UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 21 परिवार कल्याण एवं परिवार नियोजन

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Board UP Board
Class Class 12
Subject Home Science
Chapter Chapter 21
Chapter Name परिवार कल्याण एवं परिवार नियोजन
Number of Questions Solved 19
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 21 परिवार कल्याण एवं परिवार नियोजन

बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)

प्रश्न 1.
जनसंख्या विस्फोट के क्या कारण हैं? (2008, 12, 13)
(a) अशिक्षा
(b) खराब स्वास्थ्य/गरीबी
(c) विकास के साधनों की कमी
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) अशिक्षा

प्रश्न 2.
जनसंख्या विस्फोट के क्या परिणाम है? (2008)
(a) अशिक्षा
(b) खराब स्वास्थ्य
(c) विकास के साधनों की कमी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3.
जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। (2014)
(a) 9 जुलाई को
(b) 11 जुलाई को
(C) 15 जुलाई को
(d) 20 जुलाई को
उत्तर:
(b) 11 जुलाई को

प्रश्न 4.
परिवार नियोजन द्वारा किस समस्या का समाधान हो सकता है? (2014, 18)
(a) जनसंख्या नियन्त्रण
(b) देश के विकास में वृद्धि
(c) माँ तथा शिशु की मृत्यु में कमी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5.
परिवार नियोजन कार्यक्रम सफल क्यों नहीं हो पाते हैं? (2013)
(a) यौन शिक्षा की कमी
(b) निर्धनता के कारण
(c) अज्ञानता
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक, 25 शब्द)

प्रश्न 1.
परिवार कल्याण की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
परिवार कल्याण से आशय उस दृष्टिकोण से है, जिसके अन्तर्गत परिवार से सम्बन्धित सभी पक्षों को अधिक उत्तम बनाने का प्रयास किया जाता है। इसके अन्तर्गत परिवार की बहुपक्षीय उन्नति एवं प्रगति के लिए हरसम्भव उपाय एवं प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 2.
वर्ष 2011 की जनगणना के समय भारत की जनसंख्या क्या थी?
उत्तर:
वर्ष 2011 की जनगणना के समय भारत की जनसंख्या 121.02 करोड़ थी, जो निरन्तर बढ़ रही है।

प्रश्न 3.
भारतीय समाज में जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण क्या हैं?
उत्तर:
कम आयु में विवाह, संयुक्त परिवार प्रणाली, पुत्र सन्तान की अनिवार्यता, अज्ञानता, गर्म जलवायु, गर्भ निरोधक उपायों की सीमित जानकारी आदि कारक भारतीय समाज में जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 4.
परिवार नियोजन से क्या आशय है?
उत्तर:
पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार नियोजित रूप से परिवार के आकार को सीमित रखना ही परिवार नियोजन है।

प्रश्न 5.
भारत के सन्दर्भ में परिवार को सीमित रखने की आवश्यकता का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर को नियन्त्रित करने के लिए परिवार को सीमित रखना आवश्यक है।

प्रश्न 6.
परिवार को सीमित रखने से बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
परिवार को सीमित रखने से बच्चों का पालन-पोषण एवं बहुपक्षीय विकास उत्तम हो सकता है।

प्रश्न 7.
परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता हेतु कोई दो प्रभावी उपाय लिखिए।
उत्तर:
परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता हेतु कोई दो प्रभावी उपाय निम्नलिखित हैं।

  1. परिवार नियोजन सुविधाओं का विस्तार एवं सम्बन्धित भ्रान्तियों का निराकरण आवश्यक है।
  2. परिवार नियोजन करने वाले दम्पत्तियों को प्रोत्साहनस्वरूप कुछ विशेष सुविधाएँ मिलनी चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक, 50३ब्द)

