीयन से तुलना करना, निष्कर्ष निकालना एवं व्याख्या करना आसान हो जाता है।
  • सारणीयन का उद्देश्य तथ्यों को संक्षिप्त रूप से प्रदर्शित करना है।

प्रश्न 7.
सारणीयन के लाभों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सारणीयन के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. सारणीयन से अंकों की गणना आदि करने में आसानी रहती है।
  2. सारणीयन से तुलनात्मक अध्ययन करने में सुविधा रहती है।
  3. सारणीयन से समय व स्थान की बचत होती है।
  4. सारणीयन से तथ्यों का व्यवस्थित क्रम रहता है।
  5. सारणीयन से स्मरण करने में आसानी रहती है।
  6. सारणीयन सूचनाओं का स्पष्ट चित्र है।

प्रश्न 8.
सूचकांक की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सूचकांक की उपयोगिता एवं महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सूचकांक की उपयोगिता सार्वभौमिक है।
  2. सूचकांक से जटिल तथ्यों का सरलीकरण हो जाता है।
  3. सूचकांक नीति-निर्माण में सहायक है।
  4. सूचकांक तुलना में सहायक है।
  5. सूचकांक भावी प्रवृत्तियों के संकेत हैं।

प्रश्न 9.
साक्षात्कार प्रविधि का महत्त्व समझाइए।
उत्तर:
साक्षात्कार प्रविधि का महत्त्व निम्नलिखित है

  1. साक्षात्कार से सभी प्रकार की सूचनाओं का संकलन होता है।
  2. इससे भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन होता है।
  3. यह परस्पर प्रेरणात्मक अध्ययन है।
  4. यह एक मनोवैज्ञानिक अध्ययन है।
  5. यह अमूर्त-अदृश्य घटनाओं का अध्ययन है।
  6. इसमें सत्यापन की क्षमता होती है।

प्रश्न 10.
साक्षात्कार प्रविधि की सीमाएँ बताइए।
उत्तर:
साक्षात्कार प्रविधि की सीमाएँ निम्नलिखित हैं

  1. साक्षात्कार में सूचनादाता पर निर्भरता होती है।
  2. इसमें व्यक्तिगत पक्षपात की सम्भावना रहती है।
  3. इसमें स्मरण शक्ति पर निर्भरता होती है।
  4. सूचनादाता द्वारा गलत सूचना देने की सम्भावना रहती है।
  5. यह एक महँगी विधि है।
  6. यह बड़े अध्ययन क्षेत्र के लिए अनुपयुक्त है।

मौखिक प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
आँकड़ों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी लक्षण के सम्बन्ध में प्राप्त मात्रात्मक सूचनाओं को, जो स्थान, समय या दशा से जुड़ी हुई होती हैं, ‘आँकड़े’ कहलाती हैं।

प्रश्न 2.
प्राथमिक व द्वितीयक आँकड़ों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जब शोधकर्ता स्वयं क्षेत्र में या आँकड़ों के स्रोत पर पहुँचकर मात्रात्मक सूचनाएँ प्राप्त करता है तो उन्हें ‘प्राथमिक आँकड़े’ कहते हैं। सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, व्यक्तिगत प्रकाशनों तथा पत्र-पत्रिकाओं, रिपोर्टों से प्राप्त आँकड़े ‘द्वितीयक आँकड़े’ कहलाते हैं।

प्रश्न 3.
प्राथमिक आँकड़ों को एकत्रित करने के स्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. प्रत्यक्ष व्यक्तिगत साक्षात्कार द्वारा
  2. अप्रत्यक्ष व्यक्तिगत साक्षात्कार द्वारा
  3. संवाददाताओं से प्राप्त सूचना
  4. डाक द्वारा प्रश्नावली भेजकर
  5. परिगणकों द्वारा प्रश्नावली भेजकर।

प्रश्न 4.
निरपेक्ष आँकड़ा क्या है?
उत्तर:
जब आँकड़े अपने मूल रूप में पूर्णांक की तरह प्रस्तुत किए जाते हैं, उन्हें ‘निरपेक्ष आँकड़े’ (कच्चे आँकड़े) कहा जाता है।

प्रश्न 5.
द्वितीयक आँकड़ों के स्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर:
द्वितीयक आँकड़ों के दो स्रोत हैं
(1) प्रकाशित एवं
(2) अप्रकाशित स्रोत।

1. प्रकाशित एवं

  • सरकारी प्रकाशन
  • अर्द्ध-सरकारी प्रकाशन
  • अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन
  • निजी प्रकाशन
  • समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ
  • इलेक्ट्रॉनिक।

2. अप्रकाशित स्रोत

  • सरकारी प्रलेख
  • अर्द्ध-सरकारी प्रलेख
  • निजी प्रलेख।

प्रश्न 6.
प्राथमिक आँकड़ों के साधनों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक आँकड़ों के साधन

  1. व्यक्तिगत प्रेक्षण
  2. साक्षात्कार
  3. प्रश्नावली व अनुसूची एवं
  4. अन्य विधियाँ।

प्रश्न 7.
आवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:
मदों की संख्याएँ ‘आवृत्ति’ कहलाती हैं।

प्रश्न 8.
संचयी आवृत्ति को किससे प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
संचयी आवृत्ति को cf से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 9.
समूहों या वर्गों को तैयार करने के लिए लाई जाने वाली विधियों के नाम बताइए।
उत्तर:

  • अपवर्ती विधि एवं
  • समावेशी विधि।

प्रश्न 10.
आवृत्ति बहुभुज किसे कहते हैं?
उत्तर:
आवृत्तियों के वितरण का ग्राफ ‘आवृत्ति बहुभुज’ के नाम से जाना जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आँकड़े एकत्रित करने के स्रोत हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।

प्रश्न 2.
प्राथमिक आँकड़ों का साधन नहीं है
(a) साक्षात्कार
(b) प्रश्नावली
(c) अनुसूची
(d) सरकारी प्रकाशन।
उत्तर:
(d) सरकारी प्रकाशन।

प्रश्न 3.
आँकड़ों के द्वितीयक स्रोत का अप्रकाशित साधन है
(a) सरकारी प्रलेख
(b) अर्द्धसरकारी प्रलेख
(c) निजी प्रलेख
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
साधारण आवृत्ति को प्रदर्शित करने वाला संकेताक्षर है
(a)f
(b) cf
(c) s
(d) t.
उत्तर:
(a) f.

प्रश्न 5.
समूहों या वर्गों को तैयार करने के लिए कौन-सी विधि प्रयोग में लायी जाती है
(a) समावेशी विधि
(b) अपवर्जी विधि
(c) (a) व (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) (a) व (b) दोनों।

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