UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 20 बालक-बालिका सम्बन्ध

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 20 बालक-बालिका सम्बन्ध (Boys-Girls Relationship)

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 20 बालक-बालिका सम्बन्ध

UP Board Class 11 Home Science Chapter 20 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बालक-बालिका सम्बन्धों एवं मेल-मिलाप पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तरः
छह वर्ष की अवस्था के लगभग लड़के-लड़की बिना भेदभाव के एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। जब बालक तथा बालिकाएँ 7 से 12 वर्ष की आयु में आ जाते हैं तो बहुत कुछ आपस में समझने लगते हैं। उनको अपनी शारीरिक तथा सामाजिक स्थिति का ज्ञान होने लगता है। समाज में 12 वर्ष की अवस्था तक बालक तथा बालिकाएँ एक साथ खेल सकते हैं, पढ़ सकते हैं तथा घूम सकते हैं।

13 से 18 वर्ष की आयु में दोनों ही पक्ष एक-दूसरे को आकर्षित करने का प्रयत्न करते हैं। 18 वर्ष की अवस्था में यह काम-चेतना अपने प्रबलतम रूप में लड़के व लड़कियों में आ जाती है, सामाजिक बन्धन उन्हें बुरे लगने लगते हैं।

कक्षा 8 तक के लड़के और लड़कियाँ एक साथ पढ़ सकते हैं, लेकिन इण्टरमीडिएट कक्षाओं में एक साथ शिक्षा देना अधिक उचित नहीं है। इस अवस्था में उनका मानसिक एवं संवेगात्मक ज्ञान अपरिपक्व होता है। वे भावनाओं की तीव्रता से शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं और अनुचित कार्य कर बैठते हैं। वे अपना हित-अहित नहीं समझते हैं।

डिग्री कक्षाओं में पहुँचकर विद्यार्थियों के अनुभव परिपक्व होने लगते हैं। इस स्तर पर छात्र-छात्राओं का तार्किक पक्ष भी काफी विकसित हो जाता है। उनमें उत्तरदायित्व की भावना भी आ जाती है। इस कारण इस स्तर पर यदि लड़का-लड़की मैत्री सम्बन्ध स्थापित करें तो कोई हानि नहीं है।

सह-शिक्षा से वे एक-दूसरे को भली-भाँति समझ लेते हैं। परिचय प्राप्त कर लेने से लड़के-लड़की का वैवाहिक जीवन बहुत सुखपूर्वक बीतता है, क्योंकि वे एक-दूसरे के आदर्शों से परिचित हो जाते हैं। बहुत-से गरीब घराने की लड़कियों की शादी सम्पन्न घराने में हो जाती है क्योंकि लड़के सुन्दर एवं शिक्षित लड़कियों के इच्छुक होते हैं। इस प्रकार लड़कियों के माता-पिता दहेज के चक्रव्यूह से बच जाते हैं।

बालक-बालिका सम्बन्धों का उपर्युक्त विवरण एक पारम्परिक मान्यता से जुड़ा हुआ है। वर्तमान सामाजिक, पारिवारिक तथा व्यावसायिक परिस्थितियाँ बड़ी तेजी से बदल रही हैं तथा इन परिवर्तित परिस्थितियों में बालक-बालिका सम्बन्धों के प्रारूप को भी पुनः निर्धारित करना अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण विचारणीय तथ्य है।

प्रश्न 2.
भारत में लड़के-लड़कियों के स्वतन्त्रतापूर्ण सम्बन्धों पर लगे प्रतिबन्धों के विषय में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तरः
भारत में लड़के-लड़कियों के स्वतन्त्रतापूर्ण सम्बन्धों पर प्रतिबन्ध –
भारतीय आदर्शों एवं परम्पराओं में आस्था रखने वाले विद्वानों के मतानुसार यदि लड़के और लड़कियाँ आपस में मिलते-जुलते हैं तो उनके विकास में बाधा उत्पन्न होती है। इसी कारण से बाल्यकाल में सह-शिक्षा के बाद अधिकतर लड़के-लड़कियों के विद्यालय अलग कर दिए जाते थे। परिवार के बाहर भी उनको मेल-मिलाप के अवसर बहुत कम दिए जाते थे। यद्यपि आजकल पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित होकर भारतीय समाज में तरुणावस्था के लड़के-लड़कियों में स्वतन्त्रतापूर्ण सम्बन्धों का प्रचलन बढ़ रहा है, तथापि आदर्श भारतीय समाज में यह आलोचना का विषय बना हुआ है।

