UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying provided here. Students will not miss any concept in these Chapter wise question that are specially designed to tackle Board Exam We have taken care of every single concept given in Free PDF download of UP Board Solutions 12 Geography syllabus.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Geography (Practical Work)
Chapter Chapter 5
Chapter Name Surveying (सर्वेक्षण)
Number of Questions Solved 22
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying (सर्वेक्षण)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
सर्वेक्षण से क्या अभिप्राय है? जरीब एवं फीते (Chain and Tape) द्वारा सर्वेक्षण किन-किन परिस्थितियों में किया जाता है तथा इसमें कौन-कौन से उपकरण प्रयोग में लाये जाते हैं?
उत्तर

सर्वेक्षण का अर्थ
Meaning of Surveying

सामान्य बोलचाल की भाषा में सर्वेक्षण का अर्थ धरातल का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करना होता है। जिससे आवश्यक तथ्यों की जानकारी प्राप्त कर उन्हें मानचित्र पर निरूपित किया जा सके। सर्वेक्षण को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –
“सर्वेक्षण एक ऐसी कला है जिससे विभिन्न बिन्दुओं की आनुपातिक स्थिति का ज्ञान होता है। बिन्दुओं की स्थिति, दूरी व कोण नापकर तथा कई बार ऊँचाई नापकर भी ज्ञात की जाती है।”
सर्वेक्षण क्षैतिज धरातल के बिन्दुओं की स्थिति के निर्धारण करने की क्रिया है।”
“सर्वेक्षण वह कला है जिसके द्वारा धरातल के बिन्दुओं की सापेक्षिक स्थिति मानचित्र पर ठीक-ठीक प्रदर्शित की जाती है।”
इस प्रकार सामान्य रूप से सर्वेक्षण द्वारा किसी क्षेत्र-विशेष में पायी जाने वाली प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक स्थितियों का मापन करते हैं। इन मापों के आधार पर एक निश्चित मापक द्वारा समतल कागज पर मानचित्र की रचना करते हैं। सर्वेक्षण करने से पूर्व निर्धारित क्षेत्र को ध्यानपूर्वक देख लेना चाहिए जिससे सर्वेक्षण के समय कोई बाधा उपस्थित न हो तथा क्षेत्र को एक रेखाचित्र तैयार कर लेना चाहिए।

जरीब (चेन) एवं फीता सर्वेक्षण
Chain and Tape Surveying

चेन व टेप द्वारा सर्वेक्षण सरल तथा कम व्यय वाला है। यह सर्वेक्षण की प्राचीन विधि है। इससे धरातल पर क्षैतिज दूरियाँ नापी जाती हैं। इस विधि का उपयोग प्रमुख रूप से क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए किया जाता है। क्षेत्रों की सीमा निर्धारित करने में भी इस विधि को अपनाया जाता है। उदाहरण के लिए, जब भूमि का बँटवारा करना होता है तो यही विधि प्रयुक्त की जाती है।

चेन-टेप सर्वेक्षण के उपयोग के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ
Favourable Conditions for Chain and Tape Surveying

चेन-टेप द्वारा सर्वेक्षण निम्नलिखित परिस्थितियों में अधिक उपयोगी रहता है –

  1. क्षेत्रीय सीमा निर्धारण में।
  2. भूमि के विभाजन में।
  3. जब अधिक शुद्धता की आवश्यकता हो।
  4. विकास योजनाओं हेतु आँकड़ों के संग्रहण में।
  5. जब समय की अधिकता हो।
  6. अन्य सर्वेक्षण यन्त्र एवं उपकरण उपलब्ध न हों।
  7. जब मानचित्र में कुछ ही विवरण प्रदर्शित किये जाने हों।
  8. जब विस्तृत भू-भागों का शीघ्र सर्वेक्षण करना हो।

चेन-टेप सर्वेक्षण में प्रयुक्त किये जाने वाले उपकरण
Equipments Used in Chain and Tape Surveying

(1) चेन या जरीब (Chain) – जरीब इस्पात की बनी होती है जो विभिन्न लम्बाई की होती है। यह छोटे-छोटे भागों में विभक्त होती है। सबसे छोटे भाग को कड़ी कहते हैं। ये कड़ियाँ एक-दूसरे से छल्लों द्वारा जुड़ी होती हैं। जरीब के दोनों किनारों पर पीतल की मुठियाँ लगी होती हैं, जिन्हें पकड़कर जरीब को खींचते हैं। जरीब में विभिन्न दूरियों पर विभिन्न प्रकार के सूचक लगे होते हैं जिससे दूरियाँ पढ़ने में आसानी रहती है। जरीब निम्नलिखित प्रकार की होती है –

(i) इन्जीनियर्स जरीब (Engineer’s Chain) – यह जरीब 100 फीट लम्बी होती है जिसमें 100 ही कड़ियाँ होती हैं जिसमें प्रत्येक कड़ी की लम्बाई 1 फुट होती है। प्रत्येक 10 कड़ी के बाद पीतल का एक सूचक लगा होता है जिससे कड़ियाँ गिनने में आसानी रहती है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 1
(ii) गण्टर्स जरीब (Gunter’s Chain) – यह जरीब 66 फीट लम्बी होती है। जिसमें 100 कड़ियाँ होती हैं। प्रत्येक कड़ी की लम्बाई 0.66 फुट या 7.92 इंच होती है। प्रत्येक 10वीं कड़ी पर पीतल का एक सूचक लगा होता है। इस जरीब द्वारा खेतों का क्षेत्रफल सुगमता से नापा जा सकता है, क्योंकि 10 वर्ग जरीब एक एकड़ के बराबर होती है। हमारे देश में लेखपाल भूमि की नाप के लिए इसी जरीब को उपयोग में लाते हैं।