प्रश्न 1.
“जनसंख्या वृद्धि रोजगार के अवसरों के बीच असन्तुलन का कारण है।” समझाइए। (2011)
उत्तर:
रोजगार एक व्यक्ति एवं परिवार के सामान्य जीवन-निर्वाह के लिए प्राथमिक आवश्यकता है। अत: रोजगार के अवसरों तक पहुँच किसी भी देश के नागरिकों का मौलिक अधिकार है। नागरिकों के इसी अधिकार को सुनिश्चित करने हेतु सरकार द्वारा नियमित रूप से, विभिन्न उपलब्ध संसाधनों एवं देश की औद्योगिक व्यावसायिक प्रगति को ध्यान में रखकर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।

वस्तुत: हमारे देश में औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रगति पर्याप्त सन्तोषजनक है, परन्तु देश की जनसंख्या वृद्धि दर अधिक होने के कारण, उपलब्ध रोजगार के अवसर कम प्रतीत हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जनसंख्या आधिक्य की स्थिति में सभी व्यक्तियों को शिक्षा के समान स्तरीय अवसर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।

अत: रोजगार के इच्छुक व्यक्ति कुशल प्रशिक्षण के अभाव में, रोजगार के अवसरों की माँग को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। इस प्रकार रोजगार के उपलब्ध अवसरों तथा रोजगार के इच्छुक व्यक्तियों के बीच उत्पन्न असन्तुलन की स्थिति बेरोजगारी की समस्या को जन्म देती है।

प्रश्न 2.
जनसंख्या विस्फोट के नियन्त्रण के उपाय बताइए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि या जनसंख्या विस्फोट पर नियन्त्रण
जनसंख्या वृद्धि एक गम्भीर राष्ट्रीय समस्या है। समाज तथा राष्ट्र की प्रगति एवं समृद्धि के लिए इस समस्या का समाधान अति आवश्यक है। इसके निवारण हेतु जन्म-दर को घटाना अनिवार्य हो गया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु विभिन्न प्रयास करने आवश्यक हैं। कुछ महत्त्वपूर्ण प्रयासों का विवरण निम्नलिखित है।

  1. जनसंख्या नियन्त्रण हेतु सर्वप्रथम शिक्षा का प्रसार आवश्यक है। विद्यालय शिक्षा के अन्तर्गत जनसंख्या शिक्षा को सम्मिलित करके भावी पीढ़ी को छोटे परिवार की महत्ता समझायी जा सकती है। शिक्षित व्यक्ति अन्धविश्वासों एवं मिथ्या धारणाओं से मुक्त होते हैं तथा वे नियोजित परिवार के महत्त्व को समझते हैं।
  2. इसके अतिरिक्त बाल-विवाह तथा कम आयु में होने वाले विवाहों को रोकना चाहिए। यह उपाय प्रजनन दर को कम करने में सहायक हो सकता है।
  3. छोटे परिवार के महत्त्व एवं लाभों के प्रति जन-जागरूकता का प्रसार करना चाहिए तथा देश के सभी नागरिकों को स्वेच्छा से परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस दिशा में छोटे परिवार वाले व्यक्तियों को विभिन्न प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं, जैसे कि वेतन में वृद्धि, बच्चे के शिक्षा-शुल्क में छूट आदि। उल्लेखनीय है कि जनसंख्या नियन्त्रण के प्रति जागरूकता विकसित करने के लिए प्रतिवर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व  जनसंख्या दिवस’ मनाया जाता है।

प्रश्न 3.
परिवार नियोजन की आवश्यकता को समझाइए।
उत्तर:
परिवार नियोजन की आवश्यकता
भारत एक विकासशील देश है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त, विशेषकर वर्ष 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद से, हमारे देश में तीव्र वैज्ञानिक एवं आर्थिक प्रगति हुई है, परन्तु उत्पादन वृद्धि दर में हुई इस उल्लेखनीय प्रगति का समुचित लाभ देश की जनता को प्राप्त नहीं हो पा रहा है। परिणामस्वरूप आज भी हमारे देश में निर्धनता एवं निम्न जीवन-स्तर की समस्या विकराल रूप धारण किए हुए है। इस विरोधाभासी स्थिति का एक प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि दर का अत्यधिक होना है। अत: देश के विकास एवं जनता के कल्याण हेतु आवश्यक है कि देश की जनसंख्या को बढ़ने से रोका जाए।