किशोरावस्था के लड़के-लड़कियों के विवाह आदि तय करने में माता-पिता का मुख्य हाथ होने से प्रायः सुविधा ही रहती है और किशोरों को अपनी अनुभवहीनता में की गई त्रुटियों से बचाव रहता है। किन्तु कभी-कभी कुछ अवस्थाओं में व्यक्ति के स्वभाव एवं इच्छाओं का सामाजिक बन्धनों के कारण अत्यधिक दमन करना पड़ता है, जिसका परिणाम अधिकतर हानिकारक सिद्ध होता है। वास्तव में किशोरों के मेल-मिलाप में पूर्ण स्वतन्त्रता अथवा कठोर नियन्त्रण दोनों ही उनके विकास में बाधक होते हैं।

प्रश्न 3.
अपने समाज में लड़के-लड़कियों में पाए जाने वाले सामाजिक भेद के विषय में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तरः
लड़के-लड़कियों में पाए जाने वाले सामाजिक भेद –
स्त्री तथा पुरुष में शारीरिक भेद के अतिरिक्त उनके आचरण, स्वभाव और व्यवहार में अन्तर पाया जाता है। यह सम्भव हो सकता है कि यह अन्तर शरीर रचना और पारिवारिक व सामाजिक परिस्थितियों के अन्तर के कारण हो। यह भी देखने में आता है कि सामान्यत: बालिकाएँ स्वभाव की कोमल, विनम्र, सहनशील तथा करुणामयी होती हैं और दूसरी तरफ बालक स्वभाव के कठोर होते हैं।

मनोवैज्ञानिक इस बालक-बालिका के अन्तर को उनके पारिवारिक और सामाजिक पर्यावरण के कारण मानते हैं। परिवार में सभी सदस्यों की बालक-बालिका के प्रति एक-सी भावना नहीं होती। बालिकाओं के प्रति प्रारम्भ से ही कुछ भिन्न भावना रहती है, उनको पराया धन समझा जाता है, उनको घर में गृहस्थी का कार्य करना पड़ता है। इसलिए बालिकाएँ स्वभाव से ही सहनशील और विनम्र होती हैं। बालकों को बाबा-दादी तथा अन्य सदस्य सिर पर चढ़ाकर रखते हैं और उनकी प्रत्येक इच्छा को पूरा किया जाता है। इसलिए वे क्रोधी, जिद्दी तथा कठोर स्वभाव के होते हैं।

अत: अन्त में हम इस निष्कर्ष पर पहँचते हैं कि बालक-बालिका, एक ही सृष्टि की रचना होते हुए भी, भिन्न हैं। दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं, जिनमें स्वाभाविक अन्तर होता है। यह अन्तर कुछ तो शारीरिक रचना के कारण होता है और कुछ पारिवारिक और सामाजिक परिस्थितियों के कारण होता है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना अनिवार्य है कि वर्तमान युग में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ बदल रही हैं। इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप लड़कियों की शिक्षा एवं विकास को भी क्रमश: महत्त्व दिया जाने लगा है। वह दिन दूर नहीं जब हमारे समाज में लड़के-लड़कियों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाया जाने लगेगा।

प्रश्न 4.
किशोरावस्था में बालक और बालिका की एक-दूसरे के प्रति कैसी भावना होती है?
उत्तरः
किशोरावस्था में बालक और बालिका की एक-दूसरे के प्रति भावना –
छह वर्ष तक के लड़के-लड़कियों के सम्बन्ध में लिंग-भेद का कोई आधार नहीं होता। वे अनजान रहकर एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, एक-दूसरे के मित्र बन जाते हैं। जब लड़के-लड़कियाँ 6 से 12 वर्ष के बीच की उम्र के होते हैं तो बहुत कुछ समझने लगते हैं। उनको यह ज्ञान हो जाता है कि उनकी शारीरिक रचना में क्या अन्तर है। हमारे समाज में लड़के को अधिक महत्त्व दिया जाता है, क्योंकि उससे यह आशा की जाती है कि वह बड़ा होकर कुटुम्ब की सेवा करेगा और लड़की कुछ दिनों बाद पराये घर की हो जाएगी। लड़कियाँ समझती हैं कि उनका स्थान लड़कों की अपेक्षा नीचा है। यह ऊँच-नीच की भावना 6-7 वर्ष की आयु के बाद बच्चों में आने लगती है; अत: वे एक-दूसरे से अलग रहने का प्रयत्न करते हैं।

यह विरोध की भावना उस समय तक चलती है, जब तक उनके शरीर में तरुणाई के लक्षण प्रकट नहीं होते हैं। जब उनके शरीर में तरुणाई के लक्षण प्रकट होने लगते हैं तो उनका यह विरोध समाप्त हो जाता है। घृणा प्रेम में बदल जाती है। इस अवस्था (13 से 17 वर्ष) में लड़कियों के शरीर में कुछ परिवर्तन हो जाता है और सौन्दर्य बढ़ जाता है। लड़के भी अपने को अधिक आकर्षक बनाने का प्रयत्न करते हैं। इस समय वे एक-दूसरे के सम्पर्क में लज्जा अनुभव करते हैं। यह अवस्था करीब 16-17 वर्ष की उम्र तक रहती है।

