UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi सन्धि-प्रकरण are part of UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi . Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi सन्धि-प्रकरण.
Board | UP Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Sahityik Hindi |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | सन्धि-प्रकरण |
Number of Questions | 57 |
Category | UP Board Solutions |
UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi सन्धि-प्रकरण
Prejte Ka Sandhi Viched सन्धि-प्रकरण
नवीनतम पाठ्यक्रम में सन्धि से सम्बन्धित प्रश्नों के लिए कुल 4 अंक निर्धारित हैं। नये प्रारूप के अनुसार अब इससे बहुविकल्पीय प्रश्न ही पूछे जाएंगे। तीन बहुविकल्पीय प्रश्नों में से एक प्रश्न परिभाषा पर, दूसरा प्रश्न सन्धित पद देकर उसके विच्छेद पर और तीसरा प्रश्न विच्छेद देकर उसके सन्धित पद पर आधारित होगा।
सन्धि – सन्धि का अर्थ है ‘मेल’ या जोड़। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द का अन्तिम वर्ण और दूसरे शब्द का आरम्भिक वर्ण कुछ नियमों के अनुसार आपस में मिलकर एक हो जाते हैं। दो वर्षों के इस एकीकरण को ही ‘सन्धि’ कहते हैं। उदाहरणार्थ-देव+ आलय = देवालय। यहाँ ‘देव’ (= द् + ए+ + अ) शब्द का अन्तिम ‘अ’ और ‘आलय’ शब्द का प्रारम्भिक आ’ मिलकर ‘आ’ बन गये। इसी प्रकार महा + आत्मा = महात्मा (आ + आ = आ), देव + ईश = देवेश (अ + ई = ए) आदि। सन्धि के प्रकार – सन्धि तीन प्रकार की होती है – (अ) स्वर सन्धि, (ब) व्यञ्जन सन्धि तथा (स) विसर्ग सन्धि।
प्रेजते का संधि विच्छेद स्वर सन्धि
स्वर के साथ स्वर के मेल को स्वर सन्धि कहते हैं। उपर्युक्त देवालय’, ‘महात्मा’ और ‘देवेश’ स्वर सन्धि के ही उदाहरण हैं। कुछ स्वर सन्धियाँ नीचे दी जा रही हैं
(1) अयादि सन्धि
सूत्र – एचोऽयवायावः
जब एच् (ए, ओ, ऐ, औ) के आगे कोई स्वर आये तो इन ए, ओ, ऐ, औ के स्थान पर क्रमश: अय्, अव्, आय् और आव् हो जाता है; जैसे
(2) पूर्वरूप सन्धि
सूत्र – एङ पदान्तादति
किसी पद (विभक्तियुक्त शब्द) के अन्त में यदि ‘ए’ या ‘ओ’ आये और उसके बाद (अर्थात्) दूसरे पद के आरम्भ में ‘अ’ आये तो ‘अ’ का लोप हो जाता है और लोप के सूचक-रूप में खण्डित ‘अ’ का चिह्न अवग्रह (ऽ) रख दिया जाता है; जैसे
(3) पररूप सन्धि
सूत्र – एङि पररूपम्
यदि अकारान्त उपसर्ग के बाद एकारादि या ओकारादि धातु आये तो दोनों के स्थान में ‘ए’ या ‘ओ’ हो जाता है; जैसे
प्र + एजते = प्रेजते (अधिक काँपता है)
उप + ओषति = उपोषति (जलता है)
(4) यण सन्धि
सूत्र – इको यणचि
लू + आकृति = लाकृतिः
अन्वेषणम् = अनु + एषणम्।
(5) दीर्घ सन्धि
सूत्र – एकः सवर्णे दीर्घः
स + अक्षरः = साक्षर:
वधूत्सव = वधू + उत्सवः
व्यञ्जन सन्धि
जिन दो वर्षों में सन्धि की जा रही है, यदि उनमें से एक स्वर और एक व्यञ्जन हो या दोनों व्यञ्जन हों, तो वह व्यञ्जन सन्धि कहलाती है। कुछ व्यञ्जन सन्धियों के विवरण नीचे दिये जा रहे हैं
(1) श्चुत्व सन्धि
