UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 15 वैवाहिक समायोजन

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Board UP Board
Class Class 12
Subject Home Science
Chapter Chapter 15
Chapter Name वैवाहिक समायोजन
Number of Questions Solved 13
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 15 वैवाहिक समायोजन

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
एक संस्था है।
(a) जन्म
(b) विवाह
(c) समाज
(d) जाती
उत्तर
(b) विवाह

प्रश्न 2.
वैवाहिक समायोजन के तत्त्व है।
(a) सहयोग
(b) संस्था
(c) पर्यावरण
(d) ये सभी
उत्तर:
(a) सहयोग

प्रश्न 3.
सहयोग सामाजिक एवं ………… समायोजन है।
(a) गुणों का
(b) आर्थिक
(c) लैंगिक
(d) व्यापारिक
उत्तर:
(c) लैंगिक

प्रश्न 4.
पति-पत्नी के बीच असामंजस्य के कारण ।
(a) संवेगात्मक असन्तुलन
(b) आर्थिक अभाव
(c) संयुक्त परिवार
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
विवाह क्या है?
उत्तर:
विवाह एक सामाजिक संस्था है, जो किसी-न-किसी रूप में विश्व के सभी समाजों में पाई जाती है। विवाहित स्त्री-पुरुष को एक सिक्के के दो पहलू अथवा गृहस्थ जीवन को गाड़ी के दो पहुए माना जाता है। इस प्रकार वैवाहिक जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्त्री-पुरुष दोनों का समय होना 
अनिवार्य है।

प्रश्न 2.
वैवाहिक समायोजन में कौन-कौन से तत्त्व सम्मिलित होते हैं?
उत्तर:
वैवाहिक समायोजन में सहयोग, दायित्वों की पूर्ति, प्रेमपूर्ण व्यवहार, 
अटूट विश्वास, मनपसन्द गौवन साथी तथा धार्मिक विश्णास मुख्य तत्व हैं।

प्रश्न 3.
सहयोग किस प्रकार का समायोजन है?
उत्तर:
सहयोग सामाजिक एवं लैगिक समायोजन है। पति तथा पत्नी दोनों के कार्य अलग-अलग होते हैं। इनमें पत्नी घर के काम-काज देखती है तथा पति कृत्रि में बाहरी कार्यों को देखता है। अत: दोनों को परस्पर सहयोग की 
आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
बेमेल विवाह की मुख्य समस्या क्या है।
उत्तर:
बेमेल विवाह की मुख्य समस्या आपसी विचारों का न मिलना होता है। विवाह में सड़के व सड़की की आयु यदि एक-दूसरे से बहुत कम अथवा बहुत 
आपके हो तब भी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 5.
वैवाहिक अनुकूलन के कोई दो उपाय बताइट।
उत्तर:
वैवाहिक सम्बन्धों में अनुकूलन के दो उपाय निम्नलिखित हैं।

  • संवेगों में सामंजस्य
  • शिक्षा का प्रसार होना

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
वैवाहिक समायोजन के किन्हीं दो तत्त्वों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
विशाह संग्ग्या में पति व फनी एक-दूसरे के पूरक होते हैं। अतः समायोजन के बिना किसी भी स्त्री-पुरुष का वैवाहिक जीवन सुचारु रूप से नहीं चल सकता। समायोजन में संवेगात्मक, सामाजिक एवं शैगिक तथा आर्थिक सहित कई आवश्यक तत्त्व समिति होते हैं, जिन्हें प्यान में रखका वैवाहिक जीवन को सफल बनाया जा सकता है।

  1. सहयोग सहयोग सामाजिक एवं गक समायोजन है। पति तथा पो दोनों के कार्य अलग अलग होते हैं। इनमें पत्नी पर के काम-काज देखती है तथा पति खेतों एवं बाहरी कार्यों को देखता हैं। अतः दोनों को परस्पर सहयोग को आवश्यकता होती है।
  2. दायित्वों की पूर्ति यदि विवाहोपरान्त पति व पत्नी दोनों ही जोबिकौशन के लिए नौकरी करते हैं तब दोनों को अपने परिवार के प्रति दायित्वों का निर्वहन अपना कार्य सम्झकर करना चाहिए। इससे वैवाहिक सामंजस्य बना रहता है।

प्रश्न 2.
वैवाहिक जीवन में सामंजस्य क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
चक विवाह एक सामाजिक संस्था है, जहाँ त सभी एक-दूसरे के पूरक कहलाते हैं। इस सभा में समायोजन के बिना पति-पत्नी के गृहस्थी की गाढ़ी ठीक इंग से नहीं चल सकती हैं। वैवाकि जैन को सफल बनाने के लिए कुछ वैवाहिक सम्योजन के तत्वों की आवश्यकता होती है, जो निम्नलिखित हैं।