दूसरे शब्दों में, जन्म-दर को घटाने का प्रयास किया जाए, यही परिवार नियोजन का मुख्य उद्देश्य है, इसके साथ-साथ परिवार कल्याण अर्थात् समग्र पारिवारिक जीवन को उत्तम बनाने के लिए भी परिवार नियोजन अर्थात् परिवार को सीमित रखना आवश्यक है।

प्रश्न 4.
परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता में प्रमुख बाधाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता में प्रमुख बाधाएँ निम्नलिखित हैं।
1. अशिक्षा एवं जनसहयोग का अभाव – अशिक्षा एवं अज्ञानता के कारण परिवार नियोजन कार्यक्रमों को अपेक्षित जन सहयोग नहीं मिल पाता है। वस्तुतः अशिक्षित या अल्प-शिक्षित लोग रूढ़ियों एवं पूर्व-धारणाओं के प्रभाव के कारण सन्तानोत्पत्ति को ईश्वर की देन के रूप में स्वीकार करते हैं। वे लोग परिवार नियोजन के लाभों को पहचानने एवं उत्तम भविष्य की कल्पना करने का दृष्टिकोण विकसित नहीं कर पाते हैं।

2. यौन-शिक्षा का अभाव- यौन शिक्षा के अभाव के कारण भी । परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति अपेक्षित जागरूकता उत्पन्न नहीं हो पाई है।

3. निर्धनता-
 निर्धनता की स्थिति में, कुछ लोग परिवार नियोजन के साधनों को प्राप्त करने में असफल रहते हैं। यद्यपि सरकार द्वारा निरोध आदि के नि:शुल्क वितरण की व्यवस्था की गई है, किन्तु नसबन्दी करवाने जैसी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं है।

4. शत-प्रतिशत अचूक उपायों को उपलब्ध न होना- भारत की वृहद जनसंख्या की तुलना में, परिवार नियोजन के शत-प्रतिशत अचूक उपाय पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। यह स्थिति परिवार नियोजन कार्यक्रम की पूर्ण सफलता में बाधक है।

5. ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार नियोजन सुविधाओं एवं प्रचार का अभाव- भारत के ग्रामीण एवं दूर-दूराज के क्षेत्रों में परिवार नियोजन के व्यवस्थित केन्द्रों की पूर्ण उपलब्धता सुनिश्चित नहीं है। इस स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार नियोजन कार्यक्रम की लोकप्रियता सीमित ही है।

प्रश्न 5.
परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कोई दो सूझाव दीजिए। (2018)
अथवा
परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सुझाव दीजिए। (2014)
उत्तर:
परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव
भारत जैसे विकासशील देशों में परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय एवं प्रयास किए जा सकते हैं।

1. जन-जागरूकता- परिवार नियोजन के महत्त्व एवं आवश्यकता का अधिक-से-अधिक प्रचार किया जाना चाहिए, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी अत्यधिक आवश्यकता है। इसके लिए जनसंचार के यथासम्भव सभी माध्यमों; जैसे- रेडियो, दूरदर्शन, समाचार-पत्र, पोस्टर्स, नुक्कड़ नाटक, कठपुतली का खेल आदि का अधिक-से-अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए।

2. समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से सहयोग- परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में, देश के धार्मिक नेताओं, जन-प्रतिनिधियों, समाज-सुधारकों, बुद्धिजीवियों, अभिनेताओं आदि को जन-साधारण के समक्ष स्वयं अपना आदर्श स्थापित करना चाहिए।

3. परिवार नियोजन सुविधाओं का विस्तार तथा सम्बन्धित भ्रान्तियों का- निराकरण परिवार नियोजन सुविधाओं का अधिक-से-अधिक विस्तार तथा सर्वसुलभता सुनिश्चित होनी चाहिए। सभी क्षेत्रों में जन्म नियन्त्रण के सस्ते एवं सुविधाजनक उपकरणों एवं औषधियों को सर्वसुलभ कराया जाना चाहिए। इसके साथ ही नसबन्दी ऑपरेशनों के विषय में जनता में व्याप्त भ्रान्तियों एवं अकारण भय का निराकरण किया जाना चाहिए।