(iii) रेवेन्यू जरीब (Revenue Chain) – यह जरीब 33 फीट लम्बी होती है जिसमें केवल 16 कड़ियाँ होती हैं तथा प्रत्येक कड़ी 21 फीट के बराबर होती है। पहले लेखपालों द्वारा इसी जरीब का प्रयोग खेतों की नाप के लिए किया जाता था, परन्तु छोटी होने के कारण इसका प्रयोग बन्द कर दिया गया है।

(iv) मीट्रिक जरीब (Metric Chain) – मीट्रिक प्रणाली के प्रचलन के कारण इस जरीब का प्रयोग किया जाने लगा है। यह 30 मीटर लम्बी होती है जिसमें प्रत्येक कड़ी 0.3 मीटर अथवा 30 सेमी की होती है। प्रत्येक 10 कड़ियों के बाद पीतल का एक सूचक लगा होता है।

(2) फीता (Tape) – इस सर्वेक्षण में फीता एक आवश्यक उपकरण है। यह कपड़े, प्लास्टिक, धातु आदि के बने होते हैं। फीतों की लम्बाई भिन्न-भिन्न होती है; जैसे—25 फीट, 50 फीट, 100 फीट अथवा 15 मीटर, 30 मीटर आदि। भार में हल्का होने के कारण जरीब के स्थान पर फीते का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। यह चमड़े के एक गोल डिब्बे में लिपटा होता है। इसके एक सिरे पर पीतल की एक घुण्डी लगी होती है जिसकी सहायता से इसे दूर तक फैलाया जा सकता है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 2
(3) लक्ष्य दण्ड (Ranging Rod) – लक्ष्य दण्ड का उपयोग धरातलीय बिन्दुओं की ओर अधिक दृष्टिगोचर करने के लिए किया जाता है। इनकी लम्बाई 6 से 10 फीट तक होती है। इसके प्रत्येक फीट के भाग को विरोधी रंग से रँग दिया जाता है जिससे दूरी स्पष्ट दिखलाई पड़े। इन्हें रंगने में लाल, हरे, काले तथा सफेद रंग का प्रयोग किया जाता है। यह लकड़ी अथवा लोहे के बने होते हैं। कभी-कभी इनके ऊपरी सिरे पर लाल रंग की झण्डियाँ भी लगा दी जाती हैं।

(4) तीर (Arrows) – यह लोहे के बने होते हैं जिनका एक सिरा मुड़ा हुआ तथा दूसरा सिरा नुकीला होता है जिससे इसे भूमि में आसानी से गाड़ा जा सके। इनकी लम्बाई 1 फीट से 1.5 फीट तक होती है। यह जरीब की दूरियों को गिनने में सहायक होते हैं। जरीबों की संख्या अथवा धरातल की लम्बाई तीर गिनकर करते हैं।

(5) चुम्बकीय दिक्सूचक (Magnetic Compass) – इसे कुतुबनुमा भी कहा जाता है। इसकी सहायता से सर्वेक्षण करते समय उत्तर दिशा निर्धारित की जाती है। जरीब रेखा के सहारे उत्तर दिशा ज्ञात कर ली जाती है। इस यन्त्र में एक सुई लगी होती है जिसके एक सिरे पर N अंकित रहता है जो उत्तर दिशा का संकेतक है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 3
(6) समकोणात्मक दर्पण (Optical Square) – यह धातु का बना एक डिब्बेनुमा यन्त्र होता है। इसकी दोनों भुजाओं पर दो शीशे 45° के कोण पर लगे होते हैं। इसका उपयोग जरीब रेखा के ऊपर खड़े होकर लक्ष्य बिन्दु से समकोणात्मक स्थिति ज्ञात करने में होता है।

(7) समकोणमापदण्ड (Cross Staff) – इस यन्त्र का उपयोग भी जरीब रेखा से लक्ष्य बिन्दुओं की संमकोणात्मक स्थिति ज्ञात करने के लिए किया जाता है। इस यन्त्र में एक-दूसरे से समकोण बनाते हुए दो दर्श रेखक दण्ड लगे होते हैं। यह शुद्ध स्थिति का बोध नहीं कर पाता; अत: इसका उपयोग सीमित है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 4
(8) क्षेत्र-पुस्तिका (Field-Book) – इसे सर्वेक्षण पुस्तिका भी कहा जाता है। इसमें सर्वेक्षण की गयी सभी मापें अंकित की जाती हैं जिससे प्रयोगशाला में उस क्षेत्र का शुद्ध मानचित्र बनाया जा सके। क्षेत्र-पुस्तिका में जितनी शुद्ध माप अंकित की जाएगी, उतना ही शुद्ध उस क्षेत्र का मानचित्र होगा।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 5
(9) अन्य उपकरण (Other Instruments) – उपर्युक्त यन्त्रों के अतिरिक्त पेन्सिल, रबड़, मापक, चॉदा आदि की भी जरीब एवं फीते द्वारा सर्वेक्षण में आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 2
जरीब-फीते (Chain-Tape) द्वारा सर्वेक्षण प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए तथा इस विधि के गुण-दोषों का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर

चेन-टेप द्वारा सर्वेक्षण प्रक्रिया
Surveying Process by Chain and Tape

चेन-टेप सर्वेक्षण प्रक्रिया निम्नलिखित विधियों द्वारा की जाती है –
(1) उपकरणों की जाँच तथा पर्याप्त सर्वेक्षक दल – सर्वेक्षण प्रक्रिया प्रारम्भ करने से पूर्व सभी यन्त्रों एवं उपकरणों की जाँच कर लेनी चाहिए तथा समस्त आवश्यक उपकरण लेकर ही क्षेत्र में पहुँचना। चाहिए। साथ ही सर्वेक्षण के लिए तीन व्यक्तियों का दल अवश्य होना चाहिए। एक, जरीब को खींचकर आगे-आगे चलने वाला नायक (Leader); दूसरा, उसके पीछे चलने वाला अनुगामी (Follower) और तीसरा, क्षेत्र-पुस्तिका पर नाप लिखने वाला क्षेत्र-पुस्तिका लेखक (Field Book Writer)।

(2) क्षेत्र का निरीक्षण – सर्वप्रथम जिस क्षेत्र का सर्वेक्षण करना होता है, उसका भली-भाँति निरीक्षण कर लेना चाहिए। इसके साथ ही क्षेत्र की बाह्य सीमा पर झण्डियाँ आदि गाड़ देनी चाहिए। सर्वेक्षण क्षेत्र की सीमा को ध्यान में रखते हुए कुछ मुख्य एवं गौण बिन्दुओं का निर्धारण धरातल पर लेते हैं तथा इसी आधार पर क्षेत्र का एक अनुमानित रेखाचित्र बना लेते हैं। यह अनुमानित रेखाचित्र क्षेत्रीय निरीक्षण के आधार पर तैयार किया जाता है।

(3) दिशा निर्धारण – सर्वेक्षण आरम्भ करने से पहले चुम्बकीय दिक्सूचक की सहायता से उत्तर दिशा ज्ञात कर लेनी चाहिए तथा उत्तर की ओर तीर का निशान (↑) बनाकर उस पर उत्तर अथवाN लिख देना चाहिए।

(4) दूरियाँ ज्ञात करना – जरीब पर अवस्थानों की प्रलम्ब दूरियाँ लेनी चाहिए। फीता जब शरीर पर 90° का कोण बनाता है तो वह दूरी प्रलम्बे दूरी (off-sets) कहलाती है। फीते को जरीब पर चापवत् घुमाकर एक दूरी ज्ञात की जा सकती है।

(5) बन्ध रेखा तथा जाँच रेखा (Tie Line and Check Line) – दो जरीब रेखाओं पर निश्चित बिन्दुओं को बन्ध स्टेशन कहते हैं। इन दोनों बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा ही टाइ रेखा या बन्ध रेखा कहलाती है। जब दूरी अधिक होती है तब लम्बवत् दूरी न लेकर प्रमुख बिन्दुओं की दूरी बन्ध रेखा की। सहायता से नापते हैं। इन रेखाओं की आवश्यकता जरीब द्वारा खुले तथा बन्द, दोनों ही प्रकार के सर्वेक्षण में पड़ती है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 6
जाँच रेखाएँ कभी-कभी चेन द्वारा सर्वेक्षण का अंकन कागज पर पूर्ण हो जाने के पश्चात् अशुद्धि आदि की जाँच करती है। इसमें त्रिभुज की दो भुजाओं पर दो बिन्दुओं को मिला देते हैं तथा इस रेखा की दूरी मापक द्वारा नाप लेते हैं तथा उसे फीट में परिवर्तित करने के बाद क्षेत्र में नापी गयी दूरी से मिलान करते हैं। यदि दोनों दूरियाँ समान हैं तो सर्वेक्षण कार्य शुद्ध है। भू-मापन की शुद्धि इससे ज्ञात होती जाती है। इसी कारण जाँच रेखाओं को पूफ रेखा (Proof lines) भी कहा जाता है।

(6) क्षेत्र-पुस्तिका लिखना – जरीब द्वारा ज्ञात की हुई भू-मापन की माप को क्षेत्र-पुस्तिका में अंकित करते जाते हैं ताकि प्रयोगशाला में उन आँकड़ों से सर्वेक्षित क्षेत्र का मानचित्र बना सकें। क्षेत्र-पुस्तिका में निम्नलिखित दो प्रकार की मापें लिखी जाती हैं –
(i) नीचे से ऊपर को अर्थात् मध्य में जरीब की क्षैतिज दूरियाँ तथा
(ii) दायें-बायें दोनों ओर लक्ष्य बिन्दुओं की लम्बवत् दूरियाँ।
ऊपर दूरियाँ फीट या मीटर में लिखी जाती हैं। सबसे ऊपर जरीब की कुल दूरी का योग लिखा जाता है। दूरियाँ जरीब फैलाने की दिशा में खड़े होकर तुरन्त एवं शुद्ध लिखनी चाहिए। जितनी सही क्षेत्र-पुस्तिका होगी, मानचित्र उतना ही सही बनेगा।

(7) आलेखन करना (Plotting) – भू-सर्वेक्षण से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर एक उचित मापक लेकर समतल कागज पर अंकित करने की प्रक्रिया आलेखन (Plotting) कहलाती है। यह प्रक्रिया सर्वेक्षण की अन्तिम तथा महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसे प्रयोगशाला में सम्पन्न किया जाता है।