सूत्र – स्तोः श्चुनाः श्चुः । जब सकार (= स्) या तवर्ग (त् थ् द् ध् न्) के बाद शकार (श्) या चवर्ग (च् छ् ज् झ् ञ् ) आता है, तब सकार (स) का शकार (श) और तवर्ग का चवर्ग हो जाता है (अर्थात् त् थ् द् ध् न् के स्थान पर क्रमशः च् छु ज् झ् ञ् हो जाता है); जैसे
(2) टुत्व सन्धि
सकार या तवर्ग के बाद यदि षकार (= षू) या टवर्ग (य् द् ड् ढ् ण) आये तो सकार (= स्) के स्थान पर षकार (= षू) और तवर्ग के स्थान पर टवर्ग हो जाता है (अर्थात् त् थ् द् ध् न् के स्थान पर क्रमश: ट् ठ् ड् ढ् ण् हो जाता है); जैसे
रामस् (रामः) + षष्ठः = रामष्षष्ठः
रामस् + टीकते = रामष्टीकते
तत् + टीका = तट्टीका
चक्रिन् + ढौकसे = चक्रिण्ढौकसे
(3) जश्त्व सन्धि
सूत्रे – झलां जश् झशि
यदि झल् प्रत्याहार (य् व् र लु, ङ् ञ् ण् न् म् को छोड़कर शेष व्यञ्जनों में से किसी भी व्यञ्जन) के बाद झशु (किसी वर्ग का तृतीय या चतुर्थ वर्ण अर्थात् ग् ज् ड् द् ब्, घ् झ् द् ध् भ् में से कोई) आये तो पूर्ववर्ती व्यञ्जन (अर्थात् झल्) के स्थान पर उसी वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है (अर्थात् ग् ज् ड् द् ब् में से ही वर्गानुसार कोई वर्ण हो जाता है); जैसे
दोघ् + धा = दोग्धा
योध् + धा = योद्धा = योद्धा
वृध् + धः = वृद्धः = वृद्धः
सन्नध् + धः = सन्नद्धः = सन्नद्धः
दुघ् + धम् = दुग्धम्
बुध् + धिः = बुद्धिः = बुद्धिः
सिध् + धिः = सिद्धिः = सिद्धिः
लभ् + धः = लब्धः
(4) चत्वं सन्धि
सूत्र – खरि च
यदि झल् प्रत्याहार (य् व् र लु, ङ् ञ् ण् न् म् को छोड़कर शेष व्यञ्जन अर्थात् वर्गीय प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ वर्ण और श् ष् स् ह में से किसी) के बाद यदि खर् प्रत्याहार का कोई वर्ण (अर्थात् वर्गीय प्रथम, द्वितीय वर्ण एवं श् ष स में से कोई) आये तो पूर्ववर्ती व्यञ्जन (= झल् प्रत्याहार) के स्थान पर चर् प्रत्याहार (वर्गीय प्रथम वर्ण, अर्थात् क् च् र् त् प् में से वर्गानुसार कोई) हो जाती है; जैसे
ककुभ् + प्रान्तः = ककुप्रान्तः
सम्पद् + समयः = सम्पत्समयः
उद् + कीर्णः उत्कीर्णः
आपद् + कालः = आपत्कालः
विपद् + कालः = विपत्कालः
उद् + साहः = उत्साहः
सद् + कारः = सत्कार:
(5) अनुस्वार सन्धि
सूत्र – मोऽनुस्वारः
पदान्त म् (अर्थात् विभक्तियुक्त शब्द के अन्त में आये म्) के बाद यदि कोई व्यञ्जन आये तो म् के स्थान पर अनुस्वार ( . ) हो जाता है; जैसे
हरिम् + वन्दे = हरिं वन्दे
गृहम् + गच्छति = गृहं
गच्छति गृहम् + परितः = गृहं परितः
गृहम् + गच्छ = गृहं गच्छ
गुरुम् + वन्दे = गुरु वन्दे
कृष्णम् + वन्दे = कृष्णं वन्दे
नगरम् + गच्छति = नगरं गच्छति
(6) लत्व सन्धि
सूत्र – तोलि
यदि तवर्ग के किसी वर्ण से परे ल हो तो तवर्गीय वर्ण के स्थान पर लू हो जाता है; जैसे
उत् + लेखः = उल्लेखः
उत् + लिखितम् = उल्लिखितम्
विद्वान् + लिखति = विद्वांल्लिखति
तत् + लीनः = तल्लीनः
जगत् + लयः = जगल्लयः
उत् + लासः = उल्लासः
तत् + लयः = तल्लयः
(7) परसवर्ण सन्धि
सूत्र – अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः
यदि अनुस्वार से परे यय् प्रत्याहार का वर्ण (श् ष स ह को छोड़कर कोई भी व्यंजन) हो तो अनुस्वार के स्थान पर परसवर्ण (अग्रिम वर्ण का सवर्ण, वर्ग का पाँचवाँ वर्ण) हो जाता है।