4. योग्य चिकित्सकों की व्यवस्था- परिवार नियोजन कार्यक्रमों में योग्य चिकित्सकों एवं शल्य चिकित्सकों की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे लोगों में विश्वास उत्पन्न होगा तथा वे नियोजन सम्बन्धी उपाय अपनाने में जोखिम का अनुभव नहीं करेंगे। नसबन्दी ऑपरेशनों में दूरबीन विधि को अधिक अपनाया जाना चाहिए।

5. शिक्षा का विस्तार- अन्धविश्वासों के निराकरण एवं परिवार नियोजन के महत्त्व की जानकारी प्रदान करने हेतु शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार के साथ-साथ यौन शिक्षा की भी समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक, 100 शब्द)

प्रश्न 1.
जनसंख्या विस्फोट एक राष्ट्रीय समस्या है, इसके क्या परिणाम हैं? (2006)
अथवा
जनसंख्या वृद्धि की हानियाँ लिखिए। (2007)
अथवा
जनसंख्या विस्फोट के परिणाम लिखिए। (2013)
उत्तर:
जनसंख्या विस्फोट-एक राष्ट्रीय समस्या
जनसंख्या विस्फोट से अभिप्राय है-जनसंख्या वृद्धि की दर का अत्यधिक होना। हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि दर निरन्तर कम होने के बावजूद (1991 के पश्चात् से) अभी भी जनसंख्या विस्फोट की श्रेणी में है तथा यह एक गम्भीर राष्ट्रीय समस्या है। जनसंख्या वृद्धि की इस उच्च दर ने देश के पूर्ण सम्भावित विकास के प्रयासों को प्रायः विफल कर दिया है।

जनसंख्या समस्या के कारण सीमित संसाधनों में आवास, पोषण, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा तथा रोजगार के क्षेत्र में बढ़ती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाना असम्भव हो रहा है। अतः जनसंख्या विस्फोट को राष्ट्रीय समस्या स्वीकार करते हुए, इसके समाधान के ठोस उपाय किए जाना अपरिहार्य हो गया है।

जनसंख्या विस्फोट के परिणाम
जनसंख्या वृद्धि के परिणामों अथवा हानियों का विवरण निम्नलिखित है।

  • निर्धनता में वृद्धि
  • भुखमरी
  • जीवन-स्तर को निम्न होना
  • स्वास्थ्य स्तर का निम्न होना
  • कृषि योग्य भूमि को बँट जाना
  • वैयक्तिक विघटन
  • पारिवारिक विघटन
  • सामाजिक विघटन

1. निर्धनता में वृद्धि निर्धनता व्यापक अर्थ में विकास के अवसरों का अभाव जनसंख्या विस्फोट है। उल्लेखनीय है कि भारत जैसे के परिणाम विकासशील देश में, जहाँ संसाधन सीमित होते हैं, जनसंख्या आधिक्य निर्धनता में वृद्धि का कारण बनता है।

2. भुखमरी- निर्धनता के साथ-साथ भुखमरी की समस्या भी उठ खड़ी होती है। खाद्यान्न उत्पादन के सीमित होने की स्थिति में यदि जनसंख्या तेजी से बढ़ती है, तो निश्चित रूप से लोगों को आवश्यकता से कम मात्रा में खाद्य-सामग्री उपलब्ध होती है। यह दशा प्राय: भुखमरी एवं अभाव की समस्या का रूप ले सकती है।

3. जीवन-स्तर का निम्न होना- तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण सम्बन्धित समाज के लोगों का जीवन-स्तर सामान्यत: निम्न होता जाता है। जन-सामान्य को आवास, पोषण, शिक्षा, चिकित्सा एवं परिवहन सम्बन्धी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है।