  1. प्रेमपूर्ण व्यवहार पति-पत्नी के बीच एक दूसरे के सेट में वफादारी का व्यवहार होना चाहिए। सम्बन्ध मधुर रहने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।
  2. अटूट विश्वास वाह सम्बन्ध विश्वास पर टिका होता है। यदि पति-पत्नी एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं तो उनका परिवार टूट जाता है।
  3. मनपसन्द जीवन साथी होना भारतीय समाज में अधिकांशतः वैवाहिक सम्बन्। माता-पिता द्वारा ही जोड़े जाते हैं। अत: माता-पिता को चाहिए कि वह एक-दूसरे | के अनुरूप ही जीवन साथी का चुनाव करे।
  4. धार्मिक विश्वास भारतीय सामाजिक परिप्रेक्ष्य में गिह एक पवित्र एवं धार्मिक क्या है, जहाँ पति-पत्नी का सम्बन्ध ईश्वर की इड़ा से जोड़ा जाता है। यहाँ विवाह के समय लिए गए मन्त्रों से वनभर सम्म निभाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
लड़के और लड़कियों में पाए जाने वाले सामाजिक भेद लिखिए (2018)
उत्तर:
लड़के से लड़कियों में पाए जाने वाले सभी सामाजिक भेदों का आधार लैंगिक असमानता ही होता है। गगक असमानता से तात्पर्य ही भार पर लड़कियों के साथ भेदभाव से है। परम्परागत रुप से समाज में लड़कियों को कमजोर वर्ग के रूप में देखा जाता है। वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपन और भेदभाव से पॉड़ित होती हैं। इस प्रकार लड़के एवं लड़कियों में पाए जाने वाले सामाजिक भेद निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है

  1. भारत में पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था रही है, जिसमें स्त्रियों पर पुरुषों का वर्चस्व रहा है।
  2. भारत में ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था में स्त्रियों को घर के अन्दर रहकर घरेलू कार्य करने होते हैं।
  3. स्त्रियों में अशिक्षा होने के कारण वे अन्यविश्वास तथा मनगढन्त धार्मिक गाथाओं की झूठी बातों में दबी रहती हैं।
  4. भारतीय समाज में स्त्रियों की सम्पत्ति में समान अधिकार न मिलने के कारण भी उनका वर्चस्व अपेक्षाकृत कम रहता है।
  5. स्त्रियों को शारीरिक एवं मानसिक दृष्टिकोण से कमजोर माना जाता है, जिसके रूण उन्हें रोजगार सम्बन्धी कार्यों में भी लैंगिक विभेदता का सामना करना पड़ता हैं।
  6. स्त्रियों के आर्थिक रूप से सम्पन्न न होने के कारण वे सदैव पिता, पति भाई अथवा बच्चों पर ही आश्रित रहती है।
  7. विभिन्न धार्मिक कार्यों में भी पुरुषों को अपेक्षाकृत अधिक महत्व दिया जाता है।
  8. पितृसत्ताक समाज होने के कारण लड़की की अपेक्षा तहके के जन्म पर अधिक उल्लास एवं खुशी मनाई जाती है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1.
वैवाहिक असमायोजन के क्या कारण हैं? इस समस्या का निराकरण कैसे हो सकता है? समझाइए। 
(2018)
या
अधरा वैवाहिक समायोजन क्या है? विवाहित जीवन में असामंजस्य के प्रमुख 
कारणों का उल्लेख करते हुए वैवाहिक अनुकूलन के उपाय बताइट।
या
अधरा वैवाहिक समायोजन क्या है तथा इसमें असामंजस्य के कौन-कौन से 
कारण होते हैं।
उत्तर:
विवाह एक सामाजिक संस्था है, जो किसी-न-किसी रूप में विश्व के सभी समाजों में पाई जाती हैं। विहित रु-पुरुष को एक सिक्वे के दो पहलू अश्या गृह जीवन की गाड़ी के दो पहिए माना जाता है। इस प्रकार वैवाहिक जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्त्री-पुरुष दोनों का माझ होना अनिवार्य है। 

वैवाहिक समायोजन का अर्थ

विवाह के पश्चात् पति-पत्नी को एक दूसरे के स्वभाव, चि एवं भावनाओं के अनुसार कार्य करना सुखी वैवाहिक जीवन कहलाता है। यदि वैवाहिक जीवन में अनुतन न हो तो आपसी समय बिताया जा सकता, किन्तु जब पति व पत्नी त्याग व सहयोग से ओवन व्यतीत करते हैं, वह वैवाहिक समायोजन कलाता है।

विवाहिक जीवन में असामंजस्य तथा उसके कारण

वैाहिक जीवन में प्रेम, सहानुभूति, विश्वास तथा सहयोग की आवश्यकता होती है, जिसे पति-पत्नी अपना कर्तव्य समझकर उसका पालन करते हैं, किन्तु कभी-कभी इस जीवन में कुछ असमानता आ आती है और परिवार बिखर जाता है। वैवाहिक जीवन में असामंजस्य के कारण म्नलिखित हैं।
1. संवेगात्मक असन्तुलन मार में जन्म से ही संवेग होते है, जिसमें 
मुख-दुख परस्पर आते-जाते रहते हैं। विवाह के चात् जब पति य पत्नी साम ते हैं तब दोनों ही मुख-दुख के भागी होते हैं और एक-दूसरे को मान देने के लिए स्वयं उनके अनुरूप ढाल लेते हैं, किनु कहीं-कहीं पर यह भी सम्भावना होती है कि पति-पानी के विचार आपस में मिलते हों, जिसके कारण उनमें आपसी संघर्ष होते हैं।

2. आर्थिक अभाग मानव जीवन की आवश्यकताएँ कभी समाप्त नहीं होती। एक के बाद एक नई आवश्यकताएँ उत्पन्न होती रहती हैं, जिन्हें पूर्ण करना क-कभी असम्भव होता है। मध्यम आय वर्ग वाले परिवार में कि। स्त्री की आवश्यकता पूर्ण नहीं होती, तो वह अपने पति से संपर्ष करने लगती है। इससे घर में लेश या जाता हैं। धीरे-धीरे यह क्लेश इतना बढ़ जाता है कि दोनो सम्बन्ध बिच्छेद के लिए तैयार हो जाते हैं।

3. यौन इच्छाओं की पूर्ति न होना आधुनिक युग में यौन सम्बन्धो को लेकर युवक व युवतियों को कई प्रान्तिय राहती हैं। यही कारण है कि विवाह के पश्चात् वे एक दूसरे की कारों को पूर्ण नहीं कर पाते तथा इनमें आपस में तनाव उत्पन्न होता है, जो वैहिक जीवन में परेशानियों खड़ी करते हैं।

4. संयुक्त परिवार ज्यादातर संयुक्त परिवारों के सदस्यों के बीच आपसी तालमेल की कमी होती है, इनके विचार भी आपस में नहीं मिलते। चाही समस्या पति-पत्नी के बीच भी उत्पन्न होती है, जो बहू और घर के अन्य सदस्यों को आपस में नहीं बनती। पति अथ । की अपेक्षा अपने परिवार को भा।। का पालन करता है तब पति और पत्नी के बोच मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं।

5. बेमेल विवाह विवाह में लड़के व लड़की की आयु यदि एक-दूसरे से चात कम् असा मत ज्यादा हो य भो मरमा आग होती हैं। इनकी समस्या के मूल में आपसी विचारों का न मिलना ही मुख्य होता है।

वैवाहिक अनुकूलन के उपाय
वैवाहिक अनुलन के उपाय निम्नलिखित हैं।

  1. पति-पत्नी का स्कोर रूप से व्यवहार पति-पान को आपसी मतभेदों का त्यागकर आपसी समस्या रखना चाहिए, ताकि एक-दूसरे के प्रति पूर्ण व्यवहार बना रहे।
  2. उचित विवाह विवाह लड़के-लड़किओं की वियों, आदतों व स्वभाव के अनुकूल विवाह होना चाहिए, उम्र में ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए ।
  3. शिक्षा यदि लड़के व लड़की दोनों शिक्षित होते हैं, तो वैवाक जीवन सुचारु रुप से चलता है तथा परिवार ज्यादा समायोजित होता है।
  4. विश्वास में सहयोग विश्वास ही परिवार की बुनियाद है। पति-पत्नी को एक-दूसरे के प्रति विश्वास व सहयोग को भग्न रखनी चाहिए।
  5. मनोरंजन करना वैवाहिक जीवन में पति पत्नी को घोड़ा समय निकालकर मनोरंजन करना चाहिए, जिससे दोनों को कुछ बदलाव तया प्रसन्नता की अनुभूति होती हैं।

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