उदाहरण – धनम् + जयः = धनञ्जयः
त्वम् + करोषि = त्वङ्करोषि
विसर्ग-सन्धि
दो वर्षों के एकीकरण में यदि पहले विसर्ग ( : ) और बाद में स्वर या व्यञ्जन हो तो वह विसर्ग सन्धि कहलाती है।
(1) सत्व सन्धि
सूत्र – विसर्जनीयस्य सः विसर्ग के बाद यदि खर् प्रत्याहार का कोई वर्ण (वर्गीय प्रथम, द्वितीय वर्ण और श ष स में से कोई) आये तो विसर्ग के स्थान पर स् हो जाता है, फिर वह ‘स्’ अपने सामने वाले वर्ण के साथ व्यञ्जन सन्धि के नियमानुसार मिल जाता है; जैसे
(2) रुत्व सन्धि
सूत्र – (क) ससजुषो रुः
(ख) खरवसानयोर्विसर्जनीयः
पदान्त स् तथा ‘सजुष’ शब्द के के स्थान पर रु (र) हो जाता है। इस र् के बाद खर प्रत्याहार का कोई वर्ण (वर्गीय प्रथम, द्वितीय वर्ण एवं श् ष स्) हो या कोई भी वर्ण न हो तो र् का विसर्ग ( : ) हो जाता है; जैसे
रामस् + पठति = रामर् + पठति = रामः पठति
(3) उत्व सन्धि
सूत्र – (क) अतो रोरप्लुतादप्लुते ।
(ख) हशि च
पिछले नियमानुसार स् के स्थान पर जो र होता है, उसके पहले यदि अ आये और बाद में अ या हश् प्रत्याहार का कोई वर्ण (वर्गीय तृतीय, चतुर्थ, पंचम और य् व् र् ल् ह में से कोई) आये तो र के स्थान पर उ हो जाता है; जैसे
शिवस् + अर्ध्यः = शिवर् + अर्व्यः = शिव + उ + अर्थ्य:
= शिवो + अर्व्यः = शिवोऽर्थ्यः।
इस उदाहरण में शिवस् के सू का र् आदेश होकर शिवर बना। इसके र से पहले अ है (शिव् + अ = शिव) और बाद में अर्थ्य:’ का अ है; अत: २ का उ हो गया। फिर ‘शिव’ का अ और यह उ मिलकर ‘ओ’ बन गया (शिवो) और तब पूर्वरूप होकर शिवोऽर्थ्यः’ बना।
(4) रोरि
यदि र से परे र हो तो पूर्व र् का लोप हो जाता है। उस लुप्त ‘र’ से पहले यदि अ, इ, उ हों तो उनका दीर्घ हो जाता है; जैसे
पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ में आये सन्धित पद
पाठ 1:
पाठ 2:
पाठ 3:
पाठ 4:
पाठ 5:
पाठ 6:
पाठ 7:
पाठ 8:
पाठ 9:
सन्धि
विशेष – विद्यार्थियों से यह अपेक्षित है कि वे पहले दिये गये सभी सन्धियों के नियमों व उनके उदाहरणों को भली प्रकार से तैयार करें। सन्धि के प्रकरण से सम्बन्धित प्रश्न परीक्षा में बहुविकल्पीय रूप में भी पूछे जा सकते हैं। उदाहरणस्वरूप कुछ प्रश्न आगे दिये जा रहे हैं
[संकेत – काले अक्षरों में छपे विकल्प उचित विकल्प हैं।]
(1) ‘नायिका’ को सन्धि-विच्छेद है
(क) ना + इका
(ख) नायि + का,
(ग) नै + इका
(घ) न + आइका
(2) ‘उपोषति’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) उपो + षति
(ख) उप+ ओषति
(ग) उ + पोषति
(घ) उप + ओषति
(3) ‘हरेऽव’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) हरे + अव
(ख) हरे + इव
(ग) हर + इव
(घ) हर + अव
(4) ‘सच्चित्’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) सच् + चित्
(ख) सत् + चित्
(ग) स + च्चित्
(घ) सच्चि + त् ।
(5) ‘विपत्काल’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) विपत + काल
(ख) विपत्ति + काल,
(ग) विपद् + काल
(घ) विपदा + काल
(6) निम्नलिखित में से ‘तोलि’ सन्धि किसमें होगी?
(क) तत् + टीका
(ख) तत् + लयः
(ग) लृ + आकृति
(घ) ला + आकृति
(7) ‘निर् + रोग: की सन्धि होगी”
(क) निरोगः
(ख) नीरोगः
(ग) निरारोगः
(घ) निरोग:
(8) ‘नरस् + चलति’ में सन्धि होगी
(क) नरोचलति
(ख) नराचलति
(ग) नरश्चलति
(घ) नरस्चलति
(9) कुं+ ठित में सन्धि होगी
(क) कुंठित
(ख) कुन्ठित
(ग) कुठित
(घ) कुण्ठित
(10) श्चुत्व सन्धि है
(के) तत् + लयः
(ख) सत् + मार्ग
(ग) रामस्+ चिनोति
(घ) तत् + टीका
(11) ‘प्रेजते’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क) प्रे + जते
(ख) प्रेज + ते
(ग) प्र+ एजते
(घ) प्रए + जते
(12) ‘एचोऽयवायावः’ सन्धि है
(क) ने + अनम्
(ख) उप+ ओषति
(ग) सत् + जन
(घ) विष्णो + अव
(13) ‘सत् + चयन’ की सन्धि होगी–
(क) सज्जयन
(ख) सुश्चयन
(ग) सच्चयन
(घ) सः चयन
(14) निम्नलिखित में से किन्हीं तीन सन्धि-सूत्रों के एक-एक सही उदाहरण चुनकर लिखिए तथा सूत्रों की व्याख्या कीजिए|
(क) सूत्र – एङ पदान्तादति, एचोऽय वायावः, मोऽनुस्वारः, अतो रोरप्लुतादप्लुते, खरि च।।
उदाहरण – आपत्कालः, गायकः, नगरं गच्छति, वनेऽस्मिन्, सोऽपि।
(ख) सूत्र – एङि पररुपम्, ष्टुनी ष्टुः, विसर्जनीयस्य सः, एचोऽय वायावः, रोरि।
उदाहरण – पुनारमते, नमस्ते, पवन:, उड्डयनम्, प्रेजते।
(क) हल:
(i) एङ पदान्तादति – वनेऽस्मिन् ।
(ii) एचोऽयवायावः – गायकः ।
(iii) मोऽनुस्वार: – नगरं गच्छति।
(iv) अतो रोरप्लुतादप्लुते – सोऽपि।
(v) खरि च – आपत्कालः।
(ख) हल:
(i) एङि पररूपम् – प्रेजते।
(ii) ष्टुना ष्टुः – उड्डयनम्:
(iii) विसर्जनीयस्य सः – नमस्ते
(iv) एचोऽयवायाव:-पवनः
(v) रोरि – पुनारमते।
संकेत – सूत्रों की व्याख्या के लिए सम्बन्धित सन्धियों का अध्ययन करें।
(15) ‘नयनम्’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क) ने + यनम्
(ख) ने + अनम्
(ग) नय + नम्।
(घ) नै + अनम्
(16) ‘ष्टुना टुः’ सन्धि है
(क) रामस्+ टीकते
(ख) लभ् + धः
(ग) सत् + चित्
(घ) सत् + चयन
(17) ‘अयादि’ सन्धि है
(क) सत् + चित्
(ख) प्र + एजते
(ग) पौ+ अकः
(घ) योध् + धा
(18) ‘पावकः’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क) पाव + कः
(ख) पौ+ अकः
(ग) पा + अकः
(घ) पाउ + कः
(19) ‘टुत्व’ सन्धि है
(क) सत् + चित
(ख) तत् + टीका
(ग) लभ् + धः
(घ) सत् + चयन
(20) ‘पूर्णः + चन्द्रः’ की सन्धि होगी
(क) पूणचन्द्रः
(ख) पूर्णश्चन्द्रः
(ग) पूर्णचन्द्रः
(घ) पूर्णचन्द्रः
(21) ‘झलां जश् झशि’ सन्धि है
(क) लभ् + धः
(ख) तत् + लय:
(ग) ने + अनम्
(घ) प्र + एजते
(20) क) पवः
(22) हल् ( व्यञ्जन) सन्धि है
(क) सत् + चित्
(ख) उप + ओषति
(ग) हिम + आलय
(घ) सूर्य + उदय
(23) ‘रुत्व’ सन्धि है
(क) बालस्+ गच्छति
(ख) बाला + गच्छति
(ग) राम + गच्छति
(घ) कृष्ण + वन्दे
(24) ‘गौः + चरति’ की सन्धि होगी
(क) गोस्चरति
(ख) गोचरति
(ग) गौश्चरति
(घ) गौहचरति
(25) ‘ग्रामेऽपि’ को सन्धि-विच्छेद है
(क) ग्रामः + अपि
(ख) ग्राम + एपि
(ग) ग्रामे + अपि
(घ) ग्रामस + अपि
(26) ‘अन् + कित:’ की सन्धि होगी
(क) अम्कितः
(ख) अन्कित:
(ग) अंकितः
(घ) अङ्कितः
(27) ‘रामावग्रतः’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क) रामे + अग्रत:
(ख) रामौ + अग्रतः
(ग) रामो + अग्रतः
(घ) रामः + अग्रतः
(28) ‘रोरि’ सन्धि है
(क) पूर्णः + चन्द्रः
(ख) शम्भुर् + राजते
(ग) शिवस् + अर्घ्य
(घ) शाम् + तः
(29) विष्णो + अत्र की सन्धि होगी
(क) विष्ण्वत्र
(ख) विष्णवत्र
(ग) विष्णावत्र
(घ) विष्णोऽत्र
(30) ‘शत्रावति’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क) शत्रु + अति
(ख) शत्रु + अवति
(ग) शत्रौ + अति
(घ) शत्रवः + अति
(31) ‘उत्कीर्णः’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क) उत् + कीर्णः
(ख) उद + कीर्णः
(ग) उद् + कीर्णः
(घ) उत + कीर्ण
(32) विसर्ग सन्धि है
(क) कः + चित्
(ख) कस् + चित्
(ग) कश् + चित्
(घ) कश + चित्
(33) ‘सुहृद् + क्रीडति’ की सन्धि होगी
(क) सहृद्क्रीडति
(ख) सुहृत्क्रीडति
(ग) सुहृतक्रीडति
(घ) सुहृदक्रीडति
(34) ‘पेष् + ता’ की सन्धि होगी
(क) पेष्टा
(ख) पेष्टता
(ग) प्रेषयता
(घ) प्रेषिता
(35) ‘कवेः+ अभावात्’ की सन्धि होगी
(क) कवेअभावात्
(ख) कवेरभावात्
(ग) कवेराभावात्
(घ) कवेरभवात्
(36) गुण सन्धि (सूत्र-आद्गुणः) होगी
(क) राज + ऋषिः
(ख) ने + अनम्
(ग) मधु + अरिः
(घ) शिव + आलय
(37) ‘नगेन्द्राः’ अथवा ‘नान्यत्र’ का सन्धि
विच्छेद कीजिएनगेन्द्राः = नग + इन्द्राः (आद्गुणः)
नान्यत्र = न + अन्यत्र (अक: सवर्णे दीर्घः)
(38) ‘गायकः’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क) गाय + अक:
(ख) गा + यक:
(ग) गै + अकः
(घ) में + कः।
(39) ‘हरिः + चरति’ की सन्धि है
(क) हरिचरति
(ख) हरिश्चरति
(ग) हरिर्चरति
(घ) हरिच्चरति।
(40) ‘मोऽनुस्वारः’ सन्धि है
(क) विद्वान् + लिखतिः
(ख) ककुम् + प्रान्तः
(ग) चक्रिन् + ढौकसे
(घ) गृहम् + गच्छति
(41) ‘देवस् + वन्द्यः’ की सन्धि होगी
(क) देवो वन्द्यः
(ख) देवर्वन्द्यः
(ग) देवश्वन्द्यः
(घ) देववन्द्यः
(42) ‘खरि च’ सन्धि है
(क) तद् + लीनः
(ख) सत् + चित्
(ग) सम्पद् + समयः
(घ) हरिम् + वन्दे
(43) ‘रामष्षष्ठः’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क)राम + षष्ठः
(ख) राम + षष्ठः
(ग) रामश् + षष्ठः
(घ) रामस् + षष्ठः
(44) ‘विसर्जनीयस्य सः’ सन्धि है
(क) हरिम् + वन्दे
(ख) तत् + टीका
(ग) लघु + उत्सवः
(घ) गौः+ चरति
(45) ‘उज्ज्वल’ का सही सन्धि-विच्छेद है
(क) उद् + ज्वल
(ख) उत् + ज्वल
(ग) उज् + ज्वले
(घ) उच् + ज्वल
(46) ‘पावनम्’ का सही सन्धि-विच्छेद होगा
(क) पाव + अनम्
(ख) पो + अनम्।
(ग) पौ+ अनम्
(घ) पै + अनम्
(47) ‘विसर्जनीयस्य सः’ सन्धि है
(क) चन्द्रः + चकोर:
(ख) रामः + गच्छति
(ग) शिवः + अस्ति
(घ) हरिः + भगति
(48) ‘भावुकः को सन्धि-विच्छेद होगी
(क) भ + अवुकः
(ख) भा + उकः
(ग) भौ+ उकः
(घ) भ + उकः
(49) ‘धनम् + जयः’ की सन्धि है
(क) धानञ्जयः
(ख) धनन्जयः
(ग) धनज्जयः
(घ) धनञ्जयः
(50) विसर्जनीयस्य सः सन्धि है
(क) विष्णुः + त्राता
(ख) त्वम् + करोषि
(ग) प्र + एजते
(घ) उप + ओषति
(51) ‘लब्धम्’ का सन्धि-विच्छेद होगा
(क) लब् + धम्
(ख) लप् + धम्
(ग) लभ् + धम्
(घ) लब्ध् + अम्
(52) ‘एचोऽयवायावः’ सन्धि है
(क) उप + ओषति
(ख) नौ + इकः
(ग) रामस् + च
(घ) तत् + टीका
(53) ‘रोरि’ सन्धि है
(क) रामः + चपलः
(ख) देवः + पठति
(ग) पुनर् + रमते
(घ) बालकः+अपठत्
(54) निम्नलिखित की सन्धि कीजिए और नामोल्लेख कीजिए
(क) विद्या + अर्थी =विद्यार्थी (अक: सवर्णे दीर्घः)
(ख) कवि + इन्द्रः =कवीन्द्रः (अक: सवर्णे दीर्घः)
(ग) गिरि + ईश: =गिरीशः (अक: सवर्णे दीर्घः)
(55) निम्नलिखित को सन्धि-विच्छेद कीजिए और नामोल्लेख कीजिए
(क) हरिश्चन्द्रः= हरिः + चन्द्रः (विसर्जनीयस्य सः)
(ख) नरेन्द्रः = नर + इन्द्रः (आद् गुण:)
(ग) यद्यपि = यदि + अपि (इको यणचि)
(घ) रमेशः =रमा + ईशः (आद् गुण:)
(56) पुत्रस् + षष्ठः’ की सन्धि है
(क) पुत्रस्षष्ठः
(ख) पुत्रोषष्ठः
(ग) पुत्रर्षष्ठः
(घ) पुत्रष्षष्ठः
(57) ससजुषोः रुः सन्धि है
(क) हरिस् + गच्छति
(ख) प्रभुः + चलति
(ग) बालकः + याति
(घ) शिवः + अपि
We hope the UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi सन्धि-प्रकरण help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi सन्धि-प्रकरण, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.