4. स्वास्थ्य स्तर का निम्न होना- जनसंख्या वृद्धि की स्थिति में, रहन-सहन के निम्न स्तर का प्रभाव जन-सामान्य के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। पौष्टिक एवं सन्तुलित आहार की अनुपलब्धता एवं स्वास्थ्यवर्द्धक आवास सुविधाओं का अभाव स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न करता है। स्वास्थ्य स्तर निम्न होने पर विभिन्न संक्रामक एवं अभावजनित रोग विकराल रूप धारण कर लेते हैं।

5. कृषि योग्य भूमि का बँट जाना- कृषि योग्य भूमि एक सीमित संसाधन है। जनसंख्या में वृद्धि होने पर, इस भूमि का बँटवारा होता जाता है तथा भूमि छोटे-छोटे टुकड़ों में बँटकर अनार्थिक जोतों का रूप ले लेती है और भारत | जैसे कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले देश को अनाज की कमी की गम्भीर
समस्या का सामना करना पड़ता है।

6. वैयक्तिक विघटन- जनसंख्या विस्फोट की स्थिति समाज में अनेक अभावों को जन्म देती है। निर्धनता तथा बेरोजगारी की परिस्थितियों में वैयक्तिक विघटन की दर भी बढ़ने लगती है। अनेक व्यक्ति अपराधों, मद्यपान तथा | आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियों के शिकार होने लगते हैं।

7. पारिवारिक विघटन- वैयक्तिक विघटन का प्रभाव, पारिवारिक संगठन पर पड़ना स्वाभाविक है। अभाव की परिस्थितियों में पारिवारिक कलह तथा
तनाव में भी वृद्धि होने लगती है।

8. सामाजिक विघटन- व्यक्ति समाज की मूल इकाई है। अत: वैयक्तिक एवं पारिवारिक विघटन की स्थिति में समाज को प्रभावित होना स्वाभाविक है। इस स्थिति में सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था विघटित होने लगती है तथा भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ सामाजिक संस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।

प्रश्न 2.
परिवार नियोजन से क्या आशय है? परिवार नियोजन की मुख्य विधियों का उल्लेख कीजिए। (2003)
अथवा
टिप्पणी लिखिए-परिवार नियोजन। (2006)
अथवा
“समाज के लिए परिवार कल्याण एवं परिवार नियोजन सुझाव ही नहीं, चेतावनी है।” क्यों? इस ज्वलन्त समस्या का निराकरण आप कैसे करेंगी? (2007, 10)
उत्तर:
परिवार नियोजन से आशय
नियोजन का अभिप्राय एक ऐसी व्यवस्था से होता है, जिसमें कुछ निश्चित लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं और इन लक्ष्यों को एक निश्चित अवधि में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्राप्त किया जाता है। परिवार के सन्दर्भ में नियोजन का प्रमुख रूप परिवार नियोजन है। मूल रूप से परिवार नियोजन का आशय परिवार के आकार को सीमित रखने से है, यद्यपि आधुनिक परिस्थितियों में इसे विस्तृत अवधारणा के रूप में स्वीकार किया जा रहा है, जिसका अन्तिम लक्ष्य सम्पूर्ण परिवार का कल्याण है।

इस रूप में परिवार नियोजन का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है, इसमें परिवार को सीमित रखने के साथ-साथ सन्तानहीन को मातृत्व का लाभ दिलाना एवं माता व शिशु दोनों की देखभाल सुनिश्चित करना आदि सम्मिलित हैं। उपरोक्त विवरण को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि, “हमारे समाज के लिए परिवार कल्याण एवं परिवार नियोजन सुझाव ही नहीं, चेतावनी है।”

परिवार नियोजन की विधियाँ
आधुनिक समय में पुरुषों-स्त्रियों के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न भौतिक साधन प्रचलित हैं। परिवार नियोजन के मुख्य साधनों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है

परिवार नियोजन की विधियाँ
( पुरुषों के लिए)