17-18 वर्ष की अवस्था में लड़के-लड़कियों में काम-चेतना अत्यन्त प्रबल रूप धारण करती है। वे एक-दूसरे को अधिक-से-अधिक आकर्षित करने का प्रयत्न करते हैं और प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। इस समय वे सामाजिक बन्धनों की चिन्ता तक नहीं करते। वे समाज से घृणा करते हैं और समाज से पृथक होकर प्रेमी अथवा प्रेमिका के साथ निर्जन स्थान में अधिक-से-अधिक समय तक रहना पसन्द करते हैं। एक के अभाव में दूसरा प्राण तक दे देता है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री के शब्दों में, “जब दो भिन्न लिंगी एक-दूसरे को देखते हैं, संकेत करते हैं, छिपकर प्रेम करते हैं, भेंट देते हैं या परस्पर स्पर्श करते हैं तो उन्हें चामत्कारिक आनन्द प्राप्त होता है।”

लड़के और लड़कियों के सम्बन्ध की यह अवस्था बड़ी नाजुक होती है। वे कभी-कभी पथभ्रष्ट भी हो जाते हैं। वे पढ़ाई-लिखाई, माता-पिता, धन-सम्पत्ति और मान-मर्यादा की परवाह नहीं करते। प्रेमी-प्रेमिकाओं का घर से भाग जाना, इधर-उधर की ठोकरें खाना साधारण-सी बात है। इसके अतिरिक्त, वे भ्रूण हत्याओं, शारीरिक रोगों, नैतिक और चारित्रिक पतन आदि के लिए उत्तरदायी हो जाते हैं। अज्ञान और भावुकता में वे अपना और समाज दोनों का अहित करते हैं।

विभिन्न अध्ययनों द्वारा यह सिद्ध हो गया है कि बालक और बालिका के परस्पर मिलने-जुलने में जितना बड़ा बन्धन होगा, ‘मिलन भावना’ उतनी ही तीव्र होगी। इसलिए बालक-बालिकाओं के सम्बन्धों को स्वाभाविक रूप से विकसित होने देने के लिए उन्हें परस्पर मिलने-जुलने की कुछ हद तक स्वतन्त्रता मिलनी चाहिए। सम्पर्क और स्वतन्त्रता को उच्छंखलता की सीमा तक पहुँचने से रोकने के लिए संयम का अंकुश बड़े-बुजुर्गों के हाथ में होना चाहिए।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 20 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बालक-बालिका सम्बन्धों के अध्ययन का मूल आधार क्या है?
उत्तरः
बालक-बालिका सम्बन्धों के अध्ययन का मूल आधार लिंग-भेद है।

प्रश्न 2.
सामान्य रूप से किस अवस्था में लड़के-लड़कियाँ अपने अलग-अलग समूह बनाने लगते हैं?
उत्तरः
सामान्य रूप से किशोरावस्था प्रारम्भ होते ही लड़के-लड़कियाँ अपने अलग-अलग समूह बनाने लगते हैं।

प्रश्न 3.
बालिकाओं के लिए पढ़ाई क्यों जरूरी है?
अथवा
बालिकाओं को शिक्षित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तरः
आज की बालिकाएँ ही भावी गृहिणियाँ एवं माताएँ हैं; अतः उत्तम गृह-व्यवस्था तथा बच्चों के उत्तम पालन-पोषण के लिए बालिकाओं की पढ़ाई जरूरी है। वैसे, जिस प्रकार लड़कों के लिए पढ़ाई आवश्यक है, वैसे ही लड़कियों के लिए भी पढ़ाई आवश्यक है।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 20 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए –
1. किशोरावस्था में बालक-बालिका सम्बन्ध होने चाहिए –
(क) अत्यधिक घनिष्ठ
(ख) सीमित एवं स्वाभाविक
(ग) कोई सम्बन्ध नहीं होने चाहिए
(घ) विरोधपूर्ण सम्बन्ध।
उत्तरः
(ख) सीमित एवं स्वाभाविक।

2. मानसिक एवं संवेगात्मक ज्ञान किस अवस्था तक अपरिपक्व माना गया है –
(क) किशोरावस्था
(ख) युवावस्था
(ग) प्रौढ़ावस्था
(घ) वृद्धावस्था।
उत्तरः
(क) किशोरावस्था।

3. किशोरावस्था की मुख्य समस्या क्या है –
(क) मकान
(ख) नौकरी
(ग) अनुशासन
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तरः
(ग) अनुशासन।

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