सर्वेक्षण की विधियाँ
Methods of Surveying

जरीब-फीते द्वारा सर्वेक्षण की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं –
(I) त्रिभुजीकरण विधि (Triangulation Method) – इस विधि में क्षेत्र को त्रिभुजों में विभाजित करके सर्वेक्षण किया जाता है।
(II) चक्रमण-विधि (Traversing Method) – इस विधि के अन्तर्गत सर्वेक्षण करते हुए धीरेधीरे आगे बढ़ते हैं। इसमें आधार रेखा पर लक्ष्यों की कोणात्मक लम्ब दूरियाँ ली जाती हैं। दिशा और मोड़ को बन्ध रेखाओं की सहायता से निर्धारित करना पड़ता है। यह निम्नलिखित दो प्रकार का होता है

(1) खुला चलन सर्वेक्षण (Open Traverse Survey) – इस विधि में एक स्थान से सर्वेक्षण प्रारम्भ कर उस स्थान पर ही वापस नहीं आते हैं, बल्कि दूसरे बिन्दु पर समाप्त कर देते हैं। इससे जरीब पर लम्बवत् दूरियाँ ज्ञात की जाती हैं। यह विधि लम्बाई में फैले क्षेत्रों-रेलमार्ग, सड़क, नदी अथवा सँकरे क्षेत्रों के लिए प्रयुक्त की जाती है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 7
(2) बन्द चलन सर्वेक्षण (Closed Traverse Survey) – इस विधि में जिस स्थान से सर्वेक्षण आरम्भ करते हैं, उसी स्थान पर आकर समाप्त करते हैं। विस्तृत क्षेत्रों के सर्वेक्षण में इस विधि का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक आधार रेखा के लिए पृथक् क्षेत्र-पुस्तिका लिखी जाती है। ऐसी स्थिति का निर्धारण बन्ध रेखा तथा जाँच रेखा द्वारा किया जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 8

जरीब-फीते द्वारा सर्वेक्षण में आने वाली बाधाओं का निराकरण
Solution of Problems in Chain and Tapes Surveying

जरीब-फीते द्वारा भू-मापन करते समय अनेक बाधाएँ आ जाती हैं। उनका समुचित निराकरण बहुत आवश्यक होता है। सर्वेक्षण में निम्नलिखित बाधाएँ आती हैं –
(1) ढालू भूमि – ढालू भूमि का सर्वेक्षण करते समय भूमि की क्षैतिज दूरियाँ नापने में कठिनाई होती है। इस कठिनाई का निराकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है –

  1. ढालू भूमि पर सुविधानुसार तीन या । चार लम्बदण्ड गाड़ देने चाहिए।
  2. सबसे आगे वाले लम्बदण्ड के ठीक नीचे जरीब का एक सिरा तीर की सहायता । से स्थिर कर देना चाहिए।
  3. जरीब का सिरा ढालू भूमि पर गडे हुए लम्बदण्ड के साथ ऐसे सटाकर रखना चाहिए कि जरीब लम्बदण्ड के साथ समकोण बनाये।
  4. दोनों लम्बदण्डों की क्षैतिज दूरी ज्ञात कर लेनी चाहिए।
  5. यह प्रक्रिया शेष लम्बदण्डों के साथ करके प्राप्त आँकड़ों को संयुक्त कर लेना चाहिए। ढालू भूमि की यह क्षैतिज दूरी होगी।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 9
(2) तालाब या भवन – यदि सर्वेक्षण करते समय क्षेत्र के बीच कोई तालाब या भवन की बाधा आ खड़ी हो तो उसका निराकरण निम्नलिखित प्रकार से करना चाहिए –

  1. तालाब या भवन के दो छोरों पर दो अवस्थान अर्थात् स्टेशन निर्धारित कर लेने चाहिए।
  2. समकोण दण्ड की सहायता से उन दोनों अवस्थानों को मिलाने वाली रेखा पर समान दूरी से लम्ब डालने चाहिए।
  3. दोनों समकोणों के बीच की दूरी ज्ञात कर लेनी चाहिए। यही तालाब या भवन की वास्तविक क्षैतिज दूरी होगी।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 10
(3) नदी या नाला – सर्वेक्षण करते समय किसी नदी या नाले की भी बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसकी चौड़ाई को निम्नलिखित प्रकार से ज्ञात करके तालाब या नदी की बाधा का निराकरण हो सकता है –

  1. नदी या नाले के किनारे खड़े होकर समतल स्थान पर एक लम्बदण्ड ‘क’ गाड़ देना चाहिए।
  2. इसके ठीक सामने नदी के दूसरे किनारे पर कोई वृक्ष या टीला ‘ख’ निर्धारित कर लेना चाहिए।
  3. इस ओर लम्बदण्ड से लगभग 20 फीट आगे चलकर दूसरा दण्ड ‘ग’ गाड़ देना चाहिए।
  4. इन दोनों लम्बदण्डों के मध्य में अन्य लम्बदण्ड ‘भ’ गाड़ देना चाहिए।
  5. 20 फीट वाले लम्बदण्ड की सीध में एक अन्य लम्बदण्ड ‘घ’ इस प्रकार गाड़ देना चाहिए कि ‘ख’, ‘भ’ तथा ‘घ’ तीनों एक ही सीध में हो जाएँ।
  6. ग तथा ‘घ के मध्य की दूरी नदी या नाले की चौड़ाई को प्रकट करेगी।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 11

जरीब-फीते द्वारा सर्वेक्षण के गुण-दोष
Merits and Demerits of Chain and Tape Surveying

गुण – जरीब-फीते द्वारा सर्वेक्षण विधि में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं –

  1. छोटे एवं समतल क्षेत्रों के लिए यह सर्वश्रेष्ठ विधि है।
  2. जरीब-फीते द्वारा सर्वेक्षण करना सरल और सुगम है। इसके लिए अधिक अभ्यास की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. जरीब-फीते द्वारा सर्वेक्षण कम खर्चीला होता है, क्योंकि इसमें साधारण उपकरण ही प्रयुक्त किये जाते हैं।
  4. इसमें अन्य उपकरणों की अपेक्षा त्रुटि की सम्भावना बहुत कम है।
  5. इस विधि से क्षेत्र-पुस्तिका के विवरण के आधार पर मानचित्र सरलता से बना लिया जाता
  6. इस विधि में मानचित्र की सहायता से क्षेत्रफल सुगमता से ज्ञात हो सकता है, जबकि अन्य विधियों में ऐसा होना असम्भव है।

दोष – इस विधि द्वारा सर्वेक्षण में निम्नलिखित दोष हैं –

  1. जरीब लोहे की बनी होने के कारण बार-बार खींचने तथा पटकने से टेढ़ी हो जाती है, जिससे माप अर्थात् लम्बाई में कमी आ सकती है।
  2. ऊँचे-नीचे तथा ढालू क्षेत्रों में जरीब द्वारा शुद्ध भू-मापन में कठिनाई आती है।
  3. जरीब-फीते द्वारा भू-मापन में समय अधिक लगता है जिससे यह कार्य थका देने वाला होता है।
  4. बड़े-बड़े क्षेत्रों के लिए यह विधि अनुपयोगी एवं कठिन होती है।
  5. कभी-कभी जरीब की दूरियाँ पढ़ने में त्रुटि भी हो सकती है।
  6. इस विधि द्वारा सर्वेक्षण करने के बाद प्रयोगशाला में मानचित्र बनाने का कार्य अलग से करना पड़ता है।
  7. जरीब की लम्बाई पर तापमान का प्रभाव भी पड़ता है जिससे भू-मापन में त्रुटि आ सकती है।

प्रश्न 3
समतल मेज (Plane Table) सर्वेक्षण में कौन-कौन से उपकरण आवश्यक होते हैं? इस यन्त्र द्वारा सर्वेक्षण विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर

समतल मेज सर्वेक्षण
Plane Table Surveying

सर्वेक्षण की यह एक लेखाचित्रीय विधि (Graphical Method) है। इस विधि में क्षेत्र मापन एवं आलेखन (Plotting) साथ-साथ सर्वेक्षण क्षेत्र में ही हो जाता है।
समतल मेज सर्वेक्षण विधि के निम्नलिखित गुण होते हैं –

  1. यह विधि अधिक शुद्ध एवं सरल होती है।
  2. इस विधि में मानचित्र सर्वेक्षण के साथ-साथ क्षेत्र में ही तैयार हो जाता है। इसी कारण इसमें त्रुटियों की सम्भावना कम रहती है। यदि त्रुटि हो भी जाए तो उसे क्षेत्र में ही दूर कर लिया जाता है।
  3. इसमें सर्वेक्षण कार्य शीघ्रता से सम्पन्न हो जाता है, क्योंकि इसमें केवल आधार रेखा को ही मापना होता है। अन्य क्षैतिज रेखाओं को मापने की आवश्यकता नहीं होती है तथा न ही क्षेत्र-पुस्तिका बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
  4. सर्वेक्षण की इस विधि में पूरा कार्य क्षेत्र में ही पूर्ण कर लिया जाता है। अतः सर्वेक्षणकर्ता क्षेत्र में ही तथ्यों की तुलना कर सकता है तथा भूल का सुधार भी क्षेत्र में ही खड़े-खड़े कर लिया जाता है।
  5. इस सर्वेक्षण में आवश्यकतानुसार सर्वेक्षण कार्य कभी भी रोका जा सकता है तथा पुन: प्रारम्भ किया जा सकती है।

समतल मेज सर्वेक्षण में आवश्यक उपकरण
Required Equipments in Plane Table Surveying

समतल मेज सर्वेक्षण में निम्नलिखित उपकरणों की आवश्यकता होती है –
(1) समतल मेज तथा त्रिपाद (Plane Table and Tripod) – समतल मेज लकड़ी से निर्मित एक प्रकार का समतल ड्राइंगबोर्ड होता है जिसे त्रिपाद पर एक पेंच की सहायता से कसा जा सकता है। तथा अलग किया जा सकता है। यह पट्ट 40×25 सेमी या 50×40 सेमी या 75×55 सेमी आदि नाप का होता है। त्रिपाद की तीन समान टाँगें होती हैं जिन्हें आवश्यकतानुसार इधर-उधर हटाया जा सकता है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 12
(2) दर्शरेखक (Alidade) – यह एक उपयोगी उपकरण है जो लकड़ी या धातु का बना होता है। इसकी लम्बाई 30 से 45 सेमी तक होती है। इसके एक छोर पर मापक बना होता है। दर्श रेखक के दोनों सिरों पर 8 सेमी लम्बे दो फलक लगे होते हैं जो एक कब्जे द्वारा इससे जुड़े होते हैं, जिन्हें आवश्यकतानुसार ऊपर-नीचे किया जा सकता है। एक फलक में एक लम्बवत् खिड़की बनी होती है, जिसे दृष्टक फलक (Eye vane) कहते हैं तथा दूसरे फलक की खिड़की में एक तार या धागा लगा होता है, जिसे दृश्य फलक (Object vane) कहते हैं। दर्श रेखक का प्रयोग करते समय उसे समतल मेज पर गाड़ी हुई आलपिन से सटाकर रखते हैं तथा दृष्टक फलक, दृश्य फलक के तार एवं धरातल के बिन्दु को। एक सीध में मिलाकर किरणें खींचते हैं।

(3) स्प्रिट लेविल (Spirit Level) – इस यन्त्र का प्रयोग मेज को समतल करने में किया जाता है। यह लकड़ी के एक आयताकार डिब्बे में एक ट्यूब के रूप में होता है जिसमें स्प्रिट भरी होती है। इसमें वायु का एक बुलबुला होता है अर्थात् ट्यूब में कुछ स्थान रिक्त छोड़ दिया जाता है। ट्यूब के ऊपर एक समतलन प्रक्रिया के लिए संकेत बना रहता है। जब बुलबुला इस संकेतक के बीच में आ जाता है, तब मेज समतल हो जाती है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 13
(4) दिक्सूचक (Compass) – विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 1 देखें।

(5) साहुल एवं चिमटा (Plumb Bob with Fork) – यह एक सामान्य-सा उपकरण होता है जिसका प्रयोग समतल मेज को किसी स्थान पर केन्द्रित करने के लिए किया जाता है। साहुल लोहे का बना होता है जो शंक्वाकार होता है जिसमें ऊपर की ओर धागा बँधा होता है। यह धागा चिमटे से बँधा होता है। इसके द्वारा धरातलीय बिन्दु समतल मेज पर स्थापित ड्राइंगशीट पर निश्चित किया जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 14
(6) फीता (Tape) – विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 1 देखें।
(7) लक्ष्य दण्ड (Ranging Rod) – विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 1 देखें।
(8) तीर (Arrows) – विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 1 देखें।
(9) अन्य सामग्री (Other Materials) – उपर्युक्त उपकरणों के अतिरिक्त ड्राइंगशीट, पेन्सिल, रबड़, आलपिन, बोर्ड पिन आदि उपकरण आवश्यक होते हैं।

समतल मेज द्वारा सर्वेक्षण प्रक्रिया
Surveying Process by Plane Table

समतल मेज द्वारा सर्वेक्षण करते समय निम्नलिखित प्रक्रियाएँ करनी आवश्यक होती हैं –

  1. आधार-रेखा का चयन
  2. समतल मेज पर ड्राइंगशीट चढ़ाना
  3. सर्वेक्षण मेज की स्थापना –
    • त्रिपाद पर समतल मेज को स्थिर करना,
    • संकेद्रण (Centering) करना तथा
    • समतलन (Levelling) करना
  4. समतल पट्ट का अभिस्थापन (Orientation)
  5. धरातल के विभिन्न बिन्दुओं के लिए किरणें खींचना

समतल मेज का स्थापन
Setup of Plane Table

समतल मेज का स्थापन सर्वेक्षण क्षेत्र में किसी सुविधाजनक स्थान पर त्रिपाद की सहायता से इस प्रकार किया जाता है कि मेज से सभी धरातलीय बिन्दु स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होते हों। तत्पश्चात् मेज पर बोर्ड पिन की सहायता से ड्राइंगशीट लगायी जाती है। अब स्प्रिट लेविल की सहायता से मेज के त्रिपाद की टाँगों को खिसकाकर समतलन की क्रिया कर लेते हैं। समतल मेज के एक कोने में दिक्सूचक की सहायता से उत्तर दिशा अंकित कर दी जाती है। समतल मेज पर एक बिन्दु ‘क’ लेकर उसका धरातल से। केन्द्रीयकरण साहुल एवं चिमटे की सहायता से कर लेना चाहिए जिससे कागज के ‘क’ बिन्दु की स्थिति धरातल पर ज्ञात हो जाये। इसके बाद धरातल के इस ‘क’ बिन्दु से आधार-रेखा का चुनाव करते हैं। आधार-रेखा का चुनाव करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि ‘क’ ‘ख’ बिन्दुओं से सम्पूर्ण क्षेत्र भली- भाँति दिखाई पड़ता हो। आधार रेखा की लम्बाई सर्वेक्षण किये जाने वाले क्षेत्र के अनुरूप ही होनी चाहिए। आधार-रेखा का स्थापन समतल क्षेत्र में किया जाना चाहिए जिससे दूरियाँ अधिक शुद्ध रूप में नापी जा सकें। अब ‘क’ बिन्दु से दर्श रेखक की सहायता से धरातल के बिन्दुओं की स्थिति देखकर किरणें डाल दी जाती हैं।

समतल मेज का अभिस्थापन
Re-setup of Plane Table

समतल मेज का अभिस्थापन निम्नलिखित दो प्रकार से किया जाता है –
(1) दिक्सूचक की सहायता द्वारा – जब मेज को प्रथम स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर रखा जाता है तो दिक्सूचक की सहायता से पुनः उत्तर दिशा प्राप्त कर ली जाती है।
(2) पश्चावलोकन द्वारा – जब मेज को पहले स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर रखा जाता है तो प्रथम स्थान पर लक्ष्य दण्ड गाड़ देते हैं तथा आधार रेखा के सहारे दर्श रेखक की सहायता से समतल मेज़ को घुमाकर एक सीध में कर लिया जाता है। इस दूसरे स्थान पर समतलीकरण एवं केन्द्रीकरण भी करना आवश्यक होता है।

समतल मेज के अभिस्थापन के बाद निम्नलिखित विधियों द्वारा सर्वेक्षण किया जा सकता है –
(1) विकिरण विधि (Radiation Method) – इस विधि का प्रयोग एक ही बिन्दु से सर्वेक्षण करने में किया जाता है। इसके लिए सर्वेक्षण क्षेत्र छोटा होना चाहिए। सर्वप्रथम क्षेत्र के मध्य में समतल मेज का स्थापन कर लिया जाता है तथा दर्श रेखक की सहायता से सर्वेक्षण बिन्दु से प्रमुख बिन्दुओं की ओर इंगित करते हुए किरणें खींच देते हैं। इसके साथ ही केन्द्रीयकरण बिन्दु से धरातलीय दूरियाँ फीते की सहायता से नाप लेते हैं। एक निश्चित मापक को मानकर ड्राइंगशीट पर इन दूरियों को काट लेते हैं, जो धरातल के बिन्दुओं का मानचित्र पर प्रदर्शन होता है। इन सभी बिन्दुओं को मिलाने से क्षेत्र का मानचित्र तैयार कर लिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 15
(2) प्रतिच्छेदन विधि (Inter-section Method) – इस विधि द्वारा किरणों के पारस्परिक प्रतिच्छेदन द्वारा विभिन्न धरातलीय स्थानों को ड्राइंगशीट पर अंकित कर लिया जाता है। इसी कारण इसे प्रतिच्छेदन विधि कहा जाता है। इसके लिए सर्वप्रथम एक आधार-रेखा का चुनाव किया जाता है। पुन: इस आधार-रेखा के दोनों बिन्दुओं से सर्वेक्षित क्षेत्र के विभिन्न बिन्दुओं को प्रकट करने वाली किरणों को खींच दिया जाता है। यही ड्राइंगशीट पर सर्वेक्षित बिन्दुओं की स्थिति होगी। यह विधि सर्वोत्तम है तथा सर्वाधिक प्रचलित है। यह ध्यान रखना होता है कि समतलीकरण, केन्द्रीकरण तथा उत्तर दिशा का निर्धारण समतल मेज के स्थापन तथा अभिस्थापन में कर लिया गया है, तत्पश्चात् ही किरणें खींची गयी हैं। इस आधार पर सर्वेक्षण क्रिया से प्राप्त मानचित्र शुद्ध होगा।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 16
इन विधियों के अतिरिक्त दो विधियाँ और हैं, जो निम्नलिखित हैं –
(3) रेखांकन या चलन विधि (Traverse Method) –
(अ) खुला चलन सर्वेक्षण (Opened Traverse Surveying) एवं
(ब) बन्द चलन सर्वेक्षण (Closed Traverse Surveying)।

(4) स्थिति निर्धारण अथवा परिच्छेदन विधि (Resection Method)
(अ) दो बिन्दु समस्या (Two Point Problem) एवं
(ब) तीन बिन्दु समस्या (Three Point ङ्ग Problem)।
इस समस्या के निदान के लिए स्थिति का निर्धारण तीन प्रकार से किया जा सकता है –

  • लेखाचित्रीय विधि (Graphical Method)
  • यान्त्रिक विधि (Mechanical Method)
  • त्रुटि-त्रिभुज अथवा पुन: परीक्षा की विधि (Triangle of Error Method)

स्थिति निर्धारण अथवा परिच्छेदन विधि-का विस्तृत विवरण पाठ्यक्रम में नहीं दिया गया है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying 17

मौखिक परिक्षा : सम्भावित प्रश्न

प्रश्न 1
सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
सर्वेक्षण वह कला है जिसके द्वारा धरातल के विभिन्न बिन्दुओं की सापेक्षिक दूरी को मापक के अनुसार समतल कागज पर प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 2
सर्वेक्षण कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर
सर्वेक्षण दो प्रकार के होते हैं – (अ) भू-पृष्ठीय सर्वेक्षण (Geodetic Survey) तथा
(ब) समतल सर्वेक्षण (Plane Survey)।

प्रश्न 3
सर्वेक्षण का उद्देश्य क्या है?
उत्तर
सर्वेक्षण का प्रमुख उद्देश्य किसी भूभाग का मानचित्र अथवा फोटो तैयार करना है।

प्रश्न 4
जरीब कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर
जरीब चार प्रकार की होती हैं –

  1. इन्जीनियर्स जरीब-100 फीट लम्बी
  2. गण्टर्स जरीब-66 फीट लम्बी
  3. रेवेन्यू जरीब-33 फीट लम्बी तथा
  4. मीटर जरीब-30 मीटर लम्बी।

प्रश्न 5
जरीब एवं फीता सर्वेक्षण से क्या तात्पर्य है? उत्तर जरीब एवं फीते की सहायता से किसी क्षेत्र का भू-मापन जरीब एवं फीता सर्वेक्षण कहलाता है।

प्रश्न 6
सर्वेक्षण में अधिकांशतः किस जरीब का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर
सर्वेक्षण में अधिकांशत: इन्जीनियर्स जरीब का प्रयोग किया जाता है।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying

प्रश्न 7
लक्ष्य दण्ड को विभिन्न रंगों से क्यों रँगा जाता है?
उत्तर
जिससे कि दूरवर्ती स्थान भी स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो सके।

प्रश्न 8
चुम्बकीय कम्पास की क्या उपयोगिता है?
उत्तर
इसका उपयोग मानचित्र में उत्तर दिशा का निर्धारण करने में किया जाता है।

प्रश्न 9
जरीब-फीता सर्वेक्षण में चैक लाइन का क्या उपयोग है?
उत्तर
चैक लाइन इस सर्वेक्षण की शुद्धता की जाँच के लिए खींची जाती है।

प्रश्न 10
टाइ लाइन का क्या अर्थ है?
उत्तर
दो जरीब रेखाओं द्वारा निर्मित कोण को सही निर्धारण करने के लिए पहली जरीब रेखा पर दूसरी जरीब रेखा के झुकावे को निश्चित करने वाली रेखा टाइ रेखा कहलाती है।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying

प्रश्न 11
समतल मेज सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
समतल मेज सर्वेक्षण, सर्वेक्षण की वह आरेखीय विधि है जिसमें सर्वेक्षण तथा आलेखन दोनों कार्य सर्वेक्षण क्षेत्र में ही एक साथ हो जाते हैं।

प्रश्न 12
समतल मेज सर्वेक्षण में स्प्रिट लेविल का क्या उपयोग है?
उत्तर
समतल मेज सर्वेक्षण में स्प्रिट लेविल मेज की समतलीकरण क्रिया करने में उपयोग में लाया जाता है।

प्रश्न 13
समतल मेज द्वारा सर्वेक्षण करने की कौन-कौन-सी विधियाँ हैं?
उत्तर
समतल मेज सर्वेक्षण करने की चार विधियाँ निम्नवत् हैं –

  1. विकिरण विधि (Radiation Method)
  2. प्रतिच्छेदन विधि (Intersection Method)
  3. रेखांकन या चलन विधि (Traverse Method) तथा
  4. स्थिति निर्धारण अथवा परिच्छेदन विधि (Resection Method)।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying

प्रश्न 14
किरण किसे कहते हैं?
उत्तर
समतल मेज पर दर्श रेखक की सहायता से किसी लक्ष्य बिन्दु के लिए खींची जाने वाली सरल रेखा को किरणें (Rays) कहते हैं।

प्रश्न 15
केन्द्रीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर
साहुल तथा चिमटे की सहायता से धरातल के निर्धारण बिन्दु को ड्राइंगशीट पर अंकित करने की प्रक्रिया केन्द्रीकरण कही जाती है।

प्रश्न 16
समतल मेज के अभिस्थापन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर
समतल मेज को क्षेत्र में स्थापित कर समतल करना तथा चुम्बकीय उत्तर को निर्धारित करने की क्रिया स्थापन कहलाती है।

प्रश्न 17
समतल मेज का पुनस्र्थापन किसे कहा जाता है?
उत्तर
समतल मेज को प्रथम स्थान से उठाकरे दूसरे अभिस्थापन पर समतलीकरण एवं केन्द्रीकरण क्रिया द्वारा स्थापित करना पुनस्र्थापन कहा जाता है।

प्रश्न 18
समतल मेज सर्वेक्षण विधि की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर
समतल मेज सर्वेक्षण विधि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  1. यह विधि अधिक सरल एवं शुद्ध होती है।
  2. इस विधि द्वारा सर्वेक्षण करने में कम समय लगता है।
  3. इसमें केवल आधार-रेखा ही मापी जाती है।
  4. क्षेत्र-पुस्तिका तथा अन्य लक्ष्य स्थानों के कोण आदि बनाने की आवश्यकता नहीं होती है।
  5. इस विधि द्वारा सर्वेक्षण करने में केवल दो व्यक्तियों की ही आवश्यकता होती है।।
  6. इसमें आलेखन का कार्य सर्वेक्षण क्षेत्र में सर्वेक्षण के साथ ही पूरा हो जाता है; अत: त्रुटियाँ कम होने की सम्भावना रहती है।
  7. यह विधि कम थकाने वाली होती है।

प्रश्न 19
समतल मेज सर्वेक्षण विधि के प्रमुख दोष क्या हैं?
उत्तर
समतल मेज सर्वेक्षण विधि के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं –

  1. इस सर्वेक्षण को तेज वायु, धूप एवं वर्षा ऋतु में करना कठिन होता है।
  2. इसका प्रयोग केवल समतल तथा खुले क्षेत्रों में ही ठीक रहता है।
  3. समतल मेज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने-ले जाने में कठिनाई होती है।
  4. बड़े क्षेत्रों का सर्वेक्षण करने में यह विधि अनुपयुक्त है।
  5. इस सर्वेक्षण में अनेक उपकरण होने से उनके क्षेत्र में खो जाने का भय रहता है।

We hope the UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying (सर्वेक्षण) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Surveying (सर्वेक्षण), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

error: Content is protected !!
Scroll to Top