  • कण्डोम
  • नसबन्दी है।

1.कण्डोम (निरोध) यह रबड़ की थैली के समान होता है, जिसे पुरुष सहवास से पूर्व अपने लिंग पर धारण कर सकता है। यह गर्भधारण से बचाव का कारगर उपाय है। कण्डोम के प्रयोग से यौन संक्रमण से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है।

2. नसबन्दी- यह एक छोटा-सा ऑपरेशन होता है, इस ऑपरेशन में डॉक्टर कुछ नसों को काटकर बाँध देता है। इससे शुक्राणु वीर्य में नहीं आ पाते और स्त्री के गर्भ ठहरने की आशंका नहीं रहती है। इस उपाय द्वारा अवांछित गर्भ से सदा के लिए मुक्ति मिल जाती है। अतः नसबन्दी तभी करानी चाहिए, जब पति-पत्नी अन्तिम रूप से और सन्तान न करने का निर्णय ले लें।

( स्त्रियों के लिए)

  • लूप
  • नसबन्दी
  • डायाफ्राम
  • झागदार गोलियाँ
  • ओरल पिल्स

1. लूप यह प्लास्टिक का बना हुआ एक छोटा-सा छल्ला होता है, जिसे डॉक्टर द्वारा स्त्री की बच्चेदानी में एक सरल विधि से रख दिया जाता इस पूरी प्रक्रिया में स्त्री को किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती। जब तक बच्चेदानी में रहता है, तब तक स्त्री को गर्भ ठहरने की आशंका नहीं। जेली और क्रीम रहती। इस उपाय से पति-पत्नी के संसर्ग में भी किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है। इस प्रकार यह गर्भ निरोध की सरल एवं विश्वसनीय विधि है।

2. नसबन्दी- यह ऑपरेशन स्त्रियों के लिए भी होती है, इसे कभी भी कराया जा सकता है। इस ऑपरेशन के बाद भी स्त्री को मासिक धर्म पूर्व की भाँति नियमित रूप से होता है। इससे पति-पत्नी के सहवास में भी कोई अन्तर नहीं अतिा है। वर्तमान में दूरबीन विधि द्वारा भी स्त्रियों की नसबन्दी सम्भव है, इसके तुरन्त बाद स्त्री को घर भेज दिया जाता है तथा इससे कोई परेशानी नहीं होती।

3. डायाफ्राम- यह मुलायम रबड़ की टोपी के समान होता है, जो गर्भाशय के | मुँह को ढक देता है, जिससे गर्भ ठहरने की सम्भावना नहीं रहती।

4. जेली और क्रीम- ये वस्तुएँ एक ट्यूब में आती हैं। इसके साथ लगाने की पिचकारी भी आती है, जिससे जेली या क्रीम को बच्चेदानी के मुँह तक पहुँचा दिया जाता है। ये ऐसी औषधियों से युक्त होती हैं, जो शुक्राणुओं को गर्भाशय में जाने से रोकने का कार्य करती हैं।

5. झागदार गोलियाँ इन गोलियों में विद्यमान दवाई शुक्राणुओं को नष्ट करने में सक्षम होती है। सहवास के पूर्व स्त्री द्वारा ये गोलियाँ पानी में गीली करके योनि में रख ली जाती हैं। इन गोलियों से उत्पन्न होने वाला झाग शुक्राणुओं को निष्क्रिय कर देता है। इन गोलियों का प्रयोग यद्यपि सरल होता है, किन्तु ये गोलियाँ डायाफ्राम या जेली की भाँति पूर्णरूपेण सफल नहीं होती हैं।

6. ओरल पिल्स गर्भनिरोधक गोलियाँ मुख से ग्रहण की जाती हैं; जैसे–माला डी आदि। ये गोलियाँ प्रतिदिन या निश्चित समय पर लेने से गर्भ ठहरने का भय नहीं रहता, यद्यपि इनके प्रयोग से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए। परिवार नियोजन के उपरोक्त उपायों में से किसी का भी प्रयोग करके परिवार को आदर्श परिवार बनाया जा सकता